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MP News: ऐसे में भारत कैसे बनेगा विश्व गुरु, यहां तो 8 क्लास के बच्चों को पढ़ाने के लिए है मात्र 3 शिक्षक

Madhya Pradesh News: टेमनी के स्कूल में दर्ज बच्चों की संख्या 72 है. इसमें से 70 जनजातीय समुदायों से आते हैं, तो वहीं दो बच्चे ओबीसी समुदाय से है. अब इन 72 बच्चों का भविष्य महज तीन शिक्षकों के हाथ में है. इनमें भी एक ही नियमित शिक्षक है. वहीं, दो अतिथि शिक्षक है.

MP News: ऐसे में भारत कैसे बनेगा विश्व गुरु, यहां तो 8 क्लास के बच्चों को पढ़ाने के लिए है मात्र 3 शिक्षक

Balaghat News: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 ए में 6 से 14 साल तक बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार का वर्णन किया गया है. लेकिन, बालाघाट की शिक्षा में यह सिर्फ कागजों पर ही दिखाई पड़ता है. दरअसल, बालाघाट करीब 100 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ बॉर्डर पर स्थित स्कूलों की हालत खराब है. वहां पर 5 गावों के बच्चों के लिए मात्र एक ही स्कूल है. इतना ही नहीं आठ कक्षाओं के 72 बच्चों के लिए महज तीन ही शिक्षकों की व्यवस्था है.

5 गांवों के बच्चों के लिए एकमात्र स्कूल

बालाघाट के अति नक्सल प्रभावित गांव में टेमनी (सायर) में एकीकृत शासकीय माध्यमिक शाला है. यहां पर 5 गांवों के बच्चों के लिए महज एक स्कूल है. यहां पर टेमनी के अलावा सायर, संदुका, केरड़ी और कमाड़ी के बच्चे पढ़ने आते हैं. ऐसे में उन्हें इतने दूर आने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

सिर्फ तीन शिक्षकों के भरोसे चल रहा स्कूल

टेमनी के स्कूल में दर्ज बच्चों की संख्या 72 है. इसमें से 70 जनजातीय समुदायों से आते हैं, तो वहीं दो बच्चे ओबीसी समुदाय से है. अब इन 72 बच्चों का भविष्य महज तीन शिक्षकों के हाथ में है. इसमें भी एक ही नियमित शिक्षक है. वहीं, दो अतिथि शिक्षक है. इनकी भी नियुक्ति आधे सत्र के बीत जाने के बाद हुई. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई बाधित हुई.

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शाला में जो प्रभारी प्रधान पाठक है, वह भी अन्य कार्यों के चलते कभी लांजी, तो कभी सर्वे के काम से भी चले जाते हैं, जिसके कारण इस शाला के बच्चों का अध्यापन का कार्य अधूरा रह जाता है. एक कक्षा में एक जगह में दो से तीन कक्षाओं को एक साथ संचालित कर यह अतिथि शिक्षक आखिर इन्हें क्या शिक्षा दे पाते होंगे. यह सोचने वाला प्रश्न है. इस गांव के ग्रामीण और बच्चे कैमरे को देखकर भागने लगते हैं और कुछ भी कहने से इन्हें डर लगता है. 

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