
Veer Bal Diwas: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने 26 दिसंबर वीर बाल दिवस के अवसर पर कहा कि गुरु गोविंद सिंह के दो बेटों की वीरता और बलिदान को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा. सिख गुरु के बेटों साहिब जोरावर सिंह और साहिब फतेह सिंह, जिन्हें 'साहिबजादे' कहा जाता है, की शहादत को चिह्नित करने के लिए 2022 से 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाया जाता है. सीएम मोहन यादव ने एक कार्यक्रम में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीर बाल दिवस मनाने की शुरुआत की ताकि सभी लोग दो बहादुरों के बलिदान को याद कर सकें, जिन्होंने देश और धर्म की रक्षा के लिए खुशी-खुशी अपने प्राणों की आहुति दे दी. यादव ने कहा कि उनकी वीरता और बलिदान को मध्य प्रदेश के स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा ताकि हर पीढ़ी को उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में पता चले. वहीं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने गुरु गोविंद सिंह के वीर साहिबजादों के बलिदान की कहानी छत्तीसगढ़ के स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की घोषणा की है.
सीएम साय ने क्या कहा?
रायपुर के मेडिकल कॉलेज सभागार में आयोजित बौद्धिक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी के वीर साहिबजादों, बाबा जोरावर सिंह जी और बाबा फतेह सिंह जी के अमर बलिदान की कहानी अब छत्तीसगढ़ के स्कूली बच्चों को पढ़ाई जाएगी. सीएम साय ने कहा कि वीर साहिबजादों की वीरता की यह कहानी देश के युवाओं को साहस के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी. उन्होंने गुरु गोविंद सिंह और वीर साहिबजादों का पुण्य स्मरण करते हुए कहा कि हमें उनकी शिक्षाओं को अपनाना चाहिए और नयी पीढ़ी को उनके आदर्शों से जोड़ना चाहिए.
साय ने कहा कि भारत की प्रत्येक पीढ़ी गुरु गोविंद सिंह जी एवं उनके साहिबजादों के बलिदान को सदैव याद रखेगी. देश के लिए जीना और देश के लिए जरुरत पड़ने पर अपने प्राणों की आहुति देने की प्रेरणा हमें वीर बाल दिवस से मिलती है. उन्होंने कहा कि वीर बाल दिवस हमें राष्ट्र की एकता और अखंडता का भी स्मरण कराता है.
भारत का चरित्र मूल रूप से सामाजिक समरसता का रहा : CM साय
मुख्यमंत्री ने कहा, “समाज को तोड़ने वाली ताकतें हर दौर में सक्रिय रहती हैं. लेकिन श्री गुरु गोविंद सिंह और उनके साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह जी और बाबा फतेह सिंह जैसे वीर जिस धरती पर जन्म लेंगे उसकी ओर कोई आंख उठाकर भी नहीं देख सकता. बाबा जोरावार सिंह जी और बाबा फतेह सिंह किसी एक धर्म या पंथ के लिए प्रेरणास्रोत नहीं हैं. वह संपूर्ण भारत के लिए अनुकरणीय हैं. साय ने कहा कि भारत का चरित्र मूल रूप से सामाजिक समरसता का रहा है. हमारे देश में कट्टरता और उन्माद को कभी जगह नहीं मिली। हमारा प्रदेश छत्तीसगढ़ उसका सबसे अच्छा उदाहरण है.
यह भी पढ़ें : Veer Bal Diwas 2024: क्या है दो साहिबजादों की शहादत का इतिहास, 'वीर बाल दिवस' पर 17 बच्चों का सम्मान
यह भी पढ़ें : Salman Khan Birthday: इंदौर से लेकर 'सिकंदर' तक सफर, जानिए सलमान खान से जुड़े रोचक पहलू
यह भी पढ़ें : Transfer List: यहां एक साथ इतने पुलिसकर्मी हुए इधर से उधर, जानिए SP ने क्यों लिया ऐसा फैसला?
यह भी पढ़ें : ऐसा था पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का सफर, इन उपलब्धियों और सफलताओं के लिए हमेशा किए जाएंगे याद