
Primary Health Center: इन दिनों ग्राम चिकित्सालय वेब सीरीज लोगों को खूब भा रही है. दरअसल, पंचायत की सफलता के बाद ग्राम चिकित्सालय नाम की वेब सीरीज आई है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में हो रही मेडिकल क्राइसिस को दिखाया गया है. NDTV एक ऐसे ही गांव में पहुंची, जहां पर शासन ने आयुष्मान आरोग्य मंदिर (Ayushman Arogya Mandir) के नाम पर शानदार भवन तो बनाया है, लेकिन व्यवस्था बिल्कुल जीरो है. दरअसल, एनडीटीवी की टीम बालाघाट जिले के आयुष्मान आरोग्य मंदिर गोरेघाट पहुंची थी. वहां पर 6 लोगों के स्टाफ में सिर्फ एक ही कर्मचारी मिली. वहीं, बाकियों का अता पता नहीं था.
गोरेघाट के अस्पताल की हालत खराब
जिला मुख्यालय से करीब 85 किलोमीटर दूर स्थित गोरेघाट गांव में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई हुई है. दरअसल, जब हम पहुंचे, तो अस्पताल में सिर्फ एक ही कर्मचारी मौजूद थी. इसके अलावा कोई छुट्टी पर था, तो कोई अपने निजी काम में व्यस्त था. ऐसे में अस्पताल की जिम्मेदारी भी एक सफाईकर्मी पर आ गई.
इस्तेमाल के अभाव में दवाई होती है खराब
नाम न लिखने की शर्त पर एक शख्स ने बताया कि अस्पताल में दवाई और इंजेक्शन तो आते हैं. लेकिन उनका इस्तेमाल नहीं होता. ऐसे में ये दवाई बिना उपयोग के ही खराब हो जाती है और उन्हें फेंकना पड़ता है. इससे ये दवा किसी के काम नहीं आती और शासन को नुकसान भी होता है. इसमें दवाई , इंजेक्शन और डिलिवरी कीट खराब होती है. आपको बता दें कि एक प्रसव किट करीब 300 रुपये की एक आती है. ये भी लगातार खराब हो रही है. फार्मासिस्ट के अभाव में दवाइयां मरीजों को और प्रसूता को नहीं मिल रही है. ड्रेसर के नहीं रहने से बैंडेज करने में भी दिक्कतें आ रही है. आपको बता दें कि फार्मेसिस्ट भी सप्ताह में एक या दो बार आती है.
एक साल में सिर्फ एक प्रसव
इस सरकारी अस्पताल में बीते एक साल में सिर्फ एक ही प्रसव हुआ है. प्राप्त जानकारी के मुताबिक, बीते महीने में प्रसूता को अचानक प्रसव पीड़ा हुई थी. ऐसे में उन्हें इस अस्पताल में भर्ती कराया गया. इससे पहले भी सुविधा न होने का कहकर महिला को रेफर करने की बात कही गई थी. स्थानीय लोगों का कहना है कि इलाके में अगर किसी को प्रसव करवाना होता है, तो ज्यादातर लोग महाराष्ट्र के अस्पतालों पर भरोसा दिखाते हैं.
ओपीडी दिन भर खाली
आयुष्मान आरोग्य मंदिर गोरेघाट में कई लोग बीमार पड़ते हैं. छोटी-मोटी बीमारी के लिए भी गांव के दूसरे डॉक्टरों के पास जाते हैं. वहीं, कुछ गंभीर समस्या होने पर महाराष्ट्र के तुमसर, भंडारा, रामटेक या नागपुर के सरकारी और निजी अस्पतालों पर निर्भर रहते हैं. वहीं, दिन में एक भी मरीज आ जाए, तो अस्पताल के लिए बड़ी बात होगी. बड़पानी निवासी झाड़ू गजाम ने बताया कि वह कई दिनों से बीमार है. लेकिन सरकारी अस्पताल में सुविधा और स्टाफ न होने से वहां इलाज नहीं करवाते हैं. ऐसे में वह महाराष्ट्र के अस्पतालों में जाकर इलाज करवा रहे है.
उपस्थिति शून्य अटेंडेंस फुल
इस अस्पताल में करीब 6 लोगों का स्टाफ है, जिसमें एक सफाई कर्मचारी ही समय पर आती है. जबकि, बाकि पदस्थ जिम्मेदारों का अता पता नहीं है. ऐसे में अटेंडेंस रजिस्टर में उनकी हाजिरी फूल दिखती है.
12 गांव के लिए है सिर्फ एक ही अस्पताल
शासन ने ग्रामीण अंचलों में दर्जन भर गांव के लिए सिर्फ एक अस्पताल बनवाया है. उन 12 गांव के लिए सिर्फ एक MBBS डॉक्टर है. वहीं, व्यवस्थाएं भी लचर नजर आती है. अब इलाके के 12 गांवों के लिए अस्पताल होना या न होना बराबर ही है. इनमें हेटी, कुड़वा, खैरलांजी, अम्बेझरी, पथरापेट, कन्हडगांव, देवरी, देवरी खुर्द, देवरी, भोंडकी, संग्रामपुर,बड़पानी शामिल है.
CMHO ने क्या कहा?
इस मामले में बालाघाट CMHO परेश उपलव से बातचीत की. उन्होंने बताया कि आपने मामला संज्ञान में लाया है. ये एक गंभीर समस्या है. इस पर टीम बनाकर जांच की जाएगी और उचित कार्रवाई की जाएगी.
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