Strawberry Farming: आज के दौर में जब पारंपरिक खेती से किसानों को कम आय और ज्यादा मेहनत का सामना करना पड़ता है, मध्यप्रदेश सरकार (MP Government) और कृषि विभाग (Agriculture Department) किसानों की मदद के लिए आगे आ रहा है. आत्मा परियोजना (ATMA Project) और जिला स्तरीय प्रशिक्षण जैसे कार्यक्रमों के जरिए किसानों को आधुनिक तकनीक, नवाचार और वैज्ञानिक तरीकों से खेती करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. ड्रिप सिंचाई, मल्चिंग और उन्नत बीज जैसी तकनीकों का उपयोग कर किसान अब कम लागत में अधिक लाभ कमा रहे हैं. इसका एक अच्छा उदाहरण छिंदवाड़ा जिले के मोहखेड़ ब्लॉक की ग्राम पंचायत भुताई के किसान का है. जहां किसान कैलाश पवार ने सरकारी मदद और तकनीकी मार्गदर्शन से अपनी पथरीली जमीन को न सिर्फ उपजाऊ बनाया बल्कि करोड़ों का मुनाफा भी कमाया.
जिले के मोहखेड़ ब्लॉक के ग्राम भुताई में कलेक्टर श्री शीलेन्द्र सिंह ने आज किसान श्री कैलाश पवार की #स्ट्रॉबेरी की खेती का निरीक्षण किया।#agriculture #dmchhindwara #procwa #छिन्दवाड़ा #JansamparkMP pic.twitter.com/npGYqXplbZ
— Collector Chhindwara (@dmchhindwara) January 9, 2025
ऐसी है कहानी
स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसान कैलाश पवार के बारे में यह लाइने सटीक बैठती हैं -
पथरीली जमीन पर मेहनत की इबारत,
खुदा ने भी देखी मेहनतकश की तिजारत.
जहां पत्थर उगते थे, वहां अब खिलती बहार है,
कैलाश की मेहनत ने लिखी नई कहानी बार-बार है.
कैलाश पवार पहले अपनी 16.99 हेक्टेयर जमीन पर पारंपरिक फसलें उगाते थे, कम उत्पादन और बढ़ती लागत से जूझ रहे थे. कृषि विभाग के अधिकारियों से आत्मा परियोजना के तहत प्रशिक्षण के दौरान उन्हें अपनी समस्या का समाधान मिला. अधिकारियों ने उन्हें नवाचार और आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके खेती करने की सलाह दी. उसके बाद किसान ने नवाचार और तकनीकी सहायता लेकर खेती करना प्रारंभ किया.
पहले पथरीली जमीन के कारण उनका टर्नओवर 80 लाख रुपये था, जिसमें शुद्ध लाभ केवल 30 लाख रुपये होता था. लेकिन अब स्ट्रॉबेरी और सब्जियों के उत्पादन से उनका टर्नओवर 2 से 2.5 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है और शुद्ध लाभ के रूप में उन्हें 1 करोड़ रुपये प्राप्त हो रहे हैं.
स्ट्रॉबेरी की खेती से करोड़ों का मुनाफा
कैलाश ने अपनी जमीन के 5-6 एकड़ पर स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की. उन्होंने लगभग 1,30,000 पौधे लगाए, जिनकी फसल 70 दिनों के भीतर तैयार हो गई. स्ट्रॉबेरी की तुड़ाई मार्च के अंत तक चलती है और इसकी आपूर्ति जबलपुर, नागपुर, इंदौर और भोपाल जैसे बड़े शहरों में की जाती है. यह कहानी उन सभी किसानों के लिए प्रेरणा है जो आधुनिक तकनीक और नवाचार से अपनी खेती को लाभदायक बनाना चाहते हैं.
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