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सागर... एक शहर, दो अंग्रेजी नाम बना लोगों के लिए बड़ा सिरदर्द, जानें क्या है वजह 

MP News: स्वतंत्रता के बाद राज्य सरकार ने इसे “Sagar” लिखना शुरू किया, लेकिन कई केंद्रीय विभागों और खासकर रेलवे में अब भी “Saugor” ही दर्ज है.

सागर... एक शहर, दो अंग्रेजी नाम बना लोगों के लिए बड़ा सिरदर्द, जानें क्या है वजह 

Madhya Pradesh News: मध्यप्रदेश का सागर जिला वैसे तो अपनी ऐतिहासिक धरोहर और सांस्कृतिक पहचान के लिए जाना जाता है, लेकिन यहां के लोग पिछले कई सालों से एक अजीबोगरीब समस्या से जूझ रहे हैं. दरअसल सागर का नाम हिंदी में तो “सागर” ही है, लेकिन अंग्रेजी में इसके दो नाम प्रचलन में हैं – Sagar और Saugor. हैरानी की बात यह है कि दोनों नाम आधिकारिक तौर पर मान्य भी हैं.

राज्य सरकार के दस्तावेजों, फाइलों और विभागीय कामकाज में जिले का नाम Sagar दर्ज होता है, जबकि केंद्र सरकार के कई विभागों में अब भी इसे Saugor के नाम से लिखा जाता है. यही कारण है कि आम नागरिकों को अक्सर दस्तावेज़ बनवाने से लेकर रेलवे रिजर्वेशन तक, कई मामलों में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

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सबसे बड़ी परेशानी रेलवे यात्रा के दौरान सामने आती है. जब भी यात्री ऑनलाइन टिकट बुक करते हैं या ट्रेन की जानकारी खोजते हैं, तो अंग्रेजी में Saugor टाइप करना पड़ता है. वहीं, कई बार लोग केवल Sagar सर्च करते हैं, जिससे उन्हें सही जानकारी नहीं मिल पाती है. इससे यात्रियों को ट्रेन समय, टिकट बुकिंग और यात्रा योजनाओं में खासी कठिनाई होती है.

ऐसे आया प्रचलन में 

इस समस्या की जड़ ब्रिटिश काल से जुड़ी है. इतिहासकार बताते हैं कि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम और बुंदेला विद्रोह के समय अंग्रेजों ने सागर में बड़ी सैन्य छावनी स्थापित की थी. अंग्रेज अफसर और सैनिक जब “सागर” का उच्चारण करते थे, तो उनके लहजे में यह Saugor सुनाई देता था. धीरे-धीरे यही नाम सरकारी दस्तावेज़ों और विभागों में प्रचलन में आ गया.

 स्वतंत्रता के बाद राज्य सरकार ने इसे “Sagar” लिखना शुरू किया, लेकिन कई केंद्रीय विभागों और खासकर रेलवे में अब भी “Saugor” ही दर्ज है.

स्थानीय लोग लंबे समय से एक समान नाम की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि जब देश आजाद हो चुका है तो शहर के नाम को लेकर यह औपनिवेशिक छाया अब खत्म होनी चाहिए. खासकर रेलवे और केंद्रीय विभागों को नाम एकरूप करना चाहिए, ताकि आम जनता को परेशानी से निजात मिल सके.

सागर के बुद्धिजीवी और सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि यदि जल्द ही “Sagar” और “Saugor” के बीच की यह उलझन दूर नहीं हुई, तो आने वाले दिनों में यह समस्या और गंभीर रूप ले सकती है.

कुल मिलाकर, सागर का यह ‘दो नामों वाला विवाद' लोगों के लिए पहचान का संकट बन गया है. जनता अब उम्मीद लगाए बैठी है कि सरकार जल्द ही इस मसले का स्थायी समाधान निकालकर सागर को एक ही नाम से पहचाने जाने की दिशा में कदम उठाएगी. 

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