विज्ञापन
Story ProgressBack

1100 साल पुरानी तरकीब ! रायसेन किले में ऐसे बचाते थे साल भर का पानी 

Raisen Quila : बारिश के पानी को सहेजने के लिये आज भी इस किले पर चार बड़े और लगभग 84 छोटे टाके कुंड मौजूद हैं जिनमें साल भार बारिश के पानी को सहेज कर रखा जाता है. ऐसे में आइए इस किले के रेन वाटर सिस्टम के बारे में जानते हैं.

Read Time: 6 mins
1100 साल पुरानी तरकीब ! रायसेन किले में ऐसे बचाते थे साल भर का पानी 
1100 साल पुराना रायसेन का किला, इस खास तरकीब से बचाते थे साल भर का पानी

Know Your State : देश में जहां गर्मियों के समय आज भी कई शहर सूखे की मार झेल रहे हैं. वहीं, मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में बना हुआ 1100 साल पुराना ऐतिहासिक किला 21वी सदी में अपनी बेहतरीन रेन वाटर सिस्टम टेक्नोलॉजी के लिए खूब जाना जाता है. बारिश के पानी को सहेजने के लिये आज भी इस किले पर चार बड़े और लगभग 84 छोटे टाके कुंड मौजूद हैं जिनमें साल भार बारिश के पानी को सहेज कर रखा जाता है. ऐसे में आइए इस किले के रेन वाटर सिस्टम के बारे में जानते हैं.

कितनी जमीन में फैला हुआ ?

रायसेन... मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 45 किलोमीटर दूर रायसेन शहर के मध्य 1500 फिट ऊंची पहाड़ी पर यह किला आज भी मौजूद है. इस किले पर जाने केलिए तीन मुख्य रास्ते बने हुऐ है जिनपर बने विशाल प्रवेश द्वार आपका स्वागत करते है किले के चारों तरफ लगभग 4-5 फिट चौड़ी दीवारें बनी हुई है जो उस समय किले की सुरक्षा को ध्यान में रखा कर बनाई गई थी. ये किला लगभग 1 किलोमीटर के क्षेत्र मे फेला हुआ है. किले के अंदर दो से तीन मंजिला कई इमारते है जिनकी छतों से गिरने वाला बारिश का पानी छोटी छोटी नालियों के माध्यम से किले के अंदर बनी हुई बाबड़ी और तालाबों मे स्टोर होता है जिसका इस्तेमाल साल भार किया जाता है.

जानिए किले का इतिहास

रायसेन किले को 10 से 11 शताब्दी के दौरान तत्कालीन रायसेन के राजा ने बनवाया था. उस समय इसके दुर्ग मे लगभग 15 से 20 हज़ार सैनिक राजा और उसकी प्रजा रहा करती थी. किले के निर्माण के समय पानी की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए यहां पर चार बड़े तालाब बनाए गए थे. तब लगभग 84 छोटे टैंक कुंड बनाए गए थे. इन कुंडो को छोटी-छोटी नालियों के माध्यम से किले की कंधराओं और इमारतों से गिरने वाले पानी की नालियों से जोड़ा गया था. जिसमें बारिश का साफ शुद्ध पानी साफ होते हुए जल कुंड में सहेजा जाता था.

1100 साल बाद भी झलकियां मौजूद

इस पानी का इस्तेमाल भर राजा और उसकी प्रजा किया करती थी 1500 फीट की ऊंचाई पर होने के बाद भी पानी के लिए राजा को मैदानी क्षेत्रों में उतरने की जरूरत नहीं थी. आज रायसेन शहर की आबादी लगभग 45 से 50 हज़ार से ऊपर होने को है. आज के ज़माने शासन तरफ से लोगों के लिए पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराना एक चुनौती साबित हो रहा है पर वही आज भी इस 1100 साल पुराने किले पर रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम चालू है जो वर्तमान जल प्रबंधन को चुनौती दे रहा है. रायसेन दुर्ग पर आने वाले ज्यादातर पर्यटक इन्हीं जल कुंड से अपनी प्यास बुझाते हैं.

..... लेकिन देख-रेख के अभाव में हुआ बदहाल

वहीं कुछ साल पहले तक रायसेन किले की तलहटी पर बनाए गए उस समय के टांके का पानी रायसेन शहर में पहुंचाया जाता था.आज रायसेन शहर मे लगभग 32 करोड़ रुपए खर्च कर हलाली डैम से पानी लाया जाता है जो शहर वासियों की जरूरत को पूरा नहीं कर पाता. वहीं, देख रेख के अभाब मे ये प्राचीन जल स्रोत नष्ट होने की कगार पर है. 1100 साल पहले बनाई गई इस जल प्रबंधन की व्यवस्था से आज के युवाओं और प्रशासन को सीख लेनी चाहिए जिससे कि शहर और देश के अन्य इलाकों में पेयजल जैसी समस्या का समाधान करते हुए पर्याप्त पानी उपलब्ध कराया जा सके.

ये भी पढ़ें : जानलेवा हुई गर्मी ! ग्वालियर में एक दिन में 4 लोगों की मौत, जानें- कहां है कितना तापमान

कई ऐतिहासिक मूर्तियां भी मिली

युग युगीन रायसेन पुस्तक के लेखक राजीव लोचन चौबे बताते हे कि रायसेन दुर्ग पर छठवीं सातवीं शताब्दी की मूर्तियां मिली है जो बताती हैं कि उसे समय भी यह दुर्ग विद्यमान था. तीन दिन का NDTV ने यहां पर सर्वे किया था जिसमें देश भर के पुरातत्व विख्यात आए हुए थे. वहां जो पुरातत्व साक्षय मिले उसे यह तय हुआ कि यह काम से कम गुप्ता कल से पुराना है. पहले यहां पर आदिमानव रहा करते थे. यहां पर एक रॉक शेल्टर भी हैं जिन्हें बाद में कट करके बाउंड्री वॉल बनाई गई थी.

किले में कभी नहीं हुई पानी की कमी

तब के समय सबसे बड़ी समस्या यह आई थी कि जब दुश्मन किले पर हमला करते थे तो चारों तरफ वह घेरा डालते थे ताकि लोग बाहर ना जा पाए अंदर जल और अन्न की व्यवस्था खत्म होने पर लोगों को बाहर आना पड़ता था. पर रायसेन किले की स्थिति यह रही कि इनको जल और अन्न के संकट की वजह से अभी किला खाली नहीं करना पड़ा उस समय जो इन्होंने जल संरचनाएं बनाई थी उसकी वजह से इन्हें कभी पानी की कमी नहीं हुई.

यह भी पढ़ें - Heat Wave: छ्त्तीसगढ़ में जारी है गर्मी का कहर, अधिकांश जिलों में पारा 45 से ऊपर

आज के समय में पानी की किल्लत

तब बड़े-बड़े तालाब थे जो किले के निर्माण के दौरान बनाए गए हर महल के नीचे एक बड़ा वाटर टैंक हुआ करता था जिसमें बरसात का पानी छत के रास्ते से नीचे आया करता था और साल भर वह पीने के इस्तेमाल में आता था. इसके अलावा वहां 84 टैंक थे और 6 बड़े तालाब थे. वहीं, आज के समय को लेकर बात की जाए तो यह बड़ी विडंबना है कि हमने पहाड़ के ऊपर जल संरक्षण किया पर अभी जमीन पर नहीं कर पा रहे हैं. पानी का दोहन जरूरत से ज्यादा बड़ा है. सिंचाई पहले सीमित हुआ करती थी लेकिन अब बहुत बढ़ गई है... इसके अलावा उत्खनन भी बहुत बढ़ गया है. अब कुई बावड़ियों का अस्तित्व ही समाप्त हो गया.वह बस देखने के लिये रह गई है.

क्या बोले जिला कलेक्टर अरविंद?

रायसेन जिले के ऐतिहासिक धरोहर के बारे में जब जिला कलेक्टर अरविंद कुमार दुबे से बात की गई तो उन्होंने बताया कि पेयजल ग्राउंडवाटर इस समय की बड़ी आवश्यकता है और उसे संजो कर रखना उतना ही महत्वपूर्ण है. जहां तक रायसेन किले की बात है जैसा कि हम जानते हैं जब किले बनते थे तो उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाता था... खाने और पानी के मामले में भी किले को आत्मनिर्भर बनाया जाता था. उस समय जो भी इंजीनियरिंग इस्तेमाल की गई थी उसे समय ध्यान रखा गया था कि पानी की पर्याप्त व्यवस्था रहे. पर अभी भी वहां की जो रेन वाटर प्रणाली है उसमें आज भी बारिश के पानी को संजोकर रखा जाता है.

यह भी पढ़ें - MP Today Weather: MP में 48 डिग्री का टॉर्चर, लू के थपेड़ों से जीना हुआ मुहाल

MPCG.NDTV.in पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार,लाइफ़स्टाइल टिप्स हों,या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें,सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
NDTV Madhya Pradesh Chhattisgarh
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Previous Article
मध्य प्रदेश में कर्मचारियों के उच्च वेतन पर हाईकोर्ट की सख्ती, सरकार को तीन हफ्ते का दिया अल्टीमेटम 
1100 साल पुरानी तरकीब ! रायसेन किले में ऐसे बचाते थे साल भर का पानी 
EK PED MAA KE NAAM MP Government Deputy CM Rajendra Shukla planted saplings in Laxman Bagh launched campaign
Next Article
पौधारोपण अभियान के तहत रीवा में रोपे जाएंगे 25 हजार पेड़, लक्ष्मण बाग में डिप्टी सीएम ने लगाया सुंदरजा आम
Close
;