सतना : रैगांव विधानसभा के पूर्व विधायक धीरेन्द्र सिंह धीरु चाय की दुकान खोलकर चर्चा में आ गए हैं. पूर्व विधायक ने राजनीतिक चाय की दुकान अपने घर में शुरू की है. उन्होंने दुकान खोलने के बाद प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सभी उद्योगों पर पूंजीपतियों का कब्जा हो गया है, ऐसे में तमाम लोगों के उद्योग धंधे चल नहीं पा रहे. मजबूरी में उन्हें भी चाय की दुकान खोलनी पड़ी ताकि मंहगाई के दौर में वह अपने परिवार की आजीविका चला सकें.
पूर्व विधायक ने कहा कि देश में रोजगार ढूंढ़ना सबसे बड़ी समस्या है. मैं विधायक, जिला पंचात का पूर्व अध्यक्ष और राजनीतिक व्यक्ति होकर भी यह चयन नहीं कर पा रहा हूं. ऐसे में तय किया कि कम से कम पूंजी में कौन सा व्यापार किया जा सकता है जिससे घर का खर्च चलाने का मुनाफा निकल सके. धीरू ने कहा है कि जब मेरे सामने व्यापार चयन कर सकने का संकट हो सकता है तो आम बेरोजगारों के सामने कितना बड़ा संकट होगा.
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'अपराध बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है बेरोजगारी'
पूर्व विधायक ने कहा कि लोगों के सामने बेरोजगारी का संकट सभी सरकारों की गलत नीतियों के कारण है. धीरू ने आगे कहा है कि देश और प्रदेश की सरकारों ने सिर्फ बड़े उद्योगपतियों के लिए नीतियां बनाई है, जिस कारण देश का पूरा व्यापार बड़े उद्योगपतियों के हाथ में चला गया और देश का आम नागरिक बेरोजगार हो गया और कर्ज में डूबता चला जा रहा है. देश में अपराध बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है बेरोजगारी. लोगों को रोजगार न मिलने का कारण यह परेशानी बढ़ी है.
'मुनाफा हुआ तो दूंगा रोजगार'
उन्होंने यह भी कहा कि लघु उद्योग और कुटीर उद्योगों की नीति न बनाने के कारण आज देश भर में बेरोजगारी है, लोग भटक रहे हैं, कौन सा रोजगार या कार्य करें उनकी समझ में नहीं आ रहा है. जब इनको रोजगार समझ में नहीं आता है तो बेरोजगार लोग अपराध की तरफ बढ़ जाते हैं. उन्होंने कहा कि अभी मैंने परिवार पालने के लिए चाय की दुकान खोली है. उन्होंने अपने आवास में ही राजनीतिक चाय की दुकान की शुरूआत कर दी है. उनका कहना है कि यदि उन्हें इससे कोई मुनाफा होता है तो उस पैसे का उपयोग वह अन्य लोगों को रोजगार दिलाने के लिए करेंगे.
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पत्नी के साथ लिया था सन्यास
पूर्व विधायक के इस कदम को कुछ लोग उनकी स्टंटबाजी बता रहे हैं ताकि वे चर्चा के केंद्र में आ सकें. वैसे धीरेन्द्र सिंह धीरु चर्चा में रहने के लिए कुछ न कुछ नया तरीका अपनाते रहते हैं. उन्होंने 2018 के चुनाव से पहले पत्नी के साथ वनवास लिया था. कई महीनों तक रैगांव की सड़क के किनारे झोपड़ी बनाकर वह उसमें रहे थे.