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अफसर बना किसान... नौकरी छोड़ 3000 साल पुराने किस्म के गेहूं की करने लगे खेती, डिमांड ऐसी कि दोगुना लाभ कमा रहे सैकड़ों किसान

Shivpuri News: कोरोना काल में ओमान से अधिकारी की नौकरी छोड़कर स्वदेश आए और खेती किसानी शुरू कर दी. खुद के साथ कई किसानों को भी जोड़ा. दोगुने से भी ज्यादा रकम अब ये कमा रहे हैं. 

अफसर बना किसान... नौकरी छोड़ 3000 साल पुराने किस्म के गेहूं की करने लगे खेती, डिमांड ऐसी कि दोगुना लाभ कमा रहे सैकड़ों किसान

Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में 3000 साल से ज्यादा पुराने जैविक गेहूं की पैदावार हो रही है. प्राइवेट कंपनी में अफसर की नौकरी छोड़कर स्वदेश आए एक व्यक्ति ने इसकी शुरुआत की. देखते ही देखते इस काम से 600 से ज्यादा किसान जुड़ गए. ये किस्म मधुमेह के रोगियों के लिए रामबाण है. पैदावार कम जरूर है लेकिन मुनाफा दोगुना से ज्यादा हो रहा है. 

3000 साल से भी ज्यादा पुराने जैविक ऐम्मर गेहूं की फसल पैदा करने वाले शिवपुरी के किसान महिम भारद्वाज इन दिनों चर्चा में बने हुए हैं. उसकी वजह साफ है कि उन्होंने 3000 से ज्यादा पुरानी इस गेहूं की किस्म को पैदा करने की शुरुआत मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले से की है. इतना ही नहीं उन्होंने आसपास के 600 किसानों को भी अपने साथ इस खेती के लिए प्रोत्साहित किया है और अब वह इस खेती को करके मोटा मुनाफा कमा रहे हैं. 

उनका कहना है कि आम तौर पर गेहूं की एक बीघा फसल करीब 5 से 7 क्विंटल बाहर आती है लेकिन (ऐम्मर) जिसे देसी भाषा में खपली गेहूं के नाम से जाना जाता है. एक बीघा खेत में करीब 3 क्विंटल के आसपास ही पैदा होती है. लेकिन यह ऊंचे दाम पर बिकती है और इसकी मार्केट रेट ₹180 किलो यानी करीब 18000 रुपए क्विंटल है

शिवपुरी जिले से इस खेती की शुरुआत करने वाले  महिम भारद्वाज बताते हैं कि वह 2022 में कोरोना काल के दौरान ओमान में एक निजी कंपनी से अधिकारी की नौकरी छोड़कर स्वदेश लौटे थे और यहां से उन्होंने अपने खेतों में इस जैविक खेती गेहूं को करना शुरू किया.अब इस खेती से अब वह ना केवल मोटा मुनाफा कमा रहे हैं बल्कि आसपास के किसान भी उनकी इस तकनीक को अपना कर लाभ के मोटे धंधे के लिए प्रेरित हो रहे हैं.

शुरुआत में छोटे पैकेट बनाए

बाजार में इस गेहूं की डिमांड कुछ खास नहीं है और ऐसे में इसकी ऊंची कीमत आम आदमी की पहुंच से भी बाहर है. लेकिन महिम भारद्वाज ने बताया कि उन्होंने इस चुनौती को स्वीकार किया छोटे पैकेट बनाए और इसके लाभ पर बात कर मार्केट में सप्लाई भी किया तो डिमांड आने लगी. अब इसकी अच्छी खासी मांग है इतना ही नहीं या जिले से बाहर प्रदेश और अन्य प्रदेशों में भी भेजी जा रही है.

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मधुमेह रोगियों के लिए रामायण 

दावा है कि ऐम्मर खपली किस्म का गेहूं मधुमेह की बीमारी से लड़ने के लिए रामबाण उपाय है. मधुमेह रोगियों को इसकी रोटी खाने से लाभ मिलता है. हालांकि इसका कितना वैज्ञानिक आधार है और चिकित्सक इस कितना सही मानते हैं इसका विश्लेषण सामने नहीं आ सका है.

पैदावार की जैविकता पर केंद्रित रखते हैं ध्यान

शिवपुरी जिले के किसान महिम भारद्वाज का कहना है कि वह इसके उत्पादन में जैविक खाद जैविक उत्पादन को लेकर केंद्रित हैं और हर चीज का ख्याल रखते हैं. वह छाछ के पानी को दवा बनाकर इस्तेमाल करते हैं और जितनी भी खाद के साथ फसल सुरक्षा के लिए कीटनाशक दवा का उपयोग करते हैं, वह पूरी तरह से जैविक होती हैं यही वजह है कि इस किस्म को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में महत्व मिल रहा है.

किसानों का बनाया है समूह 

शिवपुरी में नवाचार खेती को अपनाने वाले किसान महिमा भारद्वाज ने बताया कि उन्होंने कई किसानों को इस खेती के साथ जोड़ा है. उन्होंने जैविक खेती को महत्व देते हुए एक किसान समूह बनाया है.जिसमें राजस्थान, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ जिले के कई किसान जुड़े हैं और नवाचार अपनाते हुए आधुनिक एवं जैविक खेती को महत्व दे रहे हैं.

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