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MP News: विपक्षी सांसदों के निलंबन पर लोकसभा स्पीकर ने दी सफाई, बोले-इसलिए करना पड़ा बर्खास्त

Parliament Winter Session 2023: लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि सुनियोजित व्यवधान लोकतंत्र की भावना के लिए हानिकारक है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विधायिका की गरिमा से समझौता करने वाली घटनाओं के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है.मतभेद का मतलब सदन की कार्यवाही में बाधा नहीं बनना चाहिए.

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MP News: विपक्षी सांसदों के निलंबन पर लोकसभा स्पीकर ने दी सफाई, बोले-इसलिए करना पड़ा बर्खास्त

Madhya Pradesh News Aaj ki: दोनों सदनों से विपक्ष के 140 सांसदों के निलंबन पर सवालों का सामना कर रहे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (Om Birla) ने मंगलवार को पहली बार सफाई दी. उन्होंने कहा कि कोई भी पीठासीन अधिकारी विधानमंडल के सदस्यों को निलंबित करना पसंद नहीं करता है, लेकिन सदन की गरिमा से समझौता नहीं किया जा सकता.

आपको बता दें कि हाल में संपन्न हुए संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) से 140 से अधिक विपक्षी सांसदों के निलंबन के बारे में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि एक नई ‘परंपरा' सामने आई है, जहां कोई पहले से घोषणा कर देता है कि आज विधायिका को काम करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. बिरला ने ये बातें मध्य प्रदेश विधानसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों के दो दिवसीय प्रशिक्षण सत्र के 'प्रबोधन' कार्यक्रम का उद्घाटन करने के बाद पत्रकार वार्ता के दौरान कही.  

विधायिका की गरिमा के लिए निलंबन को बताया जरूरी

बिरला ने कहा कि लोकतंत्र में जब सदस्य विधायिका की गरिमा और मर्यादा का उल्लंघन करते हैं, तो इससे अच्छा संदेश नहीं जाता है. उन्होंने कहा कि प्रत्येक सदस्य को नियमों और प्रक्रिया के तहत हर मुद्दे पर चर्चा करने का मौका मिलता है, जिससे बेहतर परिणाम भी मिलते हैं. उन्होंने कहा कि कोई भी पीठासीन अधिकारी कभी भी किसी भी सदस्य को निलंबित नहीं करना चाहता, लेकिन विधायिका की गरिमा से समझौता नहीं किया जा सकता. हम सदन की गरिमा बनाए रखने की कोशिश करते हैं.

...सदन की गरिमा कम नहीं होनी चाहिए

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में, बिरला ने कहा कि 2001 में सभी राज्यों के विधानसभा अध्यक्षों और राजनीतिक दलों के नेताओं के बीच विधायिका में व्यवधान के मुद्दे पर बहुत गंभीर चर्चा हुई थी और हर कोई देश में विधायिका की गरिमा और प्रतिष्ठा बनाए रखने के बारे में चिंतित था. उन्होंने कहा कि हर कोई मानता है कि विधायिका में सदस्यों का आचरण गरिमापूर्ण होना चाहिए. एक मर्यादा होनी चाहिए. विधायिका चर्चा और संवाद के लिए है. सहमति और असहमति हो सकती है, लेकिन सदन की गरिमा कम नहीं होनी चाहिए.

पीएम मोदी को बताया सफल

बिरला ने कहा कि पहली बार के विधायक भी अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं. उन्होंने पीएम मोदी का उदाहरण देते हुए कहा कि नरेन्द्र मोदी पहली बार किसी राज्य के मुख्यमंत्री बने, पहली बार सांसद बने और देश के प्रधानमंत्री बने. वह सभी मामलों में सफल रहे.

अनुशासनहीनता से घटती है सदन की विश्वसनीयता

प्रबोधन कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए बिरला ने विधायी निकायों में अनुशासन और शिष्टाचार में गिरावट पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा, कुछ हद तक असहमति, शोर और हंगामा स्वाभाविक है, लेकिन अक्सर गर्मागर्म बहसें अव्यवस्था और अराजकता का कारण बनती हैं, जो ठीक नहीं है. इससे समय और संसाधनों का नुकसान होता है, जिससे लोगों के बीच विधायिकाओं की विश्वसनीयता कम होती है.

अनुशासन के लिए कड़े कदम उठाना जरूरी

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि सुनियोजित व्यवधान लोकतंत्र की भावना के लिए हानिकारक है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विधायिका की गरिमा से समझौता करने वाली घटनाओं के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है.
मतभेद का मतलब सदन की कार्यवाही में बाधा नहीं बनना चाहिए.

अनुशासन में गिरावट पर जताई चिंता

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, प्रत्येक विधायक की यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है कि विधायी समय का उपयोग सार्थक और उत्पादक बहस के लिए अत्यंत अनुशासन और प्रतिबद्धता के साथ किया जाए. बिरला ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में व्यवधान और हंगामे के कारण स्थगन की संख्या में वृद्धि हुई है और विधानसभाओं की बैठकों की संख्या और उत्पादकता में गिरावट आई है. बिरला ने कहा, अराजकता और व्यवधान की निरंतर स्थिति इन संस्थानों को निष्क्रिय बना देती है, जिससे वे लोगों के मुद्दों को हल करने में असमर्थ हो जाते हैं.

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इन नेताओं ने भी प्रबोधन सत्र को किया संबोधित

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि नवनिर्वाचित विधायकों के प्रबोधन सत्र आयोजित करने की बिरला की पहल उन जन प्रतिनिधियों के लिए फायदेमंद होगी, जो अकसर लोगों के मुद्दों को हल करने के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार होते हैं. मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि बिरला एक आदर्श पीठासीन अधिकारी हैं, जो देशभर के जनप्रतिनिधियों के लिए प्रेरणास्रोत हैं. इस अवसर पर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने भी संबोधित किया.
प्रबोधन कार्यक्रम का आयोजन पार्लियामेंट्री रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट फॉर डेमोक्रेसी (पीआरआईडीई), लोकसभा सचिवालय द्वारा मध्य प्रदेश विधान सभा सचिवालय के सहयोग से किया गया था.

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