South Eastern Coalfields Limited: कोरिया जिले में एसईसीएल (SECL) ठेका श्रमिकों के पीएफ राशि (PF Amount) में बड़ा खेल किया जा रहा है. अविभाजित कोरिया के एसईसीएल इकाइयों में कार्यरत करीब साढ़े 4 हजार ठेका श्रमिकों के पीएफ वेतन से हर माह डेढ़ करोड़ से अधिक रुपए काटे जा रहे हैं, लेकिन यह राशि सीएमपीएफ (Coal Mines Provident Fund) खाते में जमा नहीं हो रही है. हैरानी की बात तो यह है कि श्रमिकों को दिया गया सीएमपीएफ नंबर ही फर्जी (Fake PF Number) मिला है. अब श्रमिक नौकरी के बाद सीएमपीएफ राशि निकालने के लिए दर-दर भटक रहे हैं.
अधिकारी ऐसे बच रहे हैं
अकेले चरचा कॉलरी क्षेत्र की बात करें तो यहां ठेका श्रमिक पिछले 5 से लेकर 25 साल तक से पीएफ में जमा होने वाली राशि को लेकर चिंतित हैं. पीएफ के नाम पर वेतन से हर माह रुपए काटे जा रहे हैं, लेकिन रुपए कहां और किस खाते में जमा हो रहे हैं, इसकी जानकारी श्रमिकों को नहीं दी जा रही है. श्रमिकों के सवालों का जवाब देने में एसईसीएल के अधिकारी भी बच रहे हैं. उनका कहना है कि श्रमिक अपने ठेकेदार से मिलकर इसकी जानकारी लें. इधर श्रमिकों का कहना है कि चरचा आरओ में हर माह 400 ठेका श्रमिकों के 12 लाख रुपए के पीएफ का गबन हो रहा है.
ऐसे हो रहा है पीएफ गबन का खेल
एक ठेकेदार एसईसीएल के कई क्षेत्रों में काम करते हैं. वे एक जगह जमा सीएमपीएफ राशि के कागजातों को दूसरी जगह जमा कर बिल का भुगतान ले लेते हैं, लेकिन वास्तव में दूसरे स्थानों पर कार्यरत ठेका कर्मचारियों के सीएमपीएफ खातों में ठेकेदारों द्वारा की गई हेराफेरी के चलते राशि जमा ही नहीं हो पाती, लेकिन यह सब काम इतनी बारीकी और चालबाजी से किया जाता है कि किसी क्षेत्रीय या एसईसीएल स्तर पर विशेष जांच कमेटी बनाकर ही पकड़ा जा सकता है. श्रमिकों को जारी होने वाले पे-स्लिप में पीएफ राशि की कटौती दर्शाई जाती है. श्रमिकों को बाकायदा सीएमपीएफ नंबर भी अलॉट किया गया है, लेकिन खाते में रुपए जमा नहीं हो रहे हैं. श्रमिक पीएफ के कुल जमा राशि के साथ उसपर मिलने वाले 8 प्रतिशत के ब्याज से भी वंचित हैं.
पीड़ित ने क्या कहा?
ग्राम बुढ़ार के इंद्रेश साहू का कहना है कि वे चरचा वेस्ट में ठेका श्रमिक थे. 2019 में साईटिका बीमारी होने से उन्होंने इस्तीफा दे दिया. इसके बाद सीएमपीएफ राशि निकालने क्षेत्रीय कार्यालय के माध्यम से आवेदन किया, लेकिन राशि नहीं मिली. एसईसीएल के अफसरों ने पहले लॉकडाउन को देरी का कारण बताया, लेकिन जब इंद्रेश बिलासपुर हेड ऑफिस गए तो वहां मालूम चला कि पीएफ खाता खुला ही नहीं है.
ठेका कर्मी रणबीर सिंह ने कहा कि पीएफ खाते में रुपए जमा नहीं हुए, 25 साल हो गए काम करते हुए अब तक पीएफ में राशि जमा नहीं हुआ है. अन्य ठेकाकर्मियों ने कहा कि उन्हें पीएफ का नंबर तक नहीं मिला है जिससे वे राशि नहीं मिलने को लेकर परेशान हैं.
इन्होंने उठाया मुद्दा
एसईसीएल के जनरल सेकेट्री व एटक यूनियन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हरिद्वार सिंह ने कहा कि एसईसीएल की बैठकों में हमने जोर शोर से इस मुद्दे को उठाया है. जहां तक पीएफ का सवाल है यह बात सही है कि ठेकेदार पीएफ की राशि कहां जमा करते हैं इसकी जानकारी उन्हें नहीं दी जाती है, ठेका कर्मियों के पीएफ में बहुत बड़ा गोलमाल और लफड़ा है जिसका हम कंपनी से जवाब लेंगे.
कंपनी का क्या कहना है?
एसईसीएल पीआरओ सनीश चंद्र ने कहा कि ठेका श्रमिक एसईसीएल के कर्मचारी नहीं हैं, वह ठेकेदार के श्रमिक हैं. मामले में शिकायत सामने आने के बाद हमने संबंधित विभाग को अवगत कराया है, एसईसीएल इस मामले को देखेगा और कार्रवाई से आपको अवगत कराएगा. आश्चर्य है कि एसईसीएल के अन्य क्षेत्र में ऐसी शिकायत नहीं है. शिकायत मिली है तो मामले की जांच कराएंगे और निश्चित ही यदि कहीं गड़बड़ी हुई है तो कार्रवाई की जाएगी. पीआरओ ने कहा कि कंपनी द्वारा वेजेस/वेतन का भुगतान ठेकेदार को किया जाता है. अन्य प्रक्रिया का पालन भी ठेकेदार को करना होता है, इसलिए मामले की जांच करवाएंगे.
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