
Ram Mandir Inauguration : भगवान श्री रामलला सरकार की उनके जन्मस्थान स्थित मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के अब कुछ ही दिन बचे हैं. 22 जनवरी को अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर अयोध्या (Shri Ram Janmbhoomi Mandir Ayodhya) में होने जा रहे प्राण प्रतिष्ठा समारोह के कार्यक्रम की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. इस भव्य और ऐतिहासिक कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास (Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra Trust) द्वारा प्रमुख शख्सियतों को आमंत्रित किया जा रहा है. कारसेवकों और उनके परिजनों को भी निमंत्रण भेजा गया है. पिछले कुछ समय से राजनीतिक गतिविधियों से दूर चल रहीं मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व केंद्रीय मंत्री और राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक भारतीय जनता पार्टी (BJP Leader) की नेता उमा भारती (Uma Bharti) भी इस कार्यक्रम में शामिल रहेंगी. 6 दिसंबर 1992 को जब बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) ढहाई गई थी, तब उमा भारती अयोध्या (Ayodhya) में मौजूद थीं और इस मामले के 32 आरोपियों में से एक थीं. इन सभी आरोपियों को 2020 में एक विशेष सीबीआई अदालत (CBI Court) ने बरी कर दिया था. वहीं पिछले साल इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने बरी किए जाने के खिलाफ दायर की गई अपील को भी रद्द कर दिया था. 22 जनवरी को राम लला की मूर्ति के प्रतिष्ठा समारोह (Consecration Ceremony of Ram Lalla Idolon) में भाग लेने के लिए अयोध्या जाने से कुछ दिन पहले उमा भारती ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए गए इंटरव्यू में राम मंदिर आंदोलन (Ram Mandir Movement) सहित कई मुद्दों पर चर्चा की है. आइए इसी इंटरव्यू की कुछ प्रमुख बातों को जानते हैं.
बचपन में उमा को महंत राम चंद्र दास अयोध्या लेकर गए थे
राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़ने को लेकर जब उमा भारती से सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि जब मैं 12 साल की थी तब धार्मिक प्रवचन देने के लिए अयोध्या गयी थी. मैं बचपन में रामायण और महाभारत पर प्रवचन दिया करती थी. बचपन में महंत राम चंद्र दास मुझे प्रवचन के लिए वहां (अयोध्या) ले गए थे. मैंने वहां ताला लगा देखा और प्रार्थना भी होते देखी.
उमा आगे बताती है कि 1984 में, विश्व हिंदू परिषद (VHP) यानी विहिप से जुड़ा हुआ एक आंदोलन वहां शुरू हुआ था जिसमें एक नारा खूब चला था 'ज़ोर से बोलो, राम जन्मभूमि का ताला खोलो'. उस समय तक मैं राजनीति (Politics) में आ चुकी थी. मुझसे आंदोलन में भाग लेने के लिए कहा गया और मैंने उसमें हिस्सा लिया.
बांदा गेस्ट हाउस में रखने से लेकर सिर मुंडाने तक
उमा पुरानी यादों को ताजा करते हुए कहती हैं कि जब वहां ताले खुले, तब मैंने सितंबर 1989 में शिलान्यास में भाग लिया. फिर मथुरा में एक बैठक हुई और कार सेवा (मंदिर के लिए स्वैच्छिक कार्य) की तारीख 31 अक्टूबर, 1990 घोषित की गई. इस दौरान प्रधान मंत्री वी.पी. सिंह जी भ्रमित थे, कभी हमसे सहमत होते थे तो कभी कम्युनिस्टों से, जो हमारी तरह उनकी सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे थे.
31 अक्टूबर को कार सेवा हुई और पुलिस कार्रवाई में अशोक सिंघल जी घायल हो गये. ये खबर हमने दूरदर्शन पर देखी. मुझे इस बात पर गुस्सा आया कि हम लोगों से कार सेवा में शामिल होने के लिए कह रहे थे और अब वे गोलियों का सामना कर रहे थे और मैं गेस्ट हाउस में एक वीआईपी की तरह बैठी थी.
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उमा भारती
6 दिसंबर को क्या हुआ जानिए उमा की जुबानी
अपने इंटरव्यू में उमा भारती बताती है कि 6 दिसंबर की सुबह, आचार्य धर्मेंद्र ने ऋतंभरा जी और मुझे मंच पर जाने के लिए कहा क्योंकि भीड़ बढ़ रही थी. राम जन्मभूमि से करीब आधा किलोमीटर दूर एक इमारत थी, लेकिन वहां से वह स्थान दिखाई देता था. मंच उस इमारत के ऊपर था. मुरली मनोहर जोशी जी, लालकृष्ण आडवाणी जी, राजमाता विजयाराजे सिंधिया वहां मौजूद थे. हमें एक के बाद एक बोलने को कहा गया. संयोगवश, जब मैं बोल रही थी तब मैंने देखा कि कार सेवक ढांचे पर चढ़ रहे हैं. मैं रुक गयी, मैं खड़ी थी और उन्हें देख सकती थी. मैंने बाकी लोगों को बताया कि कार सेवक ढांचे पर चढ़ गए हैं. आडवाणी जी ने माइक्रोफोन पर उनसे नीचे आने की अपील की. लेकिन 'जय श्री राम' (Jai Shri Ram) के नारे ऐसे थे कि किसी को कुछ सुनाई नहीं दिया.
दंगे होते नहीं, करवाए जाते हैं : उमा भारती
जब उमा भारती से इंटरव्यू के दौरान पूछा गया कि 1990-92 के दौरान देश में दंगे हुए और लोग मारे गए. आपका क्या विचार है? क्या रक्तपात से बचना नहीं चाहिए था? इसका जवाब देते हुए उमा कहती हैं कि 2010 में इलाहबाद हाई कोर्ट के फैसले के बाद कोई दंगा नहीं हुआ. 2019 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कोई दंगा नहीं हुआ. उसके बाद जब प्रधानमंत्री शिलान्यास में शामिल हुए तो कोई दंगा नहीं हुआ. अब जब उद्घाटन होने वाला है तो कोई तनाव या डर नहीं है. इसका मतलब यह है कि कांग्रेस (Congress) ने पूरी प्लानिंग के साथ 1990-92 में डर पैदा करने के लिए विभाजन की स्थिति पैदा की थी. इसके अलावा, हिंदुओं से कम्युनिस्ट नफरत करते हैं और चाहते हैं कि हिंदू और मुसलमान आपस में लड़ें. दंगे होते नहीं, करवाए जाते हैं. हिंदू और मुसलमान शांति से रह सकते हैं.'
राम भक्ति पर हमारा कोई कॉपीराइट नहीं है. भगवान राम और हनुमान जी बीजेपी नेता नहीं
22 जनवरी के निमंत्रण के बारे में सवाल करते हुए जब उमा भारती से पूछा गया कि क्या विपक्षी नेताओं को आमंत्रित किया जाना चाहिए था? इस पर वे कहती हैं कि निमंत्रण राम मंदिर ट्रस्ट का निर्णय है, कोई राजनीतिक आह्वान नहीं. राम भक्ति पर हमारा कोई कॉपीराइट नहीं है. भगवान राम और हनुमान जी बीजेपी नेता नहीं हैं. वे हमारे राष्ट्रीय सम्मान हैं. उनके मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में कोई भी भाग ले सकता है और किसी को भी आमंत्रित किया जा सकता है. मैं सभी राजनेताओं से भी कहूंगी कि इसे राजनीतिक दृष्टि से न देखें. आपके घरों में भी राम की तस्वीरें हैं; आपके नाम में राम हो सकता है. इसमें भाग लें. इस बात से मत डरिए कि तुम्हें वोट का नुकसान होगा. और मैं बीजेपी वालों से भी कहूंगी कि इस अहंकार से छुटकारा पाएं कि केवल आप ही राम की भक्ति कर सकते हैं. मैं विपक्ष से कहूंगी कि अहंकार या भय से मुक्त होकर हम सभी को खुशी-खुशी इसमें हिस्सा लेना चाहिए.
काशी और मथुरा को लेकर कही यह बात
काशी और मथुरा के सवाल पर उमा भारती आगे कहती हैं कि मेरा विचार वही है जो मैंने 1991 में संसद में कहा था जब अयोध्या को उन धार्मिक स्थलों से बाहर रखने का विधेयक लाया गया था जिनकी प्रकृति आजादी के समय की प्रकृति से नहीं बदली जानी चाहिए. मैंने कहा था कि इसमें काशी और मथुरा को भी अपवाद के तौर पर जोड़ दीजिए ताकि आने वाली पीढ़ियां शांति से रहें.
22 नहीं 18 जनवरी से अयोध्या में रहूंगी : उमा
उमा भारती ने बताया है कि ट्रस्ट ने उनको 18 जनवरी को अयोध्या में रहने और 22 जनवरी तक इंतजार न करने का आदेश दिया है. उन्होंने उमा को दिसंबर में भी बुलाया था. उमा कहती हैं कि मैं वहां गयी और उन्होंने मुझे जो भी काम दिया, वह किया. मैं 18 जनवरी से अयोध्या में रहूंगी.
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