Bhopal News: राजधानी भोपाल में आवारा कुत्तों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है. नगर निगम दावा तो करता है कि आवारा कुत्तों के आतंक को रोकने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन प्रयास पूरी तरह असफल हो जाते हैं जब राजधानी में आवारा कुत्तों के आतंक को रोकने के लिए यह लड़ाई सिर्फ़ पेट लवर्स और नगर निगम के बीच नजर आती है. आए दिन पेट लवर्स और नगर निगम की कहासुनी के वीडियो वायरल होते हैं. लेकिन इस बार जो वीडियो वायरल हुआ उसमें पार्षद सभी हदें पार करते हुए दिखाई दे रहे हैं. देखिए यह रिपोर्ट...
ये भोपाल नगर निगम के पार्षद रवींद्र यति हैं. बीजेपी के जिला महामंत्री भी हैं. रवींद्र यति मामूली सी बात पर धमकी देते हुए कहते हैं, 'मैं संवैधानिक पद पर यहां खड़ा हूं. ये वीडियो बनाने वाला कौन है? मैं यहां का पार्षद हूं. तू यहां से निकल पाएगा क्या? तुझे इतना मारेंगे कि जिंदा नहीं बचेगा. पुलिस बुलाकर इसे गिरफ्तार करो. बाप का राज है क्या जो मेरा वीडियो बनाओगे.' दरअसल पार्षद पीपुल फॉर एनिमल के कार्यकर्ताओं पर भड़क रहे थे, जिनका कहना है कि उन्हें नगर निगम ने ही बुलाया था. जब वे वहां पहुंचे तो कुत्ते के छोटे-छोटे बच्चों को लोगों ने नाली में फेंक दिया.
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'मेरे परिवार को मिल रही हैं धमकियां'
PFA की प्रेसिडेंट स्वाति कौरव ने कहा, 'हम वहां पर सिर्फ़ ये देखने गए थे कि अगर कुत्ते की नसबंदी हो चुकी है तो उसने बच्चे कैसे दिए. वहां अचानक से पार्षद आ गए और बहसबाजी करने लग गए. वह बुरी तरह धमका रहे हैं. आज अगर मुझे कुछ होता है या मेरे परिवार को कुछ होता है तो इसकी ज़िम्मेदारी रवींद्र यति की होगी. मेरे परिवार को धमकाया जा रहा है और कहा जा रहा है कि कंप्लेंट को वापस लें लेकिन किसी भी नेता का इस तरह से दुर्व्यवहार हम क्यों बर्दाश्त करेंगे.'
'मामले को कोर्ट तक लेकर जाएंगे'
एडवोकेट सौम्या जोशी सिंह ने कहा, 'एक ओर जहां हमारी एफ़आईआर दर्ज नहीं हो रही है. वहीं दूसरी तरफ़ कोई दूसरा व्यक्ति नगर निगम के काम में बाधा डालने को लेकर हमारी शिकायत थाने में करके आया है. हम इस पूरे मामले को कोर्ट तक लेकर जाएंगे. जिस तरह से हमें धमकाया जा रहा है यह सही नहीं है. यह पूरी तरह से हैरेसमेंट है.'
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'कन्फ्यूजन के साथ शुरू हुआ मामला'
नगर निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी ने कहा, 'ये पूरा मामला कन्फ्यूजन के साथ शुरू हुआ है. नगर निगम के साथ ही नसबंदी हो रही है या नहीं पेट लवर देखने गए थे लेकिन शायद पार्षद वहां पर आए और उन्हें लगा कि वे कार्रवाई में बाधा बन रहे हैं इसलिए उन्होंने इस तरह के सवाल उठाए. हालांकि यह कोई बड़ा मामला नहीं है. तालमेल के साथ ही ठीक हो सकता है. आचरण किसी का भी सही होना बेहद ज़रूरी है.'