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अजब MP में 428 करोड़ के 'निवाले में घोटाले' की गजब कहानी: NDTV की रिपोर्ट पर CAG की मुहर

मध्यप्रदेश में बच्चों के निवाले में पूरे 428 करोड़ का घोटाला हुआ है. NDTV ने साल 2022 में ही इस 'टेक होम राशन' घोटाले का खुलासा कर दिया था अब CAG ने इस पर मुहर लगा दी है. NDTV की रिपोर्ट के ही मुताबिक CAG ने बताया है कि कैसे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को मिलने वाले राशन में अधिकारियों ने किस तरह गोलमाल किया. कैसे कागजों में दिखाया गया कि माल की ढुलाई ट्रकों से की गई है और जांच में ये नंबर मोटरसाइकिल,कार, ऑटो, ट्रैक्टर, टैंकर के निकले

अजब MP में 428 करोड़ के 'निवाले में घोटाले' की गजब कहानी: NDTV की रिपोर्ट पर CAG की मुहर

MP Take home ration scam: 2022 में, NDTV ने मध्य प्रदेश के सबसे चौंकाने वाले भ्रष्टाचार की कहानी को उजागर किया - जहां गरीब मासूम बच्चों, गर्भवती महिलाओं से पोषण का निवाला छीना गया. यह सिर्फ पैसे की बात नहीं थी—यह चुराए गए भविष्य की कहानी थी. लाखों बच्चे, गर्भवती महिलाएं और किशोर जो सरकार की पोषण योजना पर निर्भर थे, उनके खाने का अधिकार छीन लिया गया. तब सरकार ने NDTV के खुलासे को "ड्राफ्ट रिपोर्ट" करार दिया था, लेकिन दो साल बाद, नियंत्रक और महालेखाकार (CAG Report) ने उसी सच्चाई पर अपनी मुहर लगाई, जिसे NDTV ने उजागर किया था.

CAG की रिपोर्ट बेहद चौंकाने वाली है, यह पुष्टि करती है कि 2018 से 2021 के बीच, "टेक होम राशन" (THR) योजना में ₹428 करोड़ का घोटाला हुआ था. फर्जी लाभार्थियों से लेकर धोखाधड़ी वाले परिवहन के दावों तक, भ्रष्टाचार इस योजना के हर स्तर में घुस चुका था, जो मध्य प्रदेश के सबसे कमजोर वर्गों को पोषण प्रदान करने के लिए बनाई गई थी.

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NDTV की शुरुआती जांच:

फर्जी ट्रक: पोषण राशन लेकर चलने वाले ट्रक असल में मोटरसाइकिल, ऑटो और टैंकर निकले, बाद में CAG ने सत्यापित किया कि 400 मीट्रिक टन राशन कभी नहीं पहुंचाया गया जैसा दावा किया गया था.
झूठे आंकड़े: किशोरियों की राशन के लिए पात्रता संख्या 9,000 से बढ़ाकर 36 लाख कर दी गई, जिसके परिणामस्वरूप ₹110 करोड़ का घोटाला हुआ।  
पहुँच से बाहर राशन: जबकि 96,000 मीट्रिक टन राशन का भंडारण किया गया था, केवल 86,000 मीट्रिक टन ही आंगनवाड़ी केंद्रों तक पहुंचा, जिससे 10,000 मीट्रिक टन राशन का कोई पता नहीं चला.  

साल 2022 में हुए इस खुलासे ने विधानसभा में खूब हलचल मचाई थी, जबकि विपक्षी नेताओं ने जिम्मेदारी तय करने की मांग की लेकिन तब की सरकार इस घोटाले को नकारने में जुटी रही.

CAG ने लगाई NDTV की रिपोर्ट पर मुहर:

राशन की चोरी: ₹62.53 करोड़ का राशन कभी लक्षित वर्ग तक नहीं पहुंचा.
गुणवत्ता से समझौता: ₹237 करोड़ के पोषण नमूने गुणवत्ता परीक्षण में फेल हो गए, जिसका मतलब है कि लाभार्थियों को शायद घटिया खाना मिला.
निरीक्षण की अनदेखी: बाल विकास परियोजना अधिकारियों (CDPOs) ने आंगनवाड़ी केंद्रों का निरीक्षण नहीं किया, जिससे निगरानी व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई.

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सरकार जिम्मेदारी तय करे: कांग्रेस

मध्य प्रदेश सरकार अब कड़ी आलोचना का सामना कर रही है, क्योंकि विपक्ष दल CAG की रिपोर्ट के बाद जिम्मेदारी तय करने की मांग कर रहे हैं. कांग्रेस के विधायक और पूर्व मंत्री सचिन यादव ने तत्काल कार्रवाई की मांग की है, और सरकार से NDTV की 2022 की रिपोर्ट और CAG के ताजे निष्कर्षों के आधार पर घोटाले की जांच कराने का आग्रह किया है.

साल 2022 में टेक होम राशन योजना में घोटाले का NDTV ने खुलासा किया था.

साल 2022 में 'टेक होम राशन' योजना में घोटाले का NDTV ने खुलासा किया था.

सचिन यादव के मुताबिक  NDTV ने यह उजागर किया था कि कैसे सरकारी अधिकारियों के भ्रष्टाचार ने बच्चों और गर्भवती महिलाओं से उनका खाना छीन लिया है. हालांकि उस समय की सरकार ने इन दावों को नकारा था, लेकिन अब CAG ने भी सत्य की पुष्टि कर दी है . यादव ने सरकार को “घोटालों की सरकार” बताते हुए आरोप लगाया कि सार्वजनिक धन का दुरुपयोग हो रहा है और सबसे कमजोर वर्गों को पीड़ा झेलनी पड़ रही है. यादव ने ₹428 करोड़ के इस घोटाले के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की. कांग्रेस के पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने NDTV की जांच रिपोर्ट की सराहना की है.उन्होंने कहा-  “NDTV को बधाई हो कि उसने इस मुद्दे को दो साल पहले प्रमुखता से उठाया. हम तब भी कहते थे कि सरकार गरीबों के अधिकारों को छीन रही है. अब इस घोटाले में शामिल सभी नामों का खुलासा किया जाना चाहिए. 

कांग्रेस के पास मुद्दे नहीं, सच सामने आएगा: गोविंद सिंह राजपूत

यह घोटाला सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्ष के बीच शब्दों की जंग का कारण बन गया है, मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने कांग्रेस के आरोपों को निराधार बताते हुए कहा, "मैं हमेशा कांग्रेस से कहता हूं कि उनके पास असल मुद्दे नहीं हैं. जो भी सत्य है, वह जांच के बाद सामने आएगा. दूसरी तरफ महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने इस घोटाले की जानकारी होने से इंकार किया है. उन्होंने कहा कि- हम जानकारी एकत्र कर रहे हैं और उचित जांच सुनिश्चित करेंगे. 

केन्द्र सरकार की रिपोर्ट बताती है कि मध्यप्रदेश के आंगनवाड़ी केन्द्रों में बड़ी संख्या में बच्चे कुपोषण के शिकार हैं.

केन्द्र सरकार की रिपोर्ट बताती है कि मध्यप्रदेश के आंगनवाड़ी केन्द्रों में बड़ी संख्या में बच्चे कुपोषण के शिकार हैं.

MP के आंगनवाड़ी केन्द्र में 40% बच्चे कुपोषित: केन्द्र

केंद्र सरकार के जून 2024 के पोषण ट्रैकर के अनुसार, मध्य प्रदेश के आंगनवाड़ी केंद्रों में 40% बच्चे कुपोषित हैं और 27% बच्चे अर्धकुपोषित हैं. इन केंद्रों में बच्चों को महज ₹8 प्रति दिन भोजन दिया जाता है, जो जानकारों के मुताबिक आवश्यक पोषण की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है, जैसे कि 12-15 ग्राम प्रोटीन और 500 कैलोरी.

हालांकि बाद में सरकार ने गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों के लिए ₹12 प्रति दिन की राशि बढ़ाई, जिसका उद्देश्य 20-25 ग्राम प्रोटीन और 800 कैलोरी का लक्ष्य था. हालांकि, महंगाई और बढ़ती खाद्य कीमतों के कारण यह बजट उचित पोषण के लिए भी अपर्याप्त है.

30 जनवरी, 2024 तक, विधानसभा में पेश आंकड़ों के अनुसार, मुख्यमंत्री बाल स्वास्थ्य संवर्धन कार्यक्रम के तहत 1,36,252 कुपोषित बच्चों का रिकॉर्ड था, जिसमें से 29,830 बच्चों में गंभीर कुपोषण (SAM) और 1,06,422 में मध्यम कुपोषण (MAM) था.

इन आंकड़ों के पीछे इस घोटाले की मानवीय लागत छिपी हुई है, वे बच्चे, जिन्हें महत्वपूर्ण पोषण मिलना चाहिए था, कुपोषित रहे .... गर्भवती महिलाएं, जो स्वस्थ प्रसव के लिए इस सहायता पर निर्भर थीं, उन्हें धोखा दिया गया .. यह सिर्फ भ्रष्टाचार की कहानी नहीं है—यह चुराई गई ज़िंदगियों और टूटे हुई विश्वास की कहानी है.

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