
Caste Census: मोदी सरकार ने बुधवार को देश में जातीय जनगणना कराने का फैसला लिया है. जातियों की ये गणना जनगणना के साथ ही होगी. इस फैसले के बाद पूरे देश से प्रतिक्रियाएं आ रही है. इसी मसले पर NDTV MPCG से खास बातचीत में केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जातिगत जनगणना को लेकर उठे विवादों पर खुलकर जवाब दिया. NDTV के स्थानीय संपादक अनुराग द्वारी से खास बातचीत में उन्होंने इसे "समाज के सभी वर्गों के कल्याण के लिए आवश्यक कदम" बताया और यह भी साफ किया कि चुनाव या किसी और वजह से इस फैसले को जोड़ना गलत है.
अनुराग - पहली बार देश में जातिगत जनगणना का फैसला लिया गया है. क्या समय सीमा तय है?
शिवराज सिंह चौहान: देश की आजादी के बाद पहली बार इस तरह का फैसला लिया गया है. समय-सीमा भी तय होगी और फ्रेम वर्क भी बनेगा. एक बात स्पष्ट है — यह पूरी तरह पारदर्शी तरीके से समाज के सभी वर्गों के आर्थिक और सामाजिक हितों के लिए, उनके कल्याण और देश हित में की जाएगी. इसकी आवश्यकता इसलिए है क्योंकि कई तरह के भ्रम फैल रहे हैं, भयावह आंकड़े सामने आ रहे हैं. योजना बनाने और जनकल्याण की सफलता के लिए यह ज़रूरी है कि आपके पास सटीक आंकड़े हों. इसलिए यह जातिगत जनगणना वैज्ञानिक तरीके से की जाएगी.
अनुराग : क्या यह प्रक्रिया सितंबर में शुरू हो सकती है?
शिवराज सिंह चौहान: सब चीज़ें जल्द सामने आएंगी।
अनुराग: विपक्ष बार-बार यह आरोप लगा रहा है कि कहीं यह फैसला बिहार चुनाव के चलते या पहलगाम हमले से ध्यान भटकाने के लिए तो नहीं लिया गया है?
शिवराज सिंह चौहान: इस देश में हमेशा किसी न किसी चुनाव की तैयारी चलती ही रहती है. अगर कोई फैसला करेंगे, तो उसके दो-चार महीने बाद कोई न कोई चुनाव होता ही है.अभी दिल्ली के चुनाव हैं, उसके पहले हरियाणा, महाराष्ट्र, कश्मीर के चुनाव थे, फिर लोकसभा, फिर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, और अब बंगाल के चुनाव होंगे. तो क्या चुनाव देखकर कोई फैसला ही न किया जाए? बल्कि ज़रूरत तो इस बात की है कि देश में हर पांच साल में एक साथ विधानसभा और लोकसभा के चुनाव हों. हमारे यहां हमेशा चुनाव चलते रहते हैं, इसलिए फैसले नहीं रोके जा सकते.
अनुराग - राहुल गांधी और कांग्रेस कह रहे हैं कि सरकार ने उनके दबाव में यह फैसला लिया है, इस पर क्या कहेंगे?
शिवराज सिंह चौहान: तुमने कभी किया नहीं, तुम्हारे दबाव में हो गया? पहले यह जवाब दें कि सत्ता में रहते हुए कांग्रेस ने जातिगत जनगणना क्यों नहीं की? स्वर्गीय प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 1961 में मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी और जाति के आधार पर आरक्षण का विरोध किया था — यह ऑन रिकॉर्ड है.
सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह के शासनकाल में भी यह मुद्दा संसद में उठा था. तब मनमोहन सिंह जी ने कहा था कि कैबिनेट विचार करेगी, लेकिन केवल SECC (Socio Economic Caste Census) सर्वे कराया गया और उसके आंकड़े भी इतने डरावने थे कि छिपाने पड़े. जब सत्ता में थे तब कुछ नहीं किया, जब विरोध में आए तब मुद्दा याद आया. मैं तो यही कहूंगा कि राहुल गांधी के लिए जातिगत जनगणना सिर्फ वोट का जुगाड़ है, हमारे लिए सामाजिक न्याय का साधन.
अनुराग: लेकिन आप भी जानते हैं कि नेहरू जी ने सिर्फ सुझाव दिया था और आरक्षण खत्म नहीं किया, खत भी 61 में लिखा पहले भी लिखते रहे ... उनके पूरे कार्यकाल में आरक्षण रहा, काका कालेलकर की रिपोर्ट में सिर्फ हिंदू धर्म में जातियों की बात थी इसलिये इंदिरा जी ने तो मंडल कमीशन को 2-2 एक्सटेंशन दिया. इस ऐतिहासिक संदर्भ पर आपका क्या कहना है?
शिवराज सिंह चौहान: मेरा सवाल है कि तो फिर किया क्यों नहीं? एक्सटेंशन देकर बताइए — 60 साल राज्य किया, कब उन्होंने यह जनगणना करवाई? उनके विचार उनके पत्रों से स्पष्ट हैं.
अनुराग: राहुल गांधी कह रहे हैं कि 'जैसी नुमाइंदगी, वैसा हक' — क्या सरकार इस पर विचार कर रही है?
शिवराज सिंह चौहान: राहुल गांधी को इस पर बोलने का हक नहीं है. कांग्रेस हमेशा झूठ बोलती है और भ्रम फैलाती है, लेकिन कभी करती नहीं है. उन्होंने वादा किया 'गरीबी हटाओ'—कब हटाई? गरीबी अगर कम हुई है तो नरेंद्र मोदी जी के कार्यकाल में 25 करोड़ से ज़्यादा लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं. कभी कर्ज़ माफी की बात करते हैं,फिर मुकर जाते हैं. बेरोजगारी भत्ते की बात करते हैं, फिर मुकर जाते हैं. इनका इतिहास ही वादाखिलाफी का है.
अनुराग: आपकी पार्टी के कुछ नेताओं ने इसे पहले देश तोड़ने वाला कदम कहा था, अब स्टैंड क्यों बदला है?
शिवराज सिंह चौहान: हमने स्टैंड बदला नहीं है.जातिगत जनगणना सटीक आंकड़ों के लिए है —ताकि एक वास्तविक स्थिति सामने आए और सबके कल्याण की योजनाएं बनाई जा सकें.
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