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Vishwarang 2025: भोपाल में एशिया का सबसे बड़ा सांस्कृतिक कुंभ; मॉरिशस के पूर्व राष्ट्रपति करेंगे शुभारंभ

Vishwarang 2025 Bhopal: संतोष चौबे ने बताया कि देश-दुनिया के एक हज़ार से भी अधिक भाषाविद्, साहित्यकार, शिक्षा शास्त्री, विज्ञान-तकनीकी विशेषज्ञ, आलोचक, संस्कृतिकर्मी, पर्यावरणविद् सहित मीडिया, कला, सिनेमा और मनोरंजन जगत की जानी-मानी हस्तियाँ विश्व रंग का हिस्सा बनेंगी. विरासत और आधुनिकता के इस अद्वितीय संगम में ज्ञान-विज्ञान की नई दिशाओं की ओर बढ़ते विश्व की नई इबारतों को पढ़ना दिलचस्प होगा. विश्व रंग इस अर्थ में संवाद का एक विशाल मंच तैयार कर रहा है.

Vishwarang 2025: भोपाल में एशिया का सबसे बड़ा सांस्कृतिक कुंभ; मॉरिशस के पूर्व राष्ट्रपति करेंगे शुभारंभ
Vishwarang 2025: भोपाल में एशिया का सबसे बड़ा सांस्कृतिक कुंभ; मॉरिशस के पूर्व राष्ट्रपति करेंगे शुभारंभ

Vishwarang 2025 Bhopal: मध्य प्रदेश में जाड़े की गुलाबी दस्तक के साथ एक बार फिर भोपाल की वादियाँ विश्व रंग से गुलज़ार हो रही हैं. टैगोर अन्तरराष्ट्रीय साहित्य तथा कला महोत्सव अपने सातवें आसमान पर आने वाला है. चार दिनों तक विभिन्न गतिविधियों का अनूठा ताना-बाना लिए रवीन्द्र भवन के विशाल परिसर में आयोजित होगा. रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, विश्वरंग फाउण्डेशन और उसके सहयोगी केन्द्रों की पहल पर म.प्र. शासन संस्कृति विभाग सहित देश-विदेश की पचास से भी अधिक संस्थाओं की भागीदारी से यह विशाल समागम आकार ले रहा है. भारत के विभिन्न क्षेत्रों के मूर्धन्य चिंतकों, विचारकों और विशेषज्ञों के साथ ही विश्व के 35 से भी अधिक देशों के प्रतिनिधि यहाँ साझा संस्कृति की मिसाल पेश करेंगे. किसी भी अशासकीय संस्था के संयोजन में होने वाला यह एशिया का सबसे बड़ा सांस्कृतिक कुंभ है. 27 से 30 नवंबर के दरमियान इस महोत्सव में अस्सी से भी अधिक सत्र संवाद, विचार, विमर्श और कलात्मक अभिव्यक्ति का खुला मंच साबित होंगे. 

विश्व रंग के महानिदेशक तथा रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे ने कहा कि कि 2019 में शुरू हुई विश्व रंग की यात्रा अपने सातवें चरण पर और भी व्यापक, विस्तृत और बहुरंगी हो गयी है. भोपाल से शुरू हुआ यह कारवाँ मॉरिशस, श्रीलंका, नई दिल्ली और मुंबई होता हुआ नई उर्जा और नए आत्मविश्वास से भरकर पुनः भोपाल लौटा है. 27 नवंबर को रंगारंग विश्व रंग शोभा यात्रा के बाद शाम 6 बजे म.प्र. के राज्यपाल माननीय मंगुभाई पटेल की गरिमामयी उपस्थिति में इस महोत्सव का शुभारंभ होगा. इस अवसर पर मॉरिशस के पूर्व राष्ट्रपति पृथ्वीराज सिंह रूपन, म.प्र. के संस्कृति मंत्री धर्मेन्द्र भावसिंह लोधी और रबीन्द्रनाथ टैगोर वि.वि. के कुलाधिपति विशेष अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे. 

ये कार्यक्रम होंगे

संतोष चौबे ने बताया कि देश-दुनिया के एक हज़ार से भी अधिक भाषाविद्, साहित्यकार, शिक्षा शास्त्री, विज्ञान-तकनीकी विशेषज्ञ, आलोचक, संस्कृतिकर्मी, पर्यावरणविद् सहित मीडिया, कला, सिनेमा और मनोरंजन जगत की जानी-मानी हस्तियाँ विश्व रंग का हिस्सा बनेंगी. विरासत और आधुनिकता के इस अद्वितीय संगम में ज्ञान-विज्ञान की नई दिशाओं की ओर बढ़ते विश्व की नई इबारतों को पढ़ना दिलचस्प होगा. विश्व रंग इस अर्थ में संवाद का एक विशाल मंच तैयार कर रहा है.

विश्व रंग के सहनिदेशक डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने बताया कि इस महोत्सव की लोकप्रियता का ग्राफ उत्तरोत्तर बढ़ता गया है. सातवें संस्करण से जुड़ने के लिए विश्व रंग पोर्टल पर हज़ारों लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवा लिया है. इस आकर्षण की वजह विश्व रंग की लोकतांत्रिक छवि है. यहाँ हर पीढ़ी की रूचि, जिज्ञासा और मनोरंजन के अनुकूल गतिविधियाँ हैं.

डॉ. सिद्धार्थ ने बताया कि विश्व रंग जितना पारंपरिक है उतना ही अपने नवाचार में आधुनिक भी. नए विषय और नए विशेषज्ञों की भागीदारी इसे अपने समय में प्रासंगिक बना रही है. उन्होंने फैज़ल मलिक, दिव्या दत्ता, स्वानंद किरकिरे, राधाकृष्ण पिल्लै, प्रिया मलिक, नीलोत्पल मृणाल, सौरभ द्विवेदी, देवदत्त पटनायक, सुमित अवस्थी, पुष्पेष पंत आदि का जि़क्र करते हुए कहा कि इन शख़्सियतों ने विश्व रंग के आमंत्रण को आत्मीयता से स्वीकार किया है. ये आज के युवाओं के मोटीवेटर और मेंटर हैं.

श्रीकृष्ण लीला का भव्य मंचन

विश्व रंग के बहुरंगी विन्यास की महत्वपूर्ण गतिविधियाँ साझा करते हुए सहनिदेशक डॉ. अदिति चतुर्वेदी वत्स ने बताया कि शुभारंभ संध्या 27 नवंबर का प्रमुख आकर्षण श्रीकृष्ण लीला का भव्य मंचन है. इसे नई दिल्ली के श्रीराम कला केन्द्र के कलाकारों की बड़ी टीम लाईट एण्ड साउण्ट के स्पेशल इफेक्ट्स के साथ प्रस्तुत करेगी. समापन दिवस 30 नवंबर को राजमाता अहिल्याबाई की जीवन गाथा पर केन्द्रित महानाट्य ‘अहिल्या रूपेण संस्थिता' का मंचन रवीन्द्र भवन के अंजनी सभागार में होगा. प्रयास रंग समूह नागपुर के पचास से भी अधिक कलाकारों ने इसे प्रसिद्ध रंगकर्मी प्रियंका शक्ति ठाकुर के निर्देशन में तैयार किया है. इसके अलावा जनजातीय प्रकोष्ठ ‘आदिरंग' में पारंपरिक शिल्पों, नृत्य-संगीत तथा हेरीटेज फ़िल्मों- चंदेरी, गणगौर और संजा के प्रदर्शन होंगे. 

प्रवासी साहित्य तथा संस्कृति शोध केन्द्र के निदेशक डॉ. जवाहर कर्णावट ने ‘विश्व रंग' में प्रतिभागी देशों और उनकी प्रस्तुतियों का विवरण दिया. उन्होंने बताया कि कनाडा, अमेरिका, बेल्जियम, नीदरलैंड, यूक्रेन, इटली, स्वीडन, यूके, कुवैत, म्यांमार, इंडोनेशिया, नेपाल, थाईलैंड, श्रीलंका, आर्मेनिया, रूस, जापान, बांग्लादेश, त्रिनिदाद, गयाना, इजिप्ट, ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, वियतनाम, थाईलैंड, साउथ अफ्रीका, सूरीनाम स्लोवाक, रोमानिया, कतर आदि 35 से अधिक देशों के 60 प्रतिनिधि विश्व रंग में सम्मिलित होंगे. यूक्रेन का आठ विद्यार्थियों का दल हिंदी नाटक प्रस्तुत करेगा. वहीं गिरमिटिया देश में भारतीयों की विकास यात्रा पर आधारित प्रदर्शनी 'कुली से कुलीन' तक को देखना दुर्लभ अनुभव होगा. इसे शोधार्थी दीप्ति अग्रवाल ने संयोजित किया है.

कला संवाद

रवीन्द्र भवन के हंस ध्वनि, अंजनी और गौरांजनी स्थायी सभागारों के अतिरिक्त टैगोर, वनमाली, अभिमन्यु अनत, शांति निकेतन, शारदा और चित्र-वीथि नामकरण से निर्मित सभागारों में समानांतर विचार सत्र होंगे. यहाँ अन्य उल्लेखनीय चित्रकला संवाद और प्रदर्शनी तथा विकसित भारत में साहित्य तथा कलाओं की भूमिका पर परिसंवाद होंगे. देश के प्रख्यात चिंतक, कला गुरू, चित्रकार और शोधार्थियों का महत्वपूर्ण समागम होगा.

दस्तावेज़ी साहित्य का लोकार्पण

विश्व रंग के बुनियादी उद्देश्य और उसकी वैचारिकी पर केन्द्रित महत्वपूर्ण किताबों और पत्रिकाओं के विशेषांकों के लोकार्पण विभिन्न सत्रों में होंगे. पचास से भी अधिक देशों में हिन्दी की रचनात्मकता पर केन्द्रित विस्तृत रिपोर्ट ‘विश्व में हिन्दी' तथा विश्व रंग परिवार की पत्रिकाओं ‘इलेक्ट्रॉनिकी आपके लिए', ‘रंग संवाद', ‘वनमाली कथा' और ‘विश्व रंग संवाद' के विशेषांकों के साथ ही आईसेक्ट प्रकाशन की अन्य पुस्तकों की वृहद श्रृंखला होगी.

जनजातीय प्रकोष्ठ ‘आदिरंग'

विश्व रंग का एक और विशेष प्रकोष्ठ है ‘आदिरंग'. रवीन्द्र भवन में टंट्या भील सभागार आदिरंग की गतिविधियों का केन्द्र होगा. यहाँ जनजातीय साहित्य, संस्कृति, कला और पारंपरिक शिल्प कला कौशल पर एकाग्र वैचारिक सत्रों के साथ ही विश्व रंग फाउण्डेशन द्वारा निर्मित दो हेरिटेज फ़िल्मों ‘गणगौर गाथा' तथा ‘संजा' के प्रदर्शन भी होंगे. इस प्रकोष्ठ में जनजातीय विरासत पर केन्द्रित शिल्पों और चित्रों की दीर्घा भी आकर्षण का केन्द्र होगी. ‘कठपुतली' कला की जनसंचार उपयोगिता पर प्रस्तुति-सह-प्रदर्शन भी होगा.

पारंपरिक व्यंजनों की सौगात

परिकल्पना, संयोजन और विस्तार के अद्वितीय प्रतिमान गढ़ रहे विश्व रंग में आए आगंतुकों को पारंपरिक व्यंजनों की सौगात भी मिलेगी. गुजराती, मराठी, पंजाबी और निमाड़ी व्यंजनों की सुस्वादु श्रृंखला लिए पाक कला के कुशल कारीगर विभिन्न स्टॉलों पर मौजूद रहेंगे.

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