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Rakshabandhan: आधुनिक दौड़ में विलुप्त हो रही ये बुंदेलखंडी मिठाई, गरीब परिवार का जीना हुआ मुश्किल

MP News: टीकमगढ़ जिले में रक्षाबंधन पर सैकड़ों सालों से गरीब लोगों की मिठास बनी खर पूड़ी अब बाजारों से गायब हो रही है. जिनका घर इसकी बिक्री पर टिका हुआ था, उनका जीना भी मुश्किल हो चुका है.

Rakshabandhan: आधुनिक दौड़ में विलुप्त हो रही ये बुंदेलखंडी मिठाई, गरीब परिवार का जीना हुआ मुश्किल
बाजार से गायब हो रही है खर पूड़ी

Special Sweet of Bundelkhand: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के टीकमगढ़ (Tikamgarh) जिले में सैकड़ों सालों से गरीब लोगों की प्रमुख मिठाई खर पूड़ी (Khar Pudi) की रौनक बाजारों से खत्म होती जा रही है... इस मिठाई का साल में रक्षाबंधन, दीवाली, भाईदुज जैसे त्योहारों  पर बड़ा महत्व होता था. जिसमें रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) पर बहनें अपने भाइयों को राखी बांधते वक्त मिठाई के रूप में खर पूड़ी से मुंह मीठा करती थी. इसकी डिमांड एक समय में बहुत ज्यादा हुआ करती थी. क्योंकि यह शक्कर से बनी हुई मिठाई होती थी, जो काफी सस्ते दामों पर बाजार में आसानी से मिल जाती थी. यह मिठाई पहले 40 रुपये किलो फिर 50 और अब 60 रुपये किलो मिलती है.

कम हो गई बिक्री

पहले बाजारों में यह मिठाई हर दुकान पर मिलती थी. लेकिन, अब जैसे-जैसे समय बदला, यह मिठाई बहुत कम दिखती है. आधुनिकता की दौड़ में लोग अपनी पारंपरिक मिठाई भूल गए. टीकमगढ़ शहर में पहले इस मिठाई को बनाने की 10 फैक्ट्री थी. लेकिन, अब धीरे-धीरे यह बंद हो गई. अभी वर्तमान में सिर्फ नारायण साहू और रहीस खान ही खर पूड़ी बनाते है. उनका कहना है कि समय बदल गया, लोगों की सोच बदल गई, जिस कारण अब गरीब लोग भी खर पूड़ी नहीं खाते और यह लोग बूंदी खोवा मलाई की मिठाई खाने लगे. जिस कारण खर पूड़ी मिठाई बिकना बंद होने की कगार पर है.

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चलन से बाहर हो रही खर-पूड़ी

खर पूड़ी बेचने वाले कैलाश जैन का कहना है कि मिठाई चलन से बाहर होती जा रही है. गांव के लोग पहले सबसे ज्यादा पसंद करते थे. लेकिन, अब नहीं. इसकी वजह से हम लोग इसको कम खरीदते है. टीकमगढ़ जिले के वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप खरे का कहना है कि रक्षाबंधन पर हर घर में ये मिठाई लाई जाती थी. जिस घर में ख़र पुड़ी न जाये, उस घर का उत्सव फीका रहता था. राखी के साथ खर पूड़ी का विशेष महत्व होता था. मगर अब आधुनिकता की चकाचौंध में यह मिठाई गुमनाम होती जा रही है. 

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