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यहां खतरनाक स्तर तक गिर गया भू-गर्भ जल, हैंडपंप और कुएं सूखने से बूंद- बूंद पानी को तरस रहे लोग

Ground Water Crisis: गर्मी शुरू होते ही दर्जनभर गांवों के भूजल स्तर में गिरावट आने से हैंडपंप व कुएं सूख गए, इससे लोग भीषण पेयजल संकट से जूझने लगे हैं. जल संकट का असर है कि लोगों को वाटर टैंक के भरोसे रहना पड़ रहा है, लेकिन सप्लाई नाकाफी होने से ग्रामीणों की परेशानी बढ़ गई है. 

यहां खतरनाक स्तर तक गिर गया भू-गर्भ जल, हैंडपंप और कुएं सूखने से बूंद- बूंद पानी को तरस रहे लोग
Balodabazar village severly facing water crisis due to Ground water fallen

Ground Water Crisis: बलौदा बाजार जिले में भीषण गर्मी के चलते पेयजल संकट ने विकराल रूप ले लिया है. जिले के सुहेला विकासखंड क्षेत्र के ग्राम रावन, झीपन और आसपास के कई गांवों में बूंद- बूंद पानी के लिए लोग तरस रहे हैं. गर्मी शुरू होते ही भूजल स्तर में आई गिरावट से गांवों में लगे हैंडपंप और कुएं सूखने से दर्जनों गांवों में त्राहिमाम मचा हुआ है.

गर्मी शुरू होते ही दर्जनभर गांवों के भूजल स्तर में गिरावट आने से हैंडपंप व कुएं सूख गए, इससे लोग भीषण पेयजल संकट से जूझने लगे हैं. जल संकट का असर है कि लोगों को वाटर टैंक के भरोसे रहना पड़ रहा है, लेकिन सप्लाई नाकाफी होने से ग्रामीणों की परेशानी बढ़ गई है. 

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गर्मी बढ़ने से भू-गर्भ का जल स्तर खतरनाक स्तर तक गिरा

गौरतलब है मार्च की शुरुआत से ही बलादौबाजार जिले में पेयजल संकट शुरू हो गई थी, लेकिन अप्रैल से लेकर मई की शुरुआत तक तापमान 40 से 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने से जमीन के अंदर का जल स्तर खतरनाक स्तर तक नीचे गिर गया है, जिससे अधिकांश गांवों के हैंडपंप ने पानी उगलना ही बंद कर दिया है. भीषण गर्मी ने बोरिंग को भी सुखा दिया हैं.

सार्वजनिक जल स्रोतों से पानी आना पूरी तरह बंद हो गया

रिपोर्ट के मुताबिक भीषण गर्मी में कई गांवों में सार्वजनिक जल स्रोतों से पानी आना पूरी तरह बंद हो गया है. इधर बढ़ते तामपान ने जल संकट को और विकराल बना दिया है. सुहेला ब्लॉक के दर्जनों गांवों में पीने के पानी के लिए लोगों को कई किमी दूर तक पैदल चलकर पानी लाना पड़ रहा है.

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विकराल गर्मी का असर है कि कुछ गांवों में प्राकृतिक जलस्त्रोत सूख गए हैं, इससे लोगों को नजदीकी गांवों से पानी ढोना पड़ रहा है. जिन गांवों में पानी टैंक से भेजा जा रहा है, वहां भी पानी 24 घंटे में सिर्फ एक बार सप्लाई होती है. ऐसे में टैंक के पीछे लगी लंबी लाइनें लग जाती हैं. 

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वाटर टैंक से भी गांव वालों को नहीं मिल रही राहत

वर्तमान में बालौदाबाजार जिले के ग्रामीण इलाकों की आशा का केंद्र पानी के टैंकर बन गए हैं, लेकिन टैंक भी सभी की जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहे. जिला प्रशासन संकट ग्रस्त गांवों में पानी के टैंकर भेजे रहे हैं, लेकिन टैंकरों की संख्या कम होने और एक दिन में केवल एक बार पानी मिलने से ग्रामीणों की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं.

टैंकर के पीछे लोगों को लगानी पड़ रही हैं लंबी लाइन

ग्रामीणों का कहना है कि टैंकरों से 24 घंटे में एक बार पानी मिल पा रहा है, जो पर्याप्त नहीं होता है. इससे घर-परिवार के सारे काम प्रभावित हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि तपती दोपहर में 12 से 1 बजे के बीच टैंकर आता है, इसमें बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं पानी भरने के लिए लाइन लगाकर पानी का इंतजार करना पड़ रहा हैं.

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पानी को लेकर हुए एक झगड़े के बाद अब एक परिवार को महज 20 मिनट ही पानी लेने की अनुमति है. इससे अब एक बाल्टी पानी के लिए लोग एक-दूसरे से झगड़ रहे हैं. इस झगड़े को देखते हुए कई परिवार रोज दो से तीन किमी दूर पैदल चलकर पड़ोसी गांव से पानी ढोने को मजबूर हैं.

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पानी जुटाना ग्रामीणों के लिए बना हर दिन का जंग

गांव की महिलाएं बताती हैं कि गांव के लोग सुबह से ही पानी की चिंता लगी रहती है. पेयजल संकट के चलते घर के सारे काम ठप हो जाते हैं. रावण गांव की लीना तिवारी कहती हैं कि गांव के सभी सार्वजनिक बोरिंग गर्मी में सूख चुके हैं, वाटर टैंकर की सप्लाई से पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता, इसलिए उन्हें दूसरे गांवों से जरूरत का पानी लाना पड़ रहा है.  

महज 20 मिनट ही पेजजल लेने की मिली है अनुमति 

बताया जाता है पानी को लेकर एक समाज के लोगों के बीच में झगड़ा हो गया, जिसके चलते अब एक परिवार को महज 20 मिनट ही पानी लेने की अनुमति दी गई है. हालत यह है कि लोग एक बाल्टी पानी के लिए एक-दूसरे से झगड़ रहे हैं. इस झगड़े को देखते हुए कई परिवार रोज दो से तीन किमी दूर पैदल चलकर पड़ोसी गांव से पानी ढोने को मजबूर हैं.

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