
MP News: मध्य प्रदेश के खंडवा बाल संप्रेषण गृह से एक बार फिर छह बाल अपचारी फरार हो गए हैं. यह घटना विभाग की सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक लापरवाही का गंभीर उदाहरण बनकर सामने आई है. बीते कुछ महीनों में इस तरह की घटनाएं बार-बार हो रही हैं, जिससे विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं. घटना स्थल पर एडीएम केआर बडोले ने पहुंचकर मौका मुआयना कर घटना के समय तैनात गार्ड के दो जवानों पर कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया है. दरअसल खंडवा के बाल सुधार गृह से 6 बाल अपचारी बाथरूम की दीवार तोड़कर भाग गए. इन बाल अपचारियों ने सुधार गृह की बाथरूम की दीवाल में छेद किया, बाहर निकले और बाउंड्री वॉल कूदकर भाग गए. घटना सुबह 5 और 6 बजे के बीच की है. भागे बाल अपचारियों में पांच खरगोन जिले के और एक बुरहानपुर जिले का है.
पुलिस सर्चिंग में जुटी
इस घटना के बाद पुलिस ने बाल सुधार गृह का मौका मुआयना किया और इनकी सर्चिंग के लिए उनके घर परिवार, रिश्तेदारों के घर टीम रवाना की है. सिटी पुलिस अधीक्षक अभिनव बारंगेने बताया कि सभी बाल अपचारियों की सर्चिंग के लिए पुलिस दल रवाना किए हैं.
सूत्रों के अनुसार, 5 बाल अपचारी खरगोन बालिकाओं से छेड़छाड़ और POCSO जैसी गंभीर धाराओं में भी आरोपित हैं. वहीं एक बुरहानपुर जिले का था जो गौवंश तस्करी में संप्रेक्षण गृह में था.ये सभी बालक बाथरूम की दीवार तोड़कर फरार हुए. घटना रात में हुई, जबकि कर्मचारियों को इसकी जानकारी सुबह प्राप्त हुई.
तीन माह पूर्व भी भागे थे पाँच बालक
करीब तीन माह पहले भी संप्रेषण गृह से पाँच बच्चे भाग गए थे, जिनमें से केवल तीन ही बरामद किए जा सके थे, जबकि दो अब तक लापता हैं. हालिया घटना में फरार हुए छह बालकों में पाँच खरगोन जिले के और एक बुरहानपुर क्षेत्र का है.
सुरक्षा में लगातार चूक, दीवार बन रही भागने का रास्ता
हर बार बच्चों के भागने का तरीका लगभग समान है — बाथरूम की दीवार या खिड़की तोड़कर भाग निकलना. इससे स्पष्ट है कि विभाग ने पहले की घटनाओं से कोई सबक नहीं लिया और सुरक्षा इंतजाम केवल कागजों पर सीमित हैं.
कलेक्टर ने जताई थी नाराजगी, पर कार्रवाई अधूरी रही
सूत्रों के अनुसार, खंडवा कलेक्टर ऋषभ गुप्ता ने पूर्व में बच्चों के भागने की घटनाओं पर बाल विकास अधिकारी को नोटिस जारी कर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे, लेकिन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा मामले में लीपा-पोती कर दी गई. कुछ कर्मचारियों का औपचारिक स्थानांतरण तो हुआ, मगर मुख्य जिम्मेदारों पर कोई ठोस दंडात्मक कार्रवाई नहीं की गई.
बालकों की असंतुष्टि भी बनी वजह
विभागीय सूत्रों के अनुसार, बालक गृह की भोजन, पानी और रहने की व्यवस्था से असंतुष्ट हैं. कई बार बच्चों ने खाने की गुणवत्ता और सुविधाओं की कमी को लेकर शिकायत की, लेकिन उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया. यही कारण है कि बालक बार-बार भागने का प्रयास करते रहते हैं.
महिला एवं बाल विकास अधिकारी पर भी उठे सवाल
जानकारी के मुताबिक, महिला एवं बाल विकास अधिकारी, जो आगर-मालवा से स्थानांतरित होकर खंडवा जिला परियोजना अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं, वे भी कई विवादों में रही हैं. सूत्र बताते हैं कि वे विभागीय कार्यों को पर्याप्त समय नहीं देतीं और केवल टीएल बैठक या जनसुनवाई के दिन तक ही खंडवा में उपस्थित रहती हैं. इसके बाद वे "टूर" का हवाला देकर अनुपस्थित रहती हैं, जिससे विभागीय नियंत्रण कमजोर पड़ा है.
प्रशासनिक जवाबदेही पर गंभीर सवाल
हर बार घटना के बाद जांच शुरू होती है, लेकिन सुरक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए कोई स्थायी कदम नहीं उठाया गया. लगातार हो रही इन घटनाओं से यह स्पष्ट है कि विभाग बालकों की सुरक्षा और पुनर्वास के दायित्व में बुरी तरह विफल साबित हो रहा है.
जरूरत सख्त और ठोस कार्रवाई की
विशेषज्ञों का कहना है कि अब समय आ गया है जब विभाग को केवल नोटिस या जांच तक सीमित न रहकर वास्तविक सुधारात्मक कदम उठाने होंगे. संप्रेषण गृह की सुरक्षा, भोजन और निगरानी व्यवस्था को दुरुस्त किए बिना बच्चों का सुरक्षित संरक्षण संभव नहीं है.
यह भी पढ़ें : Ladli Behna Yojana 29th Installment: 29वीं किस्त की बारी, कब मिलेंगे लाडली बहनों को 1500 रुपये, इनको लाभ नहीं
यह भी पढ़ें : OBC Reservation: सुप्रीम कोर्ट में फिर टली सुनवाई, सॉलिसिटर जनरल ने आरक्षण पर मांगा वक्त, अब मिली ये तारीख
यह भी पढ़ें : Premanand Maharaj Health Update: संत प्रेमानंद महाराज का स्वास्थ्य कैसा है? आश्रम ने जारी किया ये बयान
यह भी पढ़ें : Dog Bite Case: आवारा कुत्तों का आतंक; यहां 15 लोगों को पागल कुत्ते ने बनाया शिकार, 9 वर्षीय बच्चा एम्स रेफर