विज्ञापन

MP: कंपनी ब्लैक लिस्टेड, जमानत राशि सीज और टेंडर निरस्त, फिर भी प्रोजेक्ट इंजीनियर बच गए बेदाग, जानें क्या है पूरा मामला 

MP News: मंत्री के निरीक्षण में 45 फीसदी की प्रगति ही मिली थी. जबकि जुलाई की रिपोर्ट में प्रोजेक्ट इंजीनियर प्रवीण जायसवाल ने 75 फीसदी काम पूरा बताया.

MP: कंपनी ब्लैक लिस्टेड, जमानत राशि सीज और टेंडर निरस्त, फिर भी प्रोजेक्ट इंजीनियर बच गए बेदाग, जानें क्या है पूरा मामला 

Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के सतना जिले के नारायण तालाब  सौंदर्यीकरण के नाम पर बड़ा गोलमाल हुआ है. इसका खुलासा खुद मंत्री के निरीक्षण के दौरान भी हुआ था.  इस निर्माण काम करने वाली कंपनी को ब्लैक लिस्टेड किया. जमानत राशि सीज और टेंडर निरस्त हो गया. लेकिन बड़ी बात ये है कि  प्रोजेक्ट इंजीनियर पर अफसरों ने मेहरबानी दिखा दी और वे बेदाग बच गए. 

ये है मामला 

सतना में स्मार्ट सिटी डेवलेपमेंट कार्पोरेशन ने  नारायण तालाब के सौंदर्यीकरण का काम भोपाल की ठेका कंपनी केएन नारंग से कराया गया. प्रोजेक्ट पर कुल 10 करोड़ तीन लाख रुपए खर्च कर तालाब का घाट एवं बंड, एडवेंचर जोन, सिटिंग एरिया, इवेंट एरिया, फूड कोर्ट ,पाथवे, पार्किंग और टॉयलेट का निर्माण कराया जा रहा था. तालाब का काम चल ही रहा था तभी अचानक से पूर्व भाग की मेड़ ब्रेक हो गई और निचली बस्ती शारदा नगर उतैली के कई घर जलमग्न हो गए. लोगों को लाखों का नुकसान हुआ. अफसर से लेकर नेता तक अफसोस के आंसू बहाने पहुंचे.

Latest and Breaking News on NDTV
इसके बाद बंद कमरे में पूरे मामले की समीक्षा हुई और ठेका कंपनी केएन नारंग को दोषी मानते हुए उसके खिलाफ ब्लैक लिस्टेड, जमानत राशि सीज और टेंडर निरस्त करने जैसी औपचारिक कार्रवाई कर दी गई.

ठेका कंपनी पर न तो एफआईआर हुई और न ही उन लोगों की जिम्मेदारी तय की जा सकी जो तालाब के सौंदर्यीकरण की निगरानी कर रहे थे. प्रोजेक्ट इंजीनियरों पर कार्यवाही नहीं होने से हैरानी इसलिए भी है क्योंकि जुलाई महीने की दस तारीख को एक प्रगति रिपोर्ट तैयार की गई जिसमें यह बताया जा रहा है कि ठेकेदार ने 75 फीसदी काम पूरा कर चुका है. 

ठेकेदार की इतनी उपलब्धि इसलिए बताई गई ताकि उसको भुगतान किया जा सके. मंत्री के निरीक्षण में भी नारायण तालाब की प्रगति 50 फीसदी से कम पाई गई. इसके बाद भी प्रोजेक्ट इंजीनियर प्रवीण जायसवाल के खिलाफ किसी प्रकार का कोई एक्शन नहीं होना इस बात को जाहिर करता है कि यह कार्रवाई महज प्रकरण को ठंडा करने के मकसद से की गई.
Latest and Breaking News on NDTV

इस हाल पर है सौंदर्यीकरण

नारायण तालाब के सौंदर्यीकरण में कागजी 75 फीसदी प्रगति जानने के लिए जब NDTV की टीम साइट पर पहुंची तो एक-एक काम का जायजा लिया. सबसे पहले यहां पर तैयार किये गए टॉयलेट को देखा गया. टॉयलेट के नाम पर केवल ढांचा खड़ा है. उसके यूरिनल, सीट, दरवाजे और वॉटर सप्लाई सिस्टम का कहीं भी पता नहीं था. इसके अलावा दूसरी सबसे हैरान करने वाली जानकारी यह थी कि जिस प्रकार से निर्माण हुआ है वह बेहद घटिया है. 

तालाब का सिटिंग एरिया चारों ओर कहीं भी नहीं बना. तालाब का कुल गोला लगभग एक किमी होगा. किसी एक जगह पर ऐसा स्थान या संसाधन नहीं दिखा जिसे सिटिंग एरिया कहा जा सके. फिर भी प्रगति 75 फीसदी कागज में कैसे आ गई?

सौंदर्यीकरण प्रोजेक्ट में शामिल एक ईकाई पाथवे निर्माण भी है. इस इकाई की जमीन सच्चाई यह है कि तालाब के एंट्री गेट के पास कुछ स्थान पर पेर्वस लगा दिए गए हैं. बीच-बीच में कई ऐसे पैच है जहां पर केवल छोटी गिट्टी बिछी हुई है. पेवर्स का पता नहीं है. इसके अलावा अधिक भूभाग ऐसा है जहां पर अभी तक गिट्टी तक नहीं डाली गई. मौके पर केवल मिट्टी है.

ये भी पढ़ें MP: चार करोड़ की धोखाधड़ी के केस में CBI का शिकंजा, 13 आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज 

अदृश्य हैं ये काम

नारायण तालाब के चारों ओर का जायजा लेने के बाद भी फूड कोर्ट, एडवेंचर जोन, इवेंट एरिया जैसे अंग्रेजी नाम से मिलती जुलते स्ट्रक्चर दिखाई नहीं दिए. इंट्री गेट से दायें भाग में चार पिलर और, उसके कुछ आगे टूटी-फूटी संरचना जरुर दिखाई दी. इसके अलावा मौके पर केवल बंड का निर्माण मिला.  नगर निगम के इंजीनियरों ने बंड और घाट को ही सौंदर्यीकरण का सबसे बड़ा काम मानकर उसकी प्रगति 75 फीसदी मान ली और उसका 55 फीसदी भुगतान कंपनी को करवा दिया. 

सतना कमिश्नर शेर सिंह मीणा  ने कहा कि नारायण तालाब का सौंदर्यीकरण जो ठेका कंपनी कर रही थी. उसे पांच साल के लिए रेवन्यू जनरेटिंग और मेंटिनेंस के तहत काम दिया गया था. 25 फीसदी काम बाकी थे, जिनको पूरा करने के लिए बची हुई राशि से टेंडर बुलाए जाएंगे. टेंडर प्रक्रिया जल्द से जल्द होगी. ताकि समय पर काम किया जा सके.

इंजीनियरों पर भी तय हो जिम्मेदारी

स्मार्ट सिटी का पैसा आम जनता के टैक्स का पैसा है. सौंदर्यीकरण के नाम पर जिसे पानी की तरह बहाया गया. उसकी रिकवरी ठेकेदार और प्रोजेक्ट से जुड़े इंजीनियरों से की जानी चाहिए. कंपनी को अब तक चार करोड़ 75 लाख और 75 हजार का भुगतान किया गया है. जबकि मौके पर काम आधा भी नहीं किया गया. ऐसे में यह ठेकेदार को केवल ब्लैकलिस्ट कर बैंक गारंटी राजसात की गई तो यह उसके लिए दंड से कहीं ज्यादा वरदान साबित होगी. इस मामले में जो भी पैसा दिया गया है उसका हिसाब किताब किया जाना चाहिए. इस मामले में आर्थिक चोंट के साथ ही ठेकेदार और इंजीनियरों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए.

ये भी पढ़ें MP: भालुओं ने नोंच डाला, फिर भी नहीं मानी हार, लाठी के सहारे भिड़ता रहा बुजुर्ग 

MPCG.NDTV.in पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार,लाइफ़स्टाइल टिप्स हों,या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें,सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
NDTV Madhya Pradesh Chhattisgarh
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
Dengue Fever: इस शहर में टूटा डेंगू का रिकॉर्ड, हॉस्पिटल फुल, प्राइवेट लैब नहीं दे रही हैं डाटा
MP: कंपनी ब्लैक लिस्टेड, जमानत राशि सीज और टेंडर निरस्त, फिर भी प्रोजेक्ट इंजीनियर बच गए बेदाग, जानें क्या है पूरा मामला 
Gwalior Heavy Rain Alert 17 people and 100 animals killed schools closed till Monday 
Next Article
MP में बारिश ने बरपाया कहर! ग्वालियर में 17 लोगों और सौ पशुओं की मौत, सोमवार तक के लिए स्कूल बंद 
Close