
Satna Malnutrition Case: दीपावली पर मध्य प्रदेश के सतना जिले से दिल को झकझोर देने वाली तस्वीर सामने आई. चार महीने के बच्चे की इस तस्वीर ने कुपोषण नियंत्रण के दावों की भी हवा निकाल दी. मासूम को कुपोषण ने इस कदर जकड़ लिया है कि उसकी चमड़ी हड्डियों से चिपक गई है. बच्चे का वजन मात्र ढाई किलो है, जबकि इस उम्र में सामान्य बच्चे का वजन 5 किलो से अधिक होना चाहिए. अति गंभीर कुपोषित हुसैन रजा हर वक्त रोता रहता है और अब उसके गले से आवाज तक नहीं निकल पा रही. हालत गंभीर होने पर उसे जिला अस्पताल के पीडियाट्रिक आईसीयू में भर्ती कराया गया है. भर्ती से पहले उसका पोषण पुनर्वास केंद्र में स्क्रीनिंग टेस्ट किया गया.
दरअसल, जैतवारा क्षेत्र के मरवा निवासी आसमा बानो अपने 4 माह के पुत्र हुसैन रजा को लेकर जिला अस्पताल की पीडियाट्रिक ओपीडी पहुंचीं. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. संदीप द्विवेदी ने बच्चे की हालत देख तुरंत उसे एनआरसी से आईसीयू में भर्ती कराने के निर्देश दिए. अब बच्चे का इलाज चल रहा है.
बच्चे का टीकाकरण तक नहीं हुआ
जांच में यह भी सामने आया कि बच्चे का अब तक एक भी टीका नहीं लगा है. डॉक्टर ने जब परिजनों से वैक्सीनेशन के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि वे गरीब हैं और मजदूरी करके जीवनयापन करते हैं. हुसैन के जन्म के बाद पूरा परिवार पुणे चला गया था, जहां उसकी मां भी मजदूरी करती थी. वहीं से लौटने के बाद जब हालत बिगड़ी तो बच्चे को जिला अस्पताल लाया गया. अस्पताल सूत्रों के अनुसार, महिला एवं बाल विकास विभाग और स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड में हुसैन रजा का कोई नाम दर्ज नहीं है.
70 बेड आरक्षित, फिर भी कुपोषितों की उपेक्षा
जिले में कुपोषित बच्चों के इलाज के लिए 9 संस्थानों में कुल 70 बेड आरक्षित हैं. जिला अस्पताल में 20 और ब्लॉक स्तरीय स्वास्थ्य केंद्रों में 10-10 बेड वाले पोषण पुनर्वास केंद्र संचालित हैं. बावजूद इसके, मैदानी अमले की लापरवाही के चलते अधिकांश बेड खाली रहते हैं. डॉ. संदीप द्विवेदी ने बताया कि हुसैन रजा अति गंभीर कुपोषण श्रेणी में है और उसका इलाज जारी है. उन्होंने कहा कि बच्चे की स्थिति के लिए परिजनों की लापरवाही भी जिम्मेदार है. महिला एवं बाल विकास विभाग के डीपीओ राजीव सिंह ने कहा कि मामले की जांच कराई जा रही है. यदि किसी भी कर्मचारी की लापरवाही सामने आती है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी.
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