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कांग्रेसियों और वामपंथियों ने उस समय ‘विषाक्त माहौल' बनाया, अब अयोध्या जाकर ‘प्रायश्चित’ करना चाहिए : उमा भारती

Ram Mandir Ayodhya : उमा भारती ने दावा किया कि 1949 में रामलला (Ram Lalla) के ‘प्रकट' होने से पहले भी अयोध्या (Ayodhya) के विवादित ढांचे में नमाज नहीं पढ़ी जाती थी. उन्होंने कहा, ‘‘उस समय, (तत्कालीन प्रधानमंत्री) नेहरू ने मुसलमानों को खुश करने के लिए परिसर को बंद करने और हिंदुओं को खुश करने के लिए सुबह और शाम पूजा की अनुमति देने का फैसला किया. नेहरू द्वारा हिंदुओं और मुसलमानों दोनों को खुश रखने के लिए शुरू की गई परंपरा छह दिसंबर को ढांचा विध्वंस का कारण बनी.''

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कांग्रेसियों और वामपंथियों ने उस समय ‘विषाक्त माहौल' बनाया, अब अयोध्या जाकर ‘प्रायश्चित’ करना चाहिए : उमा भारती
भोपाल:

Madhya Pradesh News : भारतीय जनता पार्टी (BJP) की वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री (Former Chief Minister) उमा भारती (Uma Bharti) ने कांग्रेस (Congress) और वाम दलों (Left Parties) पर राम जन्मभूमि आंदोलन (Ram Janmbhoomi Movement) के दौरान ‘विषाक्त माहौल' बनाने का आरोप लगाया है. इसके साथ ही उन्होंने सलाह दी है कि कांग्रेस और वामदलों के नेताओं को ‘प्रायश्चित' के तौर पर बिना निमंत्रण के अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में जाना चाहिए.

नेहरु पर उठाए सवाल

राम मंदिर आंदोलन की हिस्सा रहीं उमा भारती ने उन दिनों को याद करते हुए कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू (Prime Minister Jawaharlal Nehru) द्वारा हिंदुओं और मुसलमानों दोनों को खुश रखने की कोशिश के कारण अंततः छह दिसंबर 1992 को बाबरी ढांचे (Babri Masjid) का विध्वंस हुआ.

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘इन वामपंथियों और कांग्रेसियों ने उस समय विषाक्त माहौल बनाया. अब जब वे कहते हैं कि हमें (22 जनवरी को राम मंदिर में राम लला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए निमंत्रण नहीं मिला है, तो मैं कहूंगी कि आपका सबसे बड़ा प्रायश्चित यह होगा कि आप बिना निमंत्रण के वहां जाएं, सरयू नदी में डुबकी लगाएं और भगवान राम के सामने खड़े होकर कान पकड़कर क्षमा मांगे.''

उमा भारती ने दावा किया कि 1949 में रामलला (Ram Lalla) के ‘प्रकट' होने से पहले भी अयोध्या (Ayodhya) के विवादित ढांचे में नमाज नहीं पढ़ी जाती थी. उन्होंने कहा, ‘‘उस समय, (तत्कालीन प्रधानमंत्री) नेहरू ने मुसलमानों को खुश करने के लिए परिसर को बंद करने और हिंदुओं को खुश करने के लिए सुबह और शाम पूजा की अनुमति देने का फैसला किया. नेहरू द्वारा हिंदुओं और मुसलमानों दोनों को खुश रखने के लिए शुरू की गई परंपरा छह दिसंबर को ढांचा विध्वंस का कारण बनी.''

'कांग्रेस को मुसलमानों की चिंता नहीं है, वह केवल वोट चाहती है'

उमा भारती ने कहा कि इस परंपरा के कारण कांग्रेस दुविधा में है, क्योंकि उसकी राम या राम राज्य में कोई आस्था नहीं है और उसे मुसलमानों की भी चिंता नहीं है बल्कि वह केवल वोट चाहती है. उमा ने कहा, ‘‘उन्होंने (कांग्रेस ने) राम और राम-सेतु (Ram Setu) के अस्तित्व को नकार दिया ....और वे इस तथ्य से इनकार नहीं कर सकते क्योंकि उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) में कांग्रेस सरकार का हलफनामा है जिसमें कहा गया कि राम काल्पनिक थे.''

उमा भारती ने यह भी दावा किया कि राम मंदिर आंदोलन में भाग लेने वाले कारसेवक शांत थे लेकिन उन्हें बिना किसी चेतावनी के सिर और सीने में गोली दाग दी गईं.

उन्होंने सवाल किया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव (Prime Minister PV Narasimha Rao) ने इस तथ्य को नजरअंदाज क्यों किया और मुलायम सिंह यादव (तत्कालीन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री) और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा क्यों नहीं शुरू किया?

मथुरा और काशी को लेकर यह कहा

उमा भारती ने कहा कि मथुरा और काशी में धार्मिक स्थलों से संबंधित विवाद अदालतों के समक्ष हैं, लेकिन अयोध्या की तरह, मथुरा और काशी भी हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण स्थान हैं.

उन्होंने कहा कि अदालत अपना फैसला उन पर थोप सकती है, लेकिन उनकी भावनाओं पर नहीं कि मथुरा में जहां भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था, वहां एक भव्य मंदिर होना चाहिए.

उमा भारती ने सवाल किया, ‘‘वह (कोर्ट) यह आदेश कैसे दे सकती है कि उमा भारती, आपको काशी, मथुरा में आस्था नहीं रखनी चाहिए.''

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