Travelers found crying outside night shelter: दमोह में सर्दी अपना सितम ढाह रही है. इस सर्दी में मुसाफिर सड़कों पर रहने को मजबूर हैं. वहीं हर महीने लाखों खर्च करने के बाबजूद रैन बसेरा में ताला लटका हुआ है. बाहर सर्द हवा झेल रहे मुसाफिरों ने फुट फूट कर रोते हुए दमोह कलेक्टर सुधीर कोचर को हकीकत बताई. बिलखते मुसाफिर की परेशानी सुन कलेक्टर ने खुद को दोषी बताया और उनसे माफी मांगी. साथ ही रैन बसेरा के कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए निलंबन करने का निर्देश दिया.
जिला अस्पताल का रैन बसेरा शराबियों का अड्डा बना
दमोह शहर के बीचों बीच रैन बसेरा की दो चमचमाती इमारतें है. सरकार हर साल लाखों रुपयों रंग रोगन में खर्च करती है तो दर्जनों पलंग और बिस्तर भी खरीदारी करके तालों में बंद कर दिए गए है... एक भी मुसाफिर को रैन बसेरा का लाभ नहीं मिलता, जिला अस्पताल का रैन बसेरा तो शराबियों का अड्डा बना हुआ है.

कलेक्टर सुधीर कोचर ने रैन बसेरों का किया औचक निरीक्षण
केयर टेकर कर्मचारी रात होते ही मुसाफिरों को बाहर निकालकर ताला लगाकर घर चले जाते हैं... दमोह कलेक्टर सुधीर कोचर ने जब औचक निरीक्षण किया तो हकीकत सबके सामने आ गई. नगर पालिका के अधिकारी ने जब अपने कर्मचारियों की हकीकत जानी तो वो भी भौचक्के रह गए.
लापरवाह कर्मचारियों को निलंबित करने के दिए निर्देश
रैन बसेरा के बाहर बैठे मुसाफिरों ने रोते बिलखते हुए कलेक्टर को आपबीती सुनाई तो कलेक्टर ने तुरंत लापरवाह कर्मचारियों को निलंबित करने के निर्देश दे दिए. साथ ही मुसाफिरों को तत्काल रैन बसेरा के सुविधाओं का लाभ दिया.
कलेक्टर ने खुद को जिम्मेदार बताते हुए मांगी माफी
कलेक्टर सुधीर कोचर ने अपने सरकारी तंत्र की नाकामी उजागर करते हुए उन्होंने खुद को अव्यवस्था का जिम्मेदार माना और ये विश्वास दिलाया कि आगे रैन बसेरा का लाभ हर जरूरतमंद मुसाफिर को मिलेगा. दो रैन बसेरों में एक भी मुसाफिर न मिलने पर उन्होंने अफसोस जताया.
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