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This Article is From Oct 12, 2023

Vijaya Raje Scindia : ग्वालियर राजघराने की राजमाता ने अपने बेटे के खिलाफ किया था प्रचार...जानें क्या थी वजह

ग्वालियर घराने की राजमाता विजयाराजे सिंधिया की आज 12 अक्टूबर को जयंती है. अपने अलग कार्यों के कारण भारतीय राजनीति में अपना अलग नाम बनाने वाली राजमाता विजयाराजे सिंधिया का नाम राजनीति के हर पन्ने पर दर्ज़ है. राजमाता विजयाराजे सिंधिया की जन्म जयंती पर हम आपको उनसे जुड़ी बातें बताने जा रहे हैं.

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Vijaya Raje Scindia : ग्वालियर राजघराने की राजमाता ने अपने बेटे के खिलाफ किया था प्रचार...जानें क्या थी वजह

Vijaya Raje Scindia : न सिर्फ मध्यप्रदेश की बल्कि देश की राजनीति का जाना माना चेहरा और बीजेपी की कद्दावर नेता ग्वालियर घराने की राजमाता विजयाराजे सिंधिया की आज 12 अक्टूबर को जयंती है. अपने अलग कार्यों के कारण भारतीय राजनीति में अपना अलग नाम बनाने वाली राजमाता विजयाराजे सिंधिया का नाम राजनीति के हर पन्ने पर दर्ज़ है. राजमाता विजयाराजे सिंधिया की जयंती पर हम आपको उनसे जुड़ी बातें बताने जा रहे हैं.

कैसे दिव्येश्वरी नाम की लड़की बनी राजमाता विजयाराजे

12 अक्टूबर 1919 को सागर के राणा परिवार में जन्मीं लेखा दिव्येश्वरी के पिता जालौन के डिप्टी कलेक्टर थे. लेखा दिव्येश्वरी की माता विन्देश्वरी देवी थीं. दिव्येश्वरी की शादी 21 फरवरी 1941 में ग्वालियर के महाराजा जीवाजी राव सिंधिया से हुई और उनका नाम विजयाराजे सिंधिया हुआ. विवाह के बाद राजमाता सिंधिया की 5 संतानें हुईं, उनमें से एक मात्र पुत्र थे.. माधवराव सिंधिया. 

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जन संघ की संस्थापक थी राजमाता

विजया राजे सिंधिया की राजनीति के चर्चे चौतरफ़ा रहे. पहले राजमाता कांग्रेस में थीं, लेकिन इंदिरा गांधी द्वारा राज घरानों की प्रीवी पर्स ख़त्म करने के बाद दोनों में कहासुनी हुई और विजया राजे जन संघ में शामिल हो गईं. इस दौरान उनके बेटे माधव राव सिंधिया भी कुछ समय तक जनसंघ में रहे, लेकिन बाद में उन्होंने कांग्रेस ज्वॉइन कर ली.

धर्मसंकट में पड़ गई थीं राजमाता

जब ग्वालियर से कांग्रेस ने माधवराव सिंधिया को मैदान में उतारा तो जन संघ ने अपना प्रत्याशी अटल बिहारी वाजपेयी को बनाया, लेकिन जनसंघ की संस्थापक राजमाता विजय राजे सिंधिया के सामने धर्म संकट आ गया. राजमाता अटल बिहारी बाजपेयी को अपना पुत्र मानती थीं, वहीं माधव राव सिंधिया भी उनकी 5 संतानों में से एक मात्र पुत्र थे. धर्मसंकट कुछ इस तरह था कि चुनाव में उनके दोनों बेटे अलग-अलग पार्टियों से एक ही सीट के लिए चुनाव लड़ रहे थे, लेकिन राजमाता ने राजनीति में अपने बेटे माधवराव सिंधिया का साथ न देकर पार्टी का साथ दिया. विजय राजे सिंधिया ने अटल बिहारी वाजपेयी को धर्मपुत्र मानकर उनका उस दौरान चुनाव में खूब प्रचार प्रसार किया. तब राजमाता विजय राजे सिंधिया की राजनीति की चर्चा आग की तरह फैल गई और देश भर में उनकी पार्टी के प्रति प्रेम की चर्चा होने लगी.

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