
Free Ration Distribution: राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत मिलने वाले निःशुल्क राशन के लाभ में अब अपात्र परिवारों पर प्रशासन द्वारा अब नकेल कसनी शुरू हो गई है. मध्य प्रदेश सरकार ने अब ऐसे परिवारों को फ्री राशन सुविधा की सूची से बाहर निकालने जा रही है, जिनकी वार्षिक आय छह लाख से अधिक है.
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6 लाख से अधिक आय, फिर भी ले रहे थे मुफ़्त राशन
प्रशासन के अनुसार विदिशा जिले में निःशुल्क राशन का लाभ ले रहे 425 परिवारों ने आयकर विभाग में छह लाख से अधिक वार्षिक आय का रिटर्न दाखिल किया था, जबकि दूसरी ओर वे गरीबी रेखा से नीचे के लाभार्थी के रूप में मुफ्त राशन प्राप्त कर रहे थे. जांच के दौरान इनकी पात्रता संदिग्ध पाई गई, जिसके बाद जिला आपूर्ति विभाग ने सख्त कार्रवाई आरंभ की गई.
निःशुल्क राशन ले रहे 552 परिवारों को भेजा नोटिस
जिला आपूर्ति अधिकारी अनिल तंतुबाय ने बताया कि कुल 552 परिवारों को नोटिस जारी किए गए थे. इनमें से 30 परिवारों ने स्वेच्छा से अपने नाम राशन सूची से हटवाने का आवेदन दिया. वहीं, 97 परिवारों ने प्रशासन से पुनः पात्रता सिद्ध करने के लिए समय मांगा, जबकि 425 परिवारों ने कोई जवाब नहीं दिया है. ऐसे परिवारों नाम हटाने की कार्रवाई शुरू कर गई है.
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स्वेच्छा से नाम हटवाने वालों की मिसाल
रिपोर्ट के मुताबिक राशन सूची से स्वयं नाम हटाने वालों में कमलेश विश्वकर्मा, मथुरा प्रसाद अहिरवार, अजय चौहान, अनुज शर्मा, संपदा अग्रवाल, नीरज कुशवाह, प्रियंका शर्मा, आर्यिका त्रिपाठी समेत कई जागरूक नागरिक शामिल हैं. इन लोगों ने कहा कि “जब आय और स्थिति बेहतर हो चुकी है, तो सरकारी मदद लेना सही नहीं है”
प्रशासन का अपात्रों के खिलाफ संदेश
जिला प्रशासन ने जबरन निः शुल्क राशन का लाभ लेने वाले को स्पष्ट किया है कि फ्री राशन योजना केवल वास्तविक जरूरतमंदों के लिए है. जिन लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत है, उन्हें इस योजना से लाभ लेना बंद करना चाहिए. पात्रता की जांच के लिए आगे भी समय-समय पर सर्वे किए जाएंगे.
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फ्री राशन योजना का उद्देश्य
मध्य प्रदेश में गरीब परिवारों को खाद्यान्न सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू है. इसके तहत गरीब परिवारों को प्रति सदस्य प्रति माह 5 किलो अनाज निःशुल्क दिया जाता है, लेकिन लंबे समय से यह शिकायतें आ रही थीं कि कई सक्षम परिवार भी इस योजना का लाभ उठा रहे हैं.
जनता में मिली मिश्रित प्रतिक्रिया
कुछ नागरिकों ने विदिशा जिला प्रशासन की इस कार्रवाई को “सकारात्मक कदम” बताया है, जिससे वास्तविक जरूरतमंदों को न्याय मिलेगा. हालांकि जिला प्रशानस की कार्रवाई पर कुछ लोगों का कहना है कि पात्रता जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता और समय पर सूचना देना भी जरूरी है.
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क्या होगा संभावित अगला कदम
उल्लेखनीय है अपात्रों के खिलाफ कार्रवाई पर आपूर्ति विभाग ने संकेत दिया है कि आगे शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी इस तरह की पात्रता जांच अभियान चलाया जाएगा. इससे यह सुनिश्चित होगा कि सरकारी अनाज केवल उन्हीं तक पहुंचे जिन्हें वास्तव में इसकी आवश्यकता है.