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ओंकारेश्वर और ममलेश्वर की पालकी यात्रा में रंग गुलाल उड़ाने पर लगी पाबंदी, संत बोले - गुलाल परंपरा का हिस्सा

Jyotirlinga Palki Yatra New Rules: ओंकारेश्वर में निकलने वाली पालकी यात्रा के दौरान गुलाल उड़ाने पर प्रशासन ने रोक लगा दी है. इसके बाद यहां का संत समाज नाराज है.

ओंकारेश्वर और ममलेश्वर की पालकी यात्रा में रंग गुलाल उड़ाने पर लगी पाबंदी, संत बोले - गुलाल परंपरा का हिस्सा
भगवान शिव की यात्रा में गुलाल उड़ाने पर रोक

Khandwa News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के ओंकारेश्वर (Omkareshwar) में निकलने वाली भगवान भोलेनाथ की पालकी यात्रा में गुलाल उड़ने पर स्थानीय प्रशासन ने प्रतिबंध लगा दिया है. प्रशासन ने अपील की है कि गुलाल की जगह गुलाब के फूल या अन्य फूलों को उड़ाकर पालकी का स्वागत किया जाए. इसके पीछे प्रशासन के अपने तर्क हैं, लेकिन इस फैसले से संत नाराज नजर आ रहे हैं. उनका कहना है कि श्रावण मास में भगवान ओंकारेश्वर और ज्योतिर्लिंग भगवान ममलेश्वर की पालकी यात्रा में परंपरागत रूप से गुलाल उड़ाया जाता रहा है. इसलिए गुलाल पर प्रतिबंध लगाना ठीक नहीं है.

क्या है ओंकारेश्वर में पालकी यात्रा की परंपरा?

पवित्र श्रावण मास चल रहा है और इस माह में एमपी के खंडवा जिले की पवित्र और धार्मिक तीर्थ नगरी ओंकारेश्वर में प्रत्येक सोमवार को भगवान भोलेनाथ की विशेष सवारी निकाली जाती है. यहां श्रावण के सोमावर भगवान ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर और भगवान ममलेश्वर को सजी-धजी पालकियों में नगर भृमण कराया जाता है. इस दौरान पालकियों पर भक्त पूरे रास्ते गुलाल और गुलाब की पंखुड़ियां उड़ाकर उनका स्वागत करते हैं. इस दौरान, भक्त ढोल की थाप पर गुलाल उड़ाकर गुलाल उत्सव भी मनाते हैं. हालांकि, श्रावण के तीसरे सोमावर से ठीक पहले रविवार को जिला प्रशासन ने इस तरह से भक्तों के गुलाल उड़ाने पर पाबंदी लगाते हुए उसके स्थान पर गुलाब या अन्य फूलों की पंखुड़ियां का उपयोग करने की अपील मंदिर प्रशासन के साथ ही आम नागरिकों से की है.

ज्योतिर्लिंग मंदिर प्रशासक ने कही ये बात

प्रशासन के इस फैसले को लेकर ज्योतिर्लिंग मंदिर प्रशासक और पुनासा एसडीएम शिवम प्रजापति ने बताया कि गुलाल उड़ाने पर प्रतिबंध का निर्णय तीर्थयात्रियों, महिला भक्तों, बच्चों और बुजुर्गों के हितों और उनकी धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखकर लिया गया है. उन्होंने बताया कि सवारी के दौरान कई असामाजिक तत्व गुलाल भगवान पर चढ़ाने की बजाय महिला, बच्चों और यात्रियों को टारगेट कर गुलाल उड़ाते है. ओंकारेश्वर भगवान की सवारी में शामिल होने वाले भक्तों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. ऐसे में गुलाल में रंगे असमाजिक तत्वों को पहचान पाना भी मुश्किल होता है.

एसडीएम शिवम प्रजापति ने इसको लेकर श्रद्धालुओं से अपील भी की है कि भगवान की पालकी यात्रा में केवल फूलों की पंखड़ियों का ही उपयोग करें, रंग या गुलाल न उड़ाएं. उन्होंने बताया कि भक्तगण पूजन सामग्री के रूप में भगवान भोलेनाथ पर गुलाल चढ़ा सकते हैं, लेकिन गुलाल के उड़ाने पर पाबंदी रहेगी.

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संत समाज ने जताई नाराजगी

इधर, प्रशासन के इस फैसले से संत समाज नाराज नजर आ रहा है. षट्दर्शन संत मंडल के अध्यक्ष मंगलदास त्यागी ने कहा कि हाल ही में सोशल मीडिया पर गुलाल उड़ाने पर लगे प्रतिबंध को लेकर कई तरह की चर्चाएं चल रही थीं. भक्तों में भी भ्रम की स्थिति थी. इस पर उन्होंने कहा कि सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल और विधायक नारायण पटेल से चर्चा की गई है और परंपरा को जारी रखा जाने की बात कही है. त्यागी ने प्रशासन की व्यवस्थाओं की सराहना करते हुए कहा कि इस वर्ष कावड़ यात्रियों की संख्या बढ़ी है. उन्होंने सुझाव दिया कि यदि दूर से दर्शन की व्यवस्था की जाए, तो श्रद्धालुओं को सुविधा मिलेगी.

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