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MP High Court: हाईकोर्ट ने गेस्ट फैकल्टी शिक्षकों को दी राहत, जानिए शिक्षक भर्ती मामले में क्या कहा?

MP Teachers Recruitment: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता में पारित आदेश में कहा गया कि "चयन प्रक्रिया इस याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन रहेगी. यदि याचिका स्वीकार की जाती है, तो राज्य शासन याचिकाकर्ताओं के लिए विशेष परीक्षा आयोजित करने हेतु बाध्य होगा.”

MP High Court: हाईकोर्ट ने गेस्ट फैकल्टी शिक्षकों को दी राहत, जानिए शिक्षक भर्ती मामले में क्या कहा?
MP Teachers Recruitment: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का अहम फैसला

MP High Court on Teachers Recruitment: मध्यप्रदेश शिक्षक भर्ती (Teachers Recruitment) पर हाईकोर्ट (MP High Court) ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि गेस्ट फैकल्टी को दरकिनार नहीं किया जा सकता. कोर्ट के फैसले अब विशेष परीक्षा का रास्ता खुल गया है. दरअसल मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने मिडिल स्कूल शिक्षक भर्ती-2023 में गेस्ट फैकल्टी शिक्षकों को बड़ी राहत दी है. रिट याचिका (Writ Petition No. 10815/2025) पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने स्पष्ट किया कि चयन प्रक्रिया अभी केवल अंतरिम रूप से जारी रहेगी और उसका अंतिम परिणाम कोर्ट के निर्णय पर निर्भर करेगा. सबसे अहम बात यह रही कि कोर्ट ने माना कि यदि याचिकाकर्ता सफल होते हैं, तो राज्य सरकार को उनके लिए विशेष परीक्षा आयोजित करनी होगी. यह आदेश उन हजारों गेस्ट फैकल्टी के लिए उम्मीद की किरण बनकर आया है, जो विभाग में वर्षों की सेवा के बावजूद अनुभव प्रमाण पत्र अपलोड न कर पाने के कारण आवेदन से वंचित रह गए थे.

क्या है मामला?

2023-24 की शिक्षक भर्ती में पहली बार मप्र कर्मचारी चयन मंडल (MPESB) ने गेस्ट अनुभव प्रमाण पत्र को ऑनलाइन आवेदन में अनिवार्य दस्तावेज घोषित कर दिया. लेकिन कई जिलों में प्राचार्य और संबंधित अधिकारी निर्धारित प्रारूप में प्रमाण पत्र जारी नहीं कर पाए. फलस्वरूप, बड़ी संख्या में योग्य गेस्ट फैकल्टी आवेदन ही नहीं कर सके.

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता धीरज तिवारी एवं विकास मिश्रा ने दलील दी कि यह नियम बदलाव बिना पर्याप्त समय और स्पष्ट दिशा-निर्देशों के लागू किया गया.

कोर्ट का फैसला

मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता में पारित आदेश में कहा गया कि "चयन प्रक्रिया इस याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन रहेगी. यदि याचिका स्वीकार की जाती है, तो राज्य शासन याचिकाकर्ताओं के लिए विशेष परीक्षा आयोजित करने हेतु बाध्य होगा.”

यह आदेश न केवल एक कानूनी राहत है, बल्कि उन गेस्ट शिक्षकों के मनोबल को भी बल देता है, जिन्होंने वर्षों तक अल्प वेतन पर सेवाएं दीं और अब भर्ती प्रक्रिया से तकनीकी कारणों से बाहर किए जा रहे थे*

हाईकोर्ट का यह फैसला केवल एक भर्ती प्रक्रिया पर नहीं, बल्कि शिक्षकों की गरिमा और सेवाकाल के मूल्यांकन पर भी गहरी टिप्पणी है. अब देखना होगा कि शासन किस तरह विशेष परीक्षा की योजना बनाता है और कितनी पारदर्शिता से आगे बढ़ता है.

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