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Swachh Survekshan 2023: इंदौर ने 7वीं बार जीता सबसे स्वच्छ शहर का खिताब, जानिए लगातार क्यों मिल रहा है पुरस्कार

Swachh Survekshan 2023 Awards : इंदौर नगर निगमके अधिकारियों ने बताया कि शहर के 4.65 लाख घरों और 70,543 वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के अपशिष्ट की प्राथमिक स्रोत पर ही सुव्यवस्थित छंटाई की जाती है और अलग-अलग संयंत्रों में इस कचरे का प्रसंस्करण व निपटान किया जाता है.

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Swachh Survekshan 2023: इंदौर ने 7वीं बार जीता सबसे स्वच्छ शहर का खिताब, जानिए लगातार क्यों मिल रहा है पुरस्कार
इंदौर (मध्यप्रदेश):

Indore bags cleanest city title for seventh consecutive time : कचरे को हर दरवाजे से छह श्रेणियों में अलग-अलग जमा किए जाने के बाद इसके प्रसंस्करण और निपटान की टिकाऊ प्रणाली के बूते केंद्र सरकार के राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण (Swachh Survekshan 2023 Awards) में इंदौर लगातार सातवीं बार अव्वल रहा है. मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इस शहर को इस बार नम्बर-1 का खिताब गुजरात के प्रमुख वाणिज्यिक नगर सूरत के साथ साझा करना पड़ा है.

इस बार की थीम ‘‘वेस्ट टू वेल्थ''

‘‘वेस्ट टू वेल्थ'' ("Waste to Wealth") की थीम पर केंद्रित वर्ष 2023 के स्वच्छता सर्वेक्षण में अलग-अलग श्रेणियों में देश के 4,400 से ज्यादा शहरों के बीच कड़ी टक्कर थी. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President of India Draupadi Murmu) की मौजूदगी में नई दिल्ली के भारत मंडपम (Bharat Mandapam Convention Center New Delhi) कन्वेंशन सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में इंदौर को सूरत के साथ देश का सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया.

स्वच्छ भारत अभियान (Swachh Bharat Mission) के लिए इंदौर नगर निगम (Indore Municipal Corporation) के सलाहकार अमित दुबे ने ‘‘पीटीआई-भाषा'' को बताया कि स्वच्छता सर्वेक्षण के कुल 9,500 अंकों के मुकाबले में सबसे ज्यादा 4,830 अंक सेवा स्तरीय प्रगति के तहत अलग-अलग तरह के कचरे के सुव्यवस्थित संग्रहण, प्रसंस्करण और निपटान के लिए तय थे और इंदौर ने इनमें से 4,709.40 अंक हासिल किए.

अमित दुबे ने कहा,‘‘इंदौर में कचरा संग्रह, प्रसंस्करण और निपटान की टिकाऊ प्रणाली (Sustainable System of garbage collection, processing and disposal) विकसित की गई है. राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण में शहर की सिलसिलेवार कामयाबी की बुनियाद इसी प्रणाली पर टिकी है.''

सिंगल यूज प्लास्टिक बैन

अमित दुबे ने बताया कि एकल उपयोग वाले प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध लागू करने वाले इंदौर में गुजरे सालों में कचरे का उत्पादन कम हुआ है. उन्होंने कहा कि शहर में कचरा घटाने में झोला बैंकों, ‘थ्री आर'' (Reduce, Reuse and Recycle) केंद्रों, कबाड़ में मिली चीजों को दोबारा इस्तेमाल के लायक बनाकर विकसित किए गए उद्यानों, बर्तन बैंकों और गीले कचरे से घरों में ही खाद बनाने के संयंत्रों (Home Composting) की बड़ी भूमिका है.

इंदौर नगर निगमके अधिकारियों ने बताया कि शहर के 4.65 लाख घरों और 70,543 वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के अपशिष्ट की प्राथमिक स्रोत पर ही सुव्यवस्थित छंटाई की जाती है और अलग-अलग संयंत्रों में इस कचरे का प्रसंस्करण व निपटान किया जाता है.

अधिकारियों ने बताया कि शहर में औसत आधार पर हर दिन 692 टन गीला कचरा, 683 टन सूखा कचरा और 179 टन प्लास्टिक अपशिष्ट अलग-अलग श्रेणियों में इकट्ठा किया जाता है. इसके लिए शहर भर में करीब 850 गाड़ियां चलती हैं, जिनमें डायपर और सैनिटरी नैपकिन जैसे जैव अपशिष्ट के लिए विशेष कम्पार्टमेंट बनाए गए हैं.

‘‘गोबर-धन'' संयंत्र

शहर के देवगुराड़िया ट्रेंचिंग ग्राउंड पर 15 एकड़ पर सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के आधार पर एक कम्पनी द्वारा चलाया जा रहा ‘‘गोबर-धन'' संयंत्र हर दिन 550 टन गीले कचरे (फल-सब्जियों और कच्चे मांस का अपशिष्ट, बचा या बासी भोजन, पेड़-पौधों की हरी पत्तियों, ताजा फूलों का कचरा आदि) से हर दिन 17,000 से 18,000 किलोग्राम बायो-सीएनजी और 100 टन जैविक खाद बना सकता है. यहां बताया गया कि इस संयंत्र में बनी बायो-सीएनजी से 110 सिटी बसें चलाई जा रही हैं जो निजी कम्पनी द्वारा शहरी निकाय को सामान्य सीएनजी की प्रचलित बाजार दर से पांच रुपये प्रति किलोग्राम कम दाम पर बेची जाती है.

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