Atrocities on Dalits: पांच साल...लोकतंत्र में ये वो वक्त होता है जिसमें जनता अपनी नई सरकार चुन लेती है,और इसी की कवायद इन दिनों पूरे देश में हो रही है...लेकिन इन्हीं पांच सालों में उत्पीड़न की शिकार मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh News) के सागर(Sagar News) की एक 20 साल की दलित युवती इंसाफ की जंग लड़ते-लड़ते जिंदगी की जंग ही हार गई. युवती और उसके परिवार ने इसकी बड़ी कीमत चुकाई है. पहले भाई की मौत हुई फिर चाचा की मौत हुई अब वो खुद काल के गाल में समा चुकी है लेकिन अब भी नहीं मिला तो इंसाफ. दरअसल दलितों के खिलाफ अपराध के मामले में देश का दिल कहे जाने वाले मध्यप्रदेश का रिकॉर्ड बेहद खराब है.
अब युवती की मौत के मामले को और गहराई से समझते हैं. 20 साल की युवती ने साल 2019 में चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया था. जिसमें उसके साथ यौन उत्पीड़न करने,धमकी देने और हमला करने का आरोप दर्ज था. तब चुनाव का वक्त था तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों के ही नेताओं ने उसके पक्ष में बड़े-बड़े दावे किए. तब लगा भी कि युवती को इंसाफ मिलेगा लेकिन जैसे ही चुनाव खत्म हुआ दबंग आरोपी उसे फिर से केस वापसी के लिए धमकाने लगे.
इसके बाद आई 25 मई 2024 की तारीख...जब युवती के चाचा को दबंगों ने समझौते के लिए बुलाया और इसी क्रम में इतना पीटा की इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. एक बार पुलिस ने पांच लोगों आशिक कुरैशी, बबलू बेना, इजरायल बेना,फहीम खान और टंटू कुरैशी के खिलाफ मामला दर्ज किया और एक आरोपी को गिरफ्तार किया.
लेकिन लगता है युवती की किस्मत में मुसीबत का कम होना नहीं लिखा था. रविवार को जब वो अपने चाचा के शव को एंबुलेंस में लेकर लौट रही थी तब उसकी भी मौत हो गई. ACP लोकेश सिन्हा के मुताबिक क्या और कैसे हुआ ये तो जांच का विषय है लेकिन ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि गांव से 20 किलोमीटर पहले वैन का दरवाजा खुला और वो जंप कर गई. लोकेश के ही मुताबिक युवती के चाचा की मौत भी दो ग्रुपों की आपसी लड़ाई में हुई है. उन्होंने कहा कि जांच के बाद ही पूरी सच्चाई सामने आएगी.
इस बीच इस मामले में फिर से सियासत गर्मा गई है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, दिग्विजय सिंह और जीतू पटवारी ने इसे लेकर मोहन यादव सरकार और नरेन्द्र मोदी सरकार तक को घेरा है और तीखे सवाल पूछे हैं. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस मामले में CBI जांच की मांग की है. इन सबके बीच मुख्यमंत्री मोहन यादव पीड़ित परिवार से मिलने उनके घर पहुंचे हैं और इंसाफ का भरोसा दिया है. लेकिन सवाल ये है कि न्याय में देरी का ये अन्याय कब तक होगा?