
Tiger in Madhya Pradesh: बेहद शानदार और रौबदार जानवर बाघों को मध्यप्रदेश की आबोहवा खूब रास आती है...तभी तो लगातार दो बार से मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट(Tiger State) का गौरव हासिल हुआ है. लेकिन अब इस तमगे पर दाग लगने शुरू हो गए हैं. दरअसल राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority) के आंकड़ों के मुताबिक मध्यप्रदेश में हर दसवें दिन एक बाघ की मौत हो रही है. इसकी कई वजहें हैं. बीते दिनों ही बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (Bandhavgarh Tiger Reserve) में 15-18 महीने के एक युवा बाघ का शव मिला है, वन विभाग के मुताबिक एक वयस्क बाघ से लड़ाई में उसकी मौत हो गई. हालांकि मौत का सही कारण पोस्टमॉर्टम के बाद ही पता चलेगा.

एनटीसीए यानी राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के मुताबिक साल 2023 में मध्यप्रदेश में 41 बाघों की मौत हुई है जो साल 2022 में हुई मौतों से 30 फीसदी ज्यादा है. मध्यप्रदेश से ज्यादा सिर्फ महाराष्ट्र में 44 बाघों की मौत हुई है. मतलब इस दर्दनाक आंकड़ों की सूची में मध्यप्रदेश दूसरे पायदान पर है. परेशान करने वाली बात ये है कि इन 41 में से 30 बाघों की मौत टाइगर रिजर्व में हुई है. सबसे ज्यादा 13 मौतें बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व, 8 कान्हा टाइगर रिजर्व और इसके बाद 4 मौतें पन्ना टाइगर रिजर्व में हुई हैं. जिन बाघों की मौत हुई है उनमें 19 नर, 15 मादा हैं 7 के बारे में जानकारी नहीं मिल पाई.
हम अपनी पीठ भले थपथपा रहे हैं कि टाइगर प्रोजेक्ट की 50वीं वर्षगांठ पर 2023 में देश में बाघों की संख्या 2967 से बढकर 3167 हो गई है. पिछली गणना के मुताबिक मध्यप्रदेश के 6 टाइगर रिजर्व में 526 बाघ थे जो और बढ़ गये. लेकिन बाधों की मौतों की बढ़ती संख्या चिंता का सबब है.
क्या वजहें हो सकती है मौतों की?
दरअसल मध्यप्रदेश में टाइगर की संख्या भी सबसे अधिक है. ऐसे में कहा जाता है कि टरेटरी की लड़ाई में बाघों की जान जा रही है. इसके अलावा शिकार भी एक बड़ी वजह है. कुछ बाघ बीमारी की वजह से भी मौत के आगोश में समा जाते हैं. आपको ये भी बता दें कि एनटीसीए बाघों की मौत को डेटाबेस में तभी दर्ज करती है जब राज्य सरकार का कोई प्रामाणिक स्रोत इसकी पुष्टि करता है. किसी तीसरे सोर्स से यदि सूचना मिलती है तो उसे एनटीसीए दर्ज नहीं करती.
ये भी पढ़ें: Viral News: क्या आप समोसे खाने के हैं शौकीन, तो ये खबर पढ़ने के बाद आपके उड़ जाएंगे होश