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महाकाल की तीसरी सवारी निकली, शिव-तांडव स्वरूप में दिए बाबा महाकाल ने दर्शन

उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में सावन मास की तीसरी सवारी निकाली गई. इस सवारी में भगवान चंद्रमलिश्वर पालकी में सवार होकर निकले, जबकि शिव तांडव गरुड़ रथ पर सवार होकर प्रजा का हाल जानने निकले.

महाकाल की तीसरी सवारी निकली, शिव-तांडव स्वरूप में दिए बाबा महाकाल ने दर्शन

मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर की सोमवार को सावन मास की तीसरी सवारी निकली. बैंड थीम पर आधारित इस सवारी में भगवान चंद्रमलिश्वर पालकी में सवार होकर निकले. वहीं, शिव तांडव गरुड़ रथ पर सवार होकर प्रजा का हाल जानने निकले.

भाद्रपद मास में निकलने वाली भगवान महाकाल की तीसरी सवारी सोमवार शाम 4 बजे निकली. सवारी रवाना होने से पहले परंपरा के अनुसार, भगवान श्री चंद्रमोलिश्वर की सभा मंडप में डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला, गोविंद राजपूत लखन पटेल ने विधि विधान से पूजा की. इसके बाद चंद्रमोलिश्वर भगवान को चांदी की पालकी में विराजित किया गया. वहीं, मनमहेश हाथी पर और शिव तांडव गरुड़ पर सवार होकर नगर भ्रमण पर निकले.

इस दौरान मंदिर के द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल ने गॉड ऑफ ऑनर दिया. इसके बाद सवारी परंपरागत मार्ग से होते हुए रामघाट पर पहुंची. यहां इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाबा के दर्शन कर जयकारा लगाते हुए नजर आए. शिप्रा नदी के जल से बाबा का अभिषेक का सवारी पुनः शाम 7 बजे तक महाकाल मंदिर पर पहुंचेगी.

बैंड थीम पर निकली सवारी

सीएम डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर महाकाल सवारी की प्रत्येक कड़ी को एक विशिष्ट थीम से जोड़ा जा रहा है. तीसरी सवारी की थीम "बैंड प्रस्तुति" रखी गई है. नतीजतन सवारी में पुलिस, आर्मी, होमगार्ड और निजी बैंड की शिव भक्ति गीतों की एक साथ आकर्षक धुनों की प्रस्तुति देते नजर आए.

जनजातीय लोकनृत्य रहा आकर्षण

बाबा महाकाल की तीसरी सवारी में करीब 5 लाख श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे. सवारी में विभिन्न प्रदेशों के कलाकार लोक नृत्य कर अपनी प्रस्तुति देते हुए नजर आए. इनमें सेला जनजाति नृत्य,गणगौर पारंपरिक नृत्य, अहराई लोक नृत्य शामिल हुए. वहीं कर्नाटक के ढोली कुनीथा नृत्य विशेष आकर्षण का केंद्र रहा.

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इन मार्गों से गुजरी सवारी

बाबा महाकाल की सवारी महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए रामघाट पहुंची. यहां शिप्रा नदी के जल से भगवान का अभिषेक और पूजन-अर्चन किया गया. इसके बाद सवारी रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार और गुदरी बाजार होते हुए पुनः महाकाल मंदिर परिसर में प्रवेश करेगी.

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