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रिश्तेदारों ने किया किनारा, गांजर गांव में इसलिए अब नहीं आते शादी के लिए रिश्ते, जानें पूरा मामला?

Youth Not Getting Marriage Proposals: गर्मी आते ही गांजर गांव के सारे कुंए सूख जाते हैं. कुआं सूखने से गांववालों को पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ता है. घर की महिलाओं को दूर तालाब के पानी पर निर्भर होना पड़ता है. यही कारण है कि लोग गांजर गांव में बेटी ब्याहने से पहले 100 बार सोचते हैं. 

रिश्तेदारों ने किया किनारा, गांजर गांव में इसलिए अब नहीं आते शादी के लिए रिश्ते, जानें पूरा मामला?
Umaria Ganger Village of Youth Not Getting Marriage Proposals

Drinking Water Crisis: मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य जिले उमरिया जिले के युवाओं की बढ़ती गर्मी वजह से शादी नहीं पा रही है. जिले के गांजर गांव में पारा बढ़ने से कुएं सूख जाते हैं, जिससे पीने की पानी का संकट बढ़ जाता है, जिससे दूसरे गांव में गांजर गांव में अपनी बेटी ब्याहने से कतराते हैं, जिससे यहां युवाओं की शादी पर संकट मंडराने लगता है. 

गर्मी आते ही गांजर गांव के सारे कुंए सूख जाते हैं. कुआं सूखने से गांववालों को पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ता है. घर की महिलाओं को दूर तालाब के पानी पर निर्भर होना पड़ता है. यही कारण है कि लोग गांजर गांव में बेटी ब्याहने से पहले 100 बार सोचते हैं. 

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हर साल गर्मियों में जल संकट से कराहने लगता है गांजर गांव

रिपोर्ट के मुताबिक करकेली ब्लॉक स्थित मझौली ग्राम पंचायत का गांजर गांव में हर साल गर्मियों के दिनों में कराहने लगता है. इसे जल संकट का असर ही कहेंगे कि गांव के युवाओं को शादी के लिए रिश्तों तक नहीं मिलते हैं. इससे युवाओं को दोयम रिश्तों में बंधना पड़ता है, लेकिन दशकों से जारी जल सकंट का सुध लेने वाला कोई नहीं है.

गांजर गांव में अब तक नहीं पहुंचा नल-जल योजना का लाभ

गौरतलब है गांजर गांव में पीने की पानी का संकट से कुंवारों की शादी के लिए रिश्ते आने कम हो जाते हैं. गांव के लोग बताते हैं कि पुराने कुएं का पानी हर साल गर्मी में सूख जाता है, शासन की नल-जल योजना भी घरों में पानी नहीं पहुंच पा रही है, मजबूरी में गांव के लोग नदी की तलछट, पोखरे में भरे पानी के सहारे जिंदगी गुजराने को मजबूर हैं.

ये गांव हर साल गर्मियों के दिनों में पानी की कमी से जूझने लगता है. इसे जल संकट का असर ही कहेंगे कि गांव के युवाओं को शादी के लिए रिश्ते तक नहीं मिल रहे हैं, लेकिन दशकों से जल सकंट की त्रासदी झेल रहे गांजर गांव की सुध लेने वाला कोई नहीं है.

पानी के लिए सुबह बर्तन के लेकर घर से निकलती है महिलाएं

बताया जाता है गांजर गांव की महिलाएं पीने की पानी के लिए रोजाना हर सुबह से बर्तन के लेकर घर से निकलती है और रातभर गढ्ढों में जमा हुए पानी को तेज धूप में ढोकर पीने का पानी लेकर आती है, जिससे पूरे दिन पीने की पानी की जरूरतों को पूरा कर पाती हैंं.

जल स्तर नीचे चला जाता है कि बोरिंग भी असफल हो जाते हैं

उमरिया डिंडोरी के बीच सीमा पर बसा गांजर गांव का पूरा क्षेत्र पथरीला व ऊंचाई पर होने के कारण हर साल गर्मी में जल संकट उत्पन्न हो जाता है. पूर्व में पीएचई विभाग द्वारा पेयजल आपूर्ति का प्रयास करते हुए नल-जल योजना की स्थापना भी की थी, लेकिन जल स्तर इतना नीचे चला जाता है कि बोरिंग भी असफल हो जाते हैं.

पूर्व में पीएचई विभाग द्वारा पेयजल आपूर्ति का प्रयास करते हुए नल-जल योजना की स्थापना भी की थी, लेकिन जल स्तर इतना नीचे चला जाता है कि बोरिंग भी असफल हो जाते हैं, जिससे दशकों से लोगों की समस्या जस की तस बनी हुई है.

 विधायक सरकार में कैबिनेट मंत्री बन गए, लेकिन सूरत अब तक नहीं बदली

कमोवेश यह स्थिति गांजर के साथ ही आसपास के दर्जनों गांवों की है. हैरत की बात तो यह है कि आदिवासी बाहुल्य उमरिया जिले से पिछले दो बार विधायक चुने गए मध्यप्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री तक पहुंच चुके हैं, लेकिन जिले के लोग आज भी पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं.

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