पूरे बुंदेलखंड (Bundelkhand) सहित सागर (Sagar) में सर्व सिद्धि योग और रवि योग के शुभ संयोग के बीच गुरुवार को देवउठानी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi 2023) का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन गन्ने की मंडप बनाकर तुलसी और शालिग्राम का विवाह होगा. बता दें कि बुंदेलखंड में शादियों की तरह बड़े धूमधाम से तुलसी और शालिगराम विवाह उत्सव मनाया जाता है. इस मौके पर लग्न, बारात सहित शादी की तरह कई रस्में निभाई जाती है.
घर और मंदिरों में कथा पूजन के बाद होगा तुलसी शालिग्राम विवाह
पंडित आशीष शास्त्री ने बताया कि इस बार देवउठनी एकादशी गुरुवार, 21 नवंबर को मनाई जाएगी. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और तुलसी शालिग्राम विवाह होगा. उत्तर भद्रा नक्षत्र और व्रज योग बन रहा है.इस दौरान मीन राशि का चंद्रमा रहेगा. सूर्य उदय देर रात तक रहेगा. वहीं प्रदोष में पूजन होगा.
मंदिरों में पूरी हुई विवाह उत्सव की तैयारी
देवउठनी एकादशी पर होने वाले तुलसी शालिग्राम विवाह को लेकर मंदिरों में तैयारियां पूरी हो गई है. दरअसल, सागर के बड़ा बाजार स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर रहली के बालाजी मंदिर में तुलसी शालिग्राम महोत्सव की तैयारी पूरी हो गई है. इस दौरान भगवान की मूर्ति को नई पोशाकों और आभूषणों से श्रृंगार किया जाएगा. हालांकि ब्रह्म मुहूर्त में भगवान का अभिषेक किया गया. उसके बाद राजभोग भी लगाया गया. शाम को संध्या आरती होगी. वहीं रात 9:00 बजे तुलसी शालिगराम विवाह होगा.
तुलसी शालिग्राम विवाह की रस्म शुरू..भगवान को चढ़ाई गई हल्दी तेल
बुंदेलखंड में विशेष तौर पर तुलसी शालिगराम विवाह मनाने की परंपरा है. इसके लिए तैयारी पहले से ही शुरू कर दी जाती हैं. बता दें कि आज मकरोनिया स्थित राम दरबार मंदिर में धूमधाम से तुलसी शालिग्राम विवाह मनाया जाएगा. इसके लिए तैयारियां पूरी हो गई है. बुधवार को हल्दी और तेल की रस्में पूरी की गई. वहीं आज रात में भगवान शालिग्राम की बारात निकाली जाएगी. बारात मकरोनिया के दीनदयाल शंकर मंदिर से शुरू होकर राम दरबार तक ढोल बाजे के साथ जाएगी. इसके बाद गन्ने की मंडप के नीचे माता तुलसी और भगवन शालिग्राम का विवाह धूमधाम से होगा.
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आज से शुरू हो जाएंगे शुभ कार्य
शास्त्रों के अनुसार, आषाढ़ मास की देवशयनी एकादशी से कार्तिक मास तक के समय को चातुर्मास कहा जाता है. इन चार महीनों में भगवान विष्णु क्षीरसागर पर शयनयान करते हैं, जिसकी वजह से कृषि के अलावा कोई भी शुभ कार्य नहीं होते हैं. हालांकि देवउठनी एकादशी से चातुर्मास का भी समापन हो जाता है. यानी इस एकादशी से विवाह, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे शुभ और मांगलिक कार्यों पर लगी पाबंदी हट जाती है और मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है. दरअसल, आज से शादी विवाह शुरू हो जाएंगे.
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