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वैज्ञानिकों ने ईजाद की अफीम की नयी किस्म, एक पौधे पर खिलते हैं मल्टीपल खासियत वाले मल्टीकलर फूल

New variety of opium Poppy: शे से जुड़े कारोबार से अफीम का नाम बदनाम है, लेकिन जीवन रक्षक दवाइयों के निर्माण में इसका उपयोग बहुत महत्वपूर्ण है. विकसित नई किस्म की अफीम इसलिए नायाब है, क्योंकि इसके पौधे पर मल्टीकलर फूल लगते हैं और इसकी उत्पादन और गुणवत्ता भी बेहतर है. 

वैज्ञानिकों ने ईजाद की अफीम की नयी किस्म, एक पौधे पर खिलते हैं मल्टीपल खासियत वाले मल्टीकलर फूल
New variety of Opium poppy developed in MP

Colourful Opium : मध्य प्रदेश के कृषि वैज्ञानिकों ने जीवन रक्षक दवाओं को बनाने के काम आने वाले.अफीम (Opuim) की एक नई किस्म विकसित करने में दावा किया है. दिलचस्प ये है कि विकसित अफीम के नए किस्म के पौधों पर रंग-बिरंगे फूल लगते हैं. यही नहीं, रंगे-बिरंगे फूल से निकलने वाले अफीम की खासियत भी बिल्कुल जुदा है. 

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नशे से जुड़े कारोबार से अफीम का नाम बदनाम है, लेकिन जीवन रक्षक दवाइयों के निर्माण में इसका उपयोग बहुत महत्वपूर्ण है. विकसित नई किस्म की अफीम इसलिए नायाब है, क्योंकि इसके पौधे पर मल्टीकलर फूल लगते हैं और इसकी उत्पादन और गुणवत्ता भी बेहतर है. 

अफीम की नई किस्म को विकसित करने के लिए नवाचार

रिपोर्ट के मुताबिक मल्टीकलर फूलों वाले अफीम की नई किस्म को विकसित करने के लिए वैज्ञनिकों ने एक नए तरह का प्रयोग किया हैं. ग्वालियर में चल रहे राष्ट्रीय कृषि मेले में इस सफल प्रयोग का प्रदर्शन भी किया गया. अफीम की नई किस्म को मंदसौर के उद्यानिक कॉलेज के पौधा विशेषज्ञों ने तैयार किया हैं, जिसका पौधा सफ़ेद न होकर रंग-बिरंगा है.

दुनिया में पहली बार ईजाद की गई अफीम की एक नई ब्रीड

मंदसौर हॉर्टिकल्चर कॉलेज के वैज्ञानिक डॉ केसी मीणा और डॉ अनूप कुमार ने बताया कि औषधियों व मसालों के लिए मशहूर मालवा स्थित मंदसौर उद्यानिक कॉलेज में अश्वगन्धा, इसबगोल और अफीम की प्रमुख फसलों को लेकर अनुसंधान किया जाता है. उन्होंने बताया कि, हमने यहां अफीम की एक नई ब्रीड विकसित की  है, जो दुनिया मे पहली बार है.

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पंरपरागत अफीम के पौधों पर सफेद फूल आते है, लेकिन ईजाद नई किस्म में कुछ कोसेस बनाकर उसमें कुछ कलर डेवलप किया गया. हालांकि अभी यह वैरायटी अभी रिलीज नहीं हुई है, लेकिन इसका प्रायोगिक रिसर्च पूरा हो गया है.

 नई किस्म वाले अफीम को बाजार में आने लगेगा थोड़ा वक्त

कृषि वैज्ञानिक डॉ मीना का कहना है कि नई किस्म वाले अफीम को मार्केट में आने अभी थोड़ा समय लगेगा, क्योंकि इसके लिए राज्य और केंद्र दोनों सरकारों की स्वीकृति की औपचारिकता पूरी करने की प्रक्रिया चल रही है. उन्होंने कहा कि प्रतिबंधित क्रॉप नारकोटिक्स के सर्विलांस में सीमित क्षेत्र में ही पैदा होती है इसलिए इसके मार्किट में आने में समय लगेगा.

विकसित नई किस्म वाले अफीम में ज्यादा है मार्फीन कंटेंट

अफीम की नई किस्म की विशेषता बताते हुए डॉ मीना ने दावा किया कि नई किस्म वाले अफीम में जो मार्फीन कंटेंट पाया जाता है, वह पांरपरिक सफेद फूल वाले पौधे की तुलना में 3 से 4 फीसदी ज्यादा है. उन्होंने आगे कहा, नई किस्म वाली मल्टीकलर फूलों वाले अफीम से निर्मित औषधि ज्यादा असरकारी साबित होगी.

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नई किस्म वाली अफीम की उपज भी ज्यादा बढ़ेगी और इसकी गुणवत्ता भी परंपरागत अफीम की तुलना में ज्यादा रहेगी. फिलहाल नए ब्रीड वाले अफीम के अनुसंधान कार्य चल रहा है और अनुसंधान पूरा होने के बाद इसे दुनिया भर के उद्यानिकी मार्केट में लांच कर दिया जाएगा.

 मंदसौर और खरगोन जिले में होती है सर्वाधिक अफीम की खेती

उल्लेखनीय है अफीम के पौधों को उगाने के लिए सरकार से लाइसेंस लेना होता है, बिना लाइसेंस के अफीम की खेती करना दंडनीय अपराध है. मध्य प्रदेश के खरगोन और मंदसौर जिले में सबसे अधिक मात्रा में अफीम की खेती की जाती है, जबकि मध्य प्रदेश के सीमावर्ती राज्य राजस्थान भी बड़ी मात्रा में अफीम की खेती की जाती है.

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