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कोई साइकिल से, तो कोई पैदल पहुंचा कलेक्ट्रेट, पूरे Rewa संभाग में अफसरों ने कार का किया त्याग, जानें क्यों?

Cycle Day in Satna: रीवा के संभागीय आयुक्त ने मंगलवार को साइकिल-डे मनाने की अपील की थी. इसके बाद रीवा, सतना और मैहर जिला के कलेक्टर, एसडीएम और तहसीलदार साइकिल से या पैदल अपने कार्यालय पहुंचे.

कोई साइकिल से, तो कोई पैदल पहुंचा कलेक्ट्रेट, पूरे Rewa संभाग में अफसरों ने कार का किया त्याग, जानें क्यों?
रीवा संभाग में मनाया गया साइकिल - डे

MP Cycle Day: ईंधन की बढ़ती कीमतें, पर्यावरण प्रदूषण और नागरिकों के स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं लगातार गंभीर रूप ले रही हैं. इसे देखते हुए मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के रीवा संभाग में एक सराहनीय पहल की शुरुआत की गई है. संभागीय आयुक्त बीएस जामोद की अपील के बाद सतना कलेक्टर सतीश कुमार एस सहित तमाम आला अधिकारी साइकिल चलाकर अपने कार्यालय पहुंचे. आयुक्त ने अधिकारियों और कर्मचारियों से आह्वान किया था कि वे हर मंगलवार को 'साइकल-डे' के तहत स्वेच्छा से अपनाएं. इस दौरान कलेक्टर सतीश कुमार एस ने कहा कि इसका उद्देश्य न केवल ईंधन की बचत और पर्यावरण संरक्षण है, बल्कि कर्मचारियों को स्वास्थ्य लाभ सबसे अहम है. इसके साथ ही, रीवा और मैहर जिला के प्रशासनिक अधिकारी भी पैदल या साइकिल से अपने ऑफिस पहुंचे.

सतना में साइकिल से पहुंचे अधिकारी

सतना में साइकिल से पहुंचे अधिकारी

महिला कर्मचारियों को ई-स्कूटी की सलाह

महिला कर्मचारियों के लिए विकल्प दिया गया है. महिला अधिकारी और कर्मचारी सार्वजनिक परिवहन या अपनी ई-स्कूटी से कार्यालय आ सकती हैं. यह पहल पूरी तरह स्वैच्छिक है, लेकिन आयुक्त रीवा ने सभी से अपील की है कि वे इसमें सक्रिय भागीदारी निभाकर इसे सफल बनाएं. यह न केवल एक संस्थागत उत्तरदायित्व है, बल्कि समाज और पर्यावरण के प्रति हमारी नैतिक जिम्मेदारी भी है. संभागीय प्रशासन का यह प्रयास आने वाले समय में पर्यावरणीय चेतना और सामूहिक जिम्मेदारी की मिसाल बन सकता है.

मैहर में पैदल पहुंचे अधिकारी

संभाग आयुक्त के ऑर्डर के बाद मैहर जिला की कलेक्टर रानी बाटड़, अपर कलेक्टर शैलेन्द्र सिंह, एसडीएम विकास सिंह, महिला बाल विकास अधिकारी राजेंद्र बांगरे, तहसीलदार जितेंद्र पटेल सहित अन्य अधिकारी और कर्मचारी सुबह करीब चार किलोमीटर की दूरी पैदल तय कर कलेक्ट्रेट पहुंचे. हालांकि, इस पहल के दौरान एक रोचक स्थिति भी देखने को मिली. बताया गया कि कलेक्टर रानी बाटड़ को साइकिल चलाना नहीं आता और न ही ई-स्कूटी ड्राइव करना आता है. इस वजह से वे साइकिल से कार्यालय नहीं आ सकीं, लेकिन उन्होंने पहल को समर्थन देते हुए पैदल यात्रा कर पर्यावरण संरक्षण के संदेश में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाई.

रीवा में भी पर्यावरण संरक्षण का समर्थन

रीवा शहर की आज फिजा बदली-बदली सी नजर आई. संभागीय कमिश्नर का वह नारा काम कर गया, जिसमें उन्होंने कहा था, कुदरत के करीब आए, पेडल मारकर प्रकृति को बचाएं. रीवा जिले के सारे बड़े अधिकारियों ने कार की जगह साइकिल से या फिर पैदल अपने घर से दफ्तर के लिए निकले. रीवा के सभी बड़े अधिकारी अपनी-अपनी कार अपने घर में छोड़कर, पैदल और साइकिल से कलेक्ट्रेट पहुंचे.

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क्या है साइकिल-डे मनाने का मकसद?

इस पहल के तहत निजी और शासकीय पेट्रोल/डीजल वाहनों का उपयोग नहीं किया जाएगा, जिससे ईंधन की खपत में कमी आएगी. यह व्यक्तिगत आर्थिक बचत के साथ-साथ राष्ट्रीय संसाधनों पर भी सकारात्मक प्रभाव डालेगा. वाहनों से निकलने वाले धुएं में कमी आने से वायु प्रदूषण घटेगा, जिससे शहर का पर्यावरण अधिक स्वच्छ और स्वास्थ्यवर्धक होगा. साइकिल चलाना एक बेहतरीन व्यायाम है, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है. इससे अधिकारियों और कर्मचारियों में एक स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा मिलेगा. क्षेत्र भ्रमण के लिए दो-तीन अधिकारी समन्वय कर एक ही वाहन का उपयोग करें, जिससे न केवल योजनाओं का निरीक्षण बेहतर तरीके से हो सके, बल्कि विभागीय समन्वय से समस्याओं का त्वरित समाधान भी संभव हो.

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