मध्य प्रदेश के भिंड जिले में उच्च शिक्षा व्यवस्था को शर्मसार करने वाला बड़ा मामला सामने आया है. भौतिक सत्यापन और जांच में एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) के लिए अमान्य ठहराए गए 13 प्राइवेट कॉलेजों को नियमों को ताक पर रखकर न केवल एनओसी दे दी गई, बल्कि जीवाजी विश्वविद्यालय से सत्र 2025-26 तक संबद्धता भी जारी कर दी गई. इस पूरे प्रकरण ने उच्च शिक्षा विभाग में शिक्षा माफियाओं की गहरी पैठ को उजागर कर दिया है.
दरअसल, भिंड पीएम श्री एमजेएस लीड कॉलेज के प्राचार्य राम अवधेश शर्मा को उच्च शिक्षा आयुक्त भोपाल द्वारा भिंड जिले के नए और पुराने 38 प्राइवेट कॉलेजों की भौतिक सत्यापन जांच सौंपी गई थी. जांच का उद्देश्य कॉलेजों की वास्तविक स्थिति, भवन, भूमि, स्टाफ, छात्रों की संख्या, प्रयोगशाला, पुस्तकालय और अनिवार्य सुविधाओं की पड़ताल करना था. इस दौरान, भौतिक सत्यापन में कई चौंकाने वाली खामियां सामने आईं.
जांच के दौरान कई गंभीर अनियमितताएं उजागर
कई कॉलेजों में एक ही परिसर में स्कूल और कॉलेज एक साथ संचालित पाए गए. कुछ कॉलेजों के भवन जर्जर हालत में मिले. कहीं-कहीं तो कॉलेज ढूंढने पर भी नहीं मिले. यानी कागजों में कॉलेज दर्ज थे, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही थी. अधिकांश कॉलेजों में शिक्षकों की भारी कमी देखी गई, प्रयोगशालाएं अधूरी थी, पुस्तकालयों में किताबें नदारद थी और छात्र सुविधाएं नाममात्र की पाई गईं. इन तमाम कमियों के आधार पर जांच टीम ने 13 प्राइवेट कॉलेजों को स्पष्ट रूप से एनओसी और संबद्धता के लिए अमान्य घोषित किया.
इन 13 कॉलेजों को बताया गया अमान्य
एमएमडी कॉलेज जगनाथपुरा (भिंड), गालव ऋषि इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन (भिंड), आयुषि कॉलेज (ओल्ड गल्ला मंडी, भिंड), विश्वनाथ प्रताप सिंह कॉलेज ऑफ साइंस एंड मैनेजमेंट (लहार), मां पीतांबरा पीठ कॉलेज (लहार), मां त्रिमुखा विधि कॉलेज (मेहगांव), डीपीटी आर्ट्स एवं कॉमर्स कॉलेज (आलमपुर), श्री दुर्गा प्रसाद सर्राफ कॉलेज (दबोह), स्वयं प्रभा कॉलेज (दबोह), अंबेडकर कॉलेज (लहार), श्री रामनाथ सिंह कॉलेज (गोरमी) और कमलेश कॉलेज (मछंड, लहार).
नेगेटिव रिपोर्ट के बाद भी मिली मंजूरी
प्राचार्य राम अवधेश शर्मा ने 27 फरवरी 2025 को इन कॉलेजों की जांच रिपोर्ट उच्च शिक्षा ग्वालियर के अतिरिक्त संचालक को भेज दी थी. रिपोर्ट में साफ तौर पर उल्लेख था कि इन कॉलेजों को एनओसी और संबद्धता नहीं दी जानी चाहिए. इसके बावजूद कुछ ही महीनों बाद उच्च शिक्षा आयुक्त भोपाल द्वारा एनओसी और विश्वविद्यालय द्वारा संबद्धता जारी कर दी गई.
आयुषि कॉलेज का मामला
भिंड शहर के पुरानी गल्ला मंडी क्षेत्र में स्थित आयुषि कॉलेज जांच टीम को बड़ी मुश्किल से मिला. कॉलेज में केवल 18 छात्र पाए गए और उसी भवन पर आयुषि आईटीआई का बोर्ड भी लगा था. जांच में कॉलेज को अमान्य ठहराया गया, फिर भी 19 मई 2025 को बीकॉम (कॉमर्स व कंप्यूटर) के लिए एनओसी और 17 जून 2025 को बीए एवं बीएससी तृतीय वर्ष की संबद्धता जारी कर दी गई.
दबोह और मछंड के कॉलेजों की स्थिति
लहार के दबोह स्थित श्री दुर्गा प्रसाद सर्राफ कॉलेज में दिव्यांगों के लिए शौचालय नहीं मिला, भूमि का डायवर्सन नहीं था, 236 छात्रों की अनुपस्थिति, सिर्फ 3 शिक्षक कार्यरत पाए गए, छात्राओं के लिए कॉमन रूम नहीं था और पुस्तकालय में किताबें नहीं थीं. इसके बावजूद कॉलेज को बीए, बीएससी और एमए पाठ्यक्रमों की एनओसी और संबद्धता दे दी गई. इसी तरह लहार के मछंड से 7 किलोमीटर दूर रायपुरा गांव में संचालित कमलेश कॉलेज खेतों के बीच रास्ते पर मिला. बगल में शासकीय स्कूल संचालित था. जांच में कॉलेज अमान्य घोषित हुआ, फिर भी बीए और बीएससी में 90-90 सीटों की संबद्धता दे दी गई.
प्राचार्य ने जताई लाचारी
जांच रिपोर्ट भेजने के बाद भी जब एनओसी और संबद्धता जारी की गई, तो पीएम श्री एमजेएस महाविद्यालय भिंड के प्राचार्य डॉ. राम अवधेश शर्मा ने अपनी लाचारी व्यक्त की है. उनका कहना है कि उन्होंने नियमानुसार जांच कर वास्तविक स्थिति विभाग के सामने रखी, लेकिन इसके बाद निर्णय उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर था.
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उच्च शिक्षा विभाग की कारगुजारी पर उठे सवाल
ऐसे में सवाल उठता है कि जब कॉलेज जांच में अमान्य पाए गए, तो उन्हें एनओसी और संबद्धता किस आधार पर दी गई? क्या इसमें उच्च शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालय की मिलीभगत शामिल है? छात्रों के भविष्य और शिक्षा की गुणवत्ता से ऐसा खिलवाड़ आखिर कब तक? अब यह मामला शासन स्तर पर उच्च स्तरीय जांच और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग कर रहा है. यदि समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त यह भ्रष्टाचार और गहराता चला जाएगा.
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