Satna News: गरीबों, आवासहीनों को स्थाई पक्का आवास देने के लिए बनाई गई पीएम नरेंद्र मोदी (Narendrda Modi) की प्रधानमंत्री आवास योजना भ्रष्टाचार की जद में आ गई है. सतना (Satna) शहरी क्षेत्र में कॉलोनी विकसित कर आवास आवंटन में नाजायज फायदा उठाते हुए रसूखदारों ने घर खरीद लिए. इन घरों के आवंटन में हुए फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ, जब एक किराएदर पर हमला हो गया. अब नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी लीपापोती करने में जुट गए हैं.
अपात्रों को दिया लाभ
बता दें कि सतना शहर के 45 वार्ड में रहने वाले आवासहीनों के लिए उतैली और कृपालपुर में कुल 2712 आवासों का निर्माण 188.26 करोड़ की लागत से कराया गया. ये आवास उन लोगों को दिए जाने थे, जिनके पास शहर में जमीन का कोई टुकड़ा या कोई पक्का घर नहीं था. इस बीच नगर निगम के द्वारा की गई आवंटन प्रक्रिया में नगर निगम के पूर्व पार्षद, उनके नजदीकी रिश्तेदार के साथ ही कई व्यापारियों को आवास दे दिए गए. यह आवंटन नगर निगम के प्रभारी ईई अरुण तिवारी के कार्यकाल में हुए. जिनको लेकर पहले भी सवाल उठते रहे हैं. उन पर आरोप है कि उन्होंने व्यक्तिगत आवास वाली सूची में भी कई अपात्रों को लाभ देने का कारनामा किया था.
यहां आवास उन लोगों को मिलना थी, जिनकी वार्षिक आय 3 लाख से 6 लाख के बीच में होनी चाहिए. वह भारत का मूल निवासी हो. इसके अलावा आवेदक के पास खुद का पक्का मकान नहीं हो. लाभार्थी ने खुद के नाम पर पहले कोई हाउसिंग योजना का फायदा नहीं लिया हो. इसके अलावा आवेदक किसी भी तरह से टैक्स पेयर नहीं होना चाहिए.
आवंटन की नियम एवं शर्तें
आवास योजना के तहत आवेदन करने वाले अभ्यर्थी नियम और शर्तें बनाई गईं थीं. इन शर्तों को मानने के बाद ही योजना का लाभ दिया जा सकता था. आवेदक की वार्षिक आय 3 लाख से 6 लाख के बीच में होनी चाहिए. वह भारत का मूल निवासी हो. इसके अलावा आवेदक के पास खुद का पक्का मकान नहीं हो. लाभार्थी ने खुद के नाम पर पहले कोई हाउसिंग योजना का फायदा नहीं लिया हो. इसके अलावा आवेदक किसी भी तरह से टैक्स पेयर नहीं होना चाहिए. जबकि सतना नगर निगम में अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से अपात्रों को आवास का आवंटन कर दिया गया. इसके बाद इन हितग्राहियों ने इन मकानों को किराए पर भी लगा दिया.
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सर्वे का सिर्फ नाटक हुआ
बताया जाता है कि पीएम आवास योजना का आवंटन पाने वाले लोगों की पात्रता जांचने के लिए सर्वे भी किया जाना था कि जिन लोगों को आवास मिला है, वे वहां रह रहे हैं या नहीं. बताया जाता है कि ये सर्वे एक टीम के जरिए कराया गया था. हालांकि, सर्वेयर को कहीं कोई कमी नजर नहीं आई. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सर्वे के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई? विभागीय अधिकारी के अनुसार सर्वे में कुछ लोगों ने खुद को आवंटी का रिश्तेदार बताया था, जिससे उन पर कोई एक्शन नहीं लिया जा सका. यह हाल उतैली और कृपालपुर दोनों आवासों का है.
फैक्ट फाइल
निर्माण स्थल - उतैली और कृपालपुर
प्रोजेक्ट की लागत- 188.35 करोड़ रुपए
ईडब्ल्यूएस- 2446
एलआईजी- 146
एमआईजी- 120
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