मध्य प्रदेश में समाज हो या सियासत दोनों में ही गाय की अपनी ही एक भूमिका रही है. प्रदेश कभी गाय के नाम पर सियासत होती है तो कभी गाय को समाज का एक हिस्सा मानते हुए सेवा की बात की जाती है. वहीं, चुनाव खत्म होते ही इस गाय की भूमिका भी कहीं गायब हो जाती है. फिर इस गाय के लिए न तो सियासतदार नजर आते हैं न ही इस समाज के जिम्मेदार. मध्य प्रदेश के आम जिलों की तरह विदिशा जिले में भी शहर भर की सड़कों पर गाय का जमावड़ा आसानी से देखने मिल जाता है. शहर के हर सड़क पर गाय नजर आती है.
सड़क पर गायों के चलते हो रहे सड़क हादसे
आसपास के लोगों का कहना है कि रात के अंधेरों में यह गाय नजर नहीं आती जिससे कई लोग सड़क हादसों का शिकार हो जाते हैं. इन गाय की वजह से सड़क हादसों में कुछ लोग तो अपनी जान तक गंवा चुके हैं. अब इन गायों पर विपक्ष भाजपा से मांग कर रहा है. कांग्रेस ने सड़कों पर बैठी गायों के लिए जो गौशाला खोली थी उन्हें दोबारा चालू किया जाए. दूसरी तरफ, सड़कों पर गाय के मामले में नगर पालिका अधिकारी गाय मालिकों को ही जिम्मेदार मान रहे हैं.
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नगर पालिका सीएमओ धीरज शर्मा का अपना ही एक अलग तर्क है. उनका कहना है कि शहर में आवारा गाय बहुत कम है. ज़्यादातर वो गाय है जो घरों में नही बांधते हैं जो बड़ी समस्या है. मालूम हो ही गायों के लिए जिले भर में कई गो शालाएं चलाई जा रही हों लेकिन गायों का जमावड़ा सड़को पर आसानी से देखने मिल जाता है.
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