
मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बच्चों के आधार कार्ड बनाने और अपडेट करने के लिए 18 अगस्त से स्कूल शिक्षा विभाग और यूआईडीएआई विशेष अभियान शुरू कर रहा है, जिसका नाम "विद्यार्थी के लिए आधार, अब विद्यालय के द्वार” रखा गया है.
इस अभियान के दौरान सरकारी स्कूलों में ही आधार नामांकन और अपडेट शिविर लगाए जाएंगे. यह अभियान खासतौर पर बच्चों के अनिवार्य बायोमेट्रिक अपडेट (एमबीयू) पर केंद्रित रहेगा. इसमें बच्चों के आधार कार्ड में उंगलियों के निशान, आईरिस स्कैन और फोटो अपडेट किए जाएंगे.
जानें कैसे होगा आधार अपडेट
नियम के मुताबिक पहला बायोमेट्रिक अपडेट तब जरूरी होता है, जब बच्चा 5 साल का हो जाए. यह 5 से 7 साल की उम्र में निःशुल्क है. 7 साल की उम्र के बाद अपडेट कराने पर शुल्क लगेगा. इसी तरह, दूसरा अपडेट 15 साल की उम्र में जरूरी है. यह 15 से 17 साल तक मुफ्त रहेगा, लेकिन 17 साल के बाद शुल्क देना होगा.
आपार आईडी के लिए भी जरूरी है आधार
अपडेटेड आधार कार्ड बच्चों के स्कूल प्रवेश, प्रवेश परीक्षा, छात्रवृत्ति और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) जैसी योजनाओं के लिए जरूरी है. इसके साथ ही सरकार छात्रों की 100 फीसदी आधार आधारित यूनिक आपार आईडी बनाने का लक्ष्य भी लेकर चल रही है. यह आईडी छात्रों के सभी शैक्षणिक रिकॉर्ड, जैसे मार्कशीट, डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट, को डिजिटल रूप से सुरक्षित और आसानी से उपलब्ध कराएगी.
इन तारीखों में बनाए जाएंगे आधार
आधार शिविरों का पहला चरण 18 अगस्त से प्रदेश के 40 जिलों में एक साथ शुरू होगा और यह एक से दो महीने तक चलेगा. इसके बाद बचे हुए 15 जिलों में दूसरा चरण सितंबर के पहले हफ्ते से शुरू होगा. पहले चरण में जिन इलाकों में सबसे ज्यादा बायोमेट्रिक अपडेट लंबित हैं, वहां के स्कूलों को प्राथमिकता दी गई है. अभियान के सफल संचालन के लिए जिला प्रशासन को शिविरों का व्यापक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थी इसका लाभ उठा सकें.
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दरअसल, आधार शिविरों की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए यूआईडीएआई ने हर जिले में उन पिन कोडों की पहचान की है, जहां अनिवार्य बायोमेट्रिक की पेंडेंसी सबसे ज्यादा है. स्कूल शिक्षा विभाग ने मुख्य रूप से इन पिन कोडों के अंतर्गत आने वाले सरकारी स्कूलों को शिविरों के लिए चुना है.
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