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Rare Disease: गंभीर बीमारी से पीड़ित बड़वानी के मासूम को मदद की दरकार; हर माह विदेश से आती है लाखों रुपये की दवा

Rare Disease: बिलाल की मां नूरजहां बताती हैं कि यह बीमारी उनके परिवार के लिए नई नहीं है. इसी बीमारी से उनकी बेटी मिस्बाह की मौत हो चुकी है. उस वक्त उन्हें यह भी नहीं पता था कि बीमारी क्या है. दुखद बात यह रही कि मिस्बाह के इलाज के लिए पीएम कार्यालय से आर्थिक सहायता की मंजूरी का पत्र बेटी की मौत के दो दिन बाद आया.

Rare Disease: गंभीर बीमारी से पीड़ित बड़वानी के मासूम को मदद की दरकार; हर माह विदेश से आती है लाखों रुपये की दवा
Rare Disease: बड़वानी का 5 वर्षीय मासूम दुर्लभ बीमारी से पीड़ित; हर महीने विदेश से आती है लाखों रुपये की दवाई

Rare Gaucher Disease: बड़वानी जिला मुख्यालय से करीब 38 किलोमीटर दूर तलवाड़ा डेब. यह एक छोटा सा गांव है, जहां एक  रहने वाला 5 साल का मासूम मोहम्मद बिलाल हर दिन जिंदगी की जंग लड़ रहा है. बिलाल एक ऐसी दुर्लभ और जेनेटिक बीमारी गौचर डिजीज (Gaucher Disease) से पीड़ित है, जो लाखों में किसी एक बच्चे को होती है. बिलाल के पिता शरीफ मंसूरी रजाई–गादी भरने का काम करते हैं. दिनभर मेहनत के बाद उनकी कमाई मुश्किल से 300 से 400 रुपये रोज होती है. मां नूरजहां मंसूरी गृहिणी हैं. लेकिन बिलाल की बीमारी का इलाज इतना महंगा है कि यह परिवार की पहुंच से कई गुना बाहर है.

Rare Disease: एम्स का पर्चा

Rare Disease: एम्स का पर्चा

कैसी है बीमारी?

डॉक्टरों के मुताबिक गौचर डिजीज में बच्चे के लीवर, तिल्ली और दिल का आकार बढ़ता चला जाता है, जिससे पेट फूलता है और समय पर इलाज न मिले तो जान का खतरा बना रहता है. इस बीमारी में मरीज को एंजाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी की जरूरत होती है, जिसकी दवा भारत में उपलब्ध नहीं है. बिलाल को लगने वाला इंजेक्शन अमेरिका से बुलवाना पड़ता है.

दिल्ली एम्स के डॉक्टरों ने बिलाल के इलाज के लिए करीब 20 लाख रुपए से ज्यादा का खर्च बताया है. वहीं हर महीने लगने वाला इंजेक्शन अमेरिका से मंगवाना पड़ता है, जिसका खर्च करीब 7 लाख 50 हजार से 8 लाख रुपए प्रति माह आता है.
Rare Disease: दुर्लभ बीमारी से पीड़ित मासूम

Rare Disease: दुर्लभ बीमारी से पीड़ित मासूम

बिलाल की मां नूरजहां बताती हैं कि यह बीमारी उनके परिवार के लिए नई नहीं है. इसी बीमारी से उनकी बेटी मिस्बाह की मौत हो चुकी है. उस वक्त उन्हें यह भी नहीं पता था कि बीमारी क्या है. दुखद बात यह रही कि मिस्बाह के इलाज के लिए पीएम कार्यालय से आर्थिक सहायता की मंजूरी का पत्र बेटी की मौत के दो दिन बाद आया.

2021 में मिला था आश्वासन

साल 2021 में बिलाल के इलाज को लेकर मां नूरजहां, पिता शरीफ मंसूरी, दादी वाहीदा मंसूरी, तत्कालीन चाइल्ड लाइन परियोजना समन्वयक संजय आर्य और विधिक सेवा पैरालीगल वालंटियर सतीश परिहार तत्कालीन कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा और सीएमएचओ से मिले थे, लेकिन तब भी कोई ठोस समाधान नहीं निकल सका.

सामाजिक कार्यकर्ता सतीश परिहार बताते हैं कि यह बीमारी जेनेटिक है और बेहद दुर्लभ. बड़वानी जिले में यह दूसरा मामला है. फिलहाल कुछ समय तक एनजीओ और समाजसेवियों की मदद से इलाज चलता रहा, लेकिन अब वह सहायता भी धीरे-धीरे बंद होती जा रही है.

बिलाल के माता-पिता ने जनप्रतिनिधियों से लेकर जिला प्रशासन तक कई बार आवेदन और निवेदन किया, लेकिन अब तक कोई स्थायी सरकारी सहायता नहीं मिल पाई है. परिवार का कहना है कि अगर समय पर दवा नहीं मिली, तो वे अपने बेटे को भी खो सकते हैं.

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