NEET Exam Scam: नीट परीक्षा के पेपर लीक (NEET Paper Lease Case) होने के बाद बाद केंद्र सरकार (Indian Government) और भाजपा (BJP) विपक्ष के निशाने पर हैं. सरकार जहां पेपर लीक की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए कानून ले कर सामने आई है, लेकिन विपक्ष इस कानून को लागू करने में हुई देरी के आधार पर सरकार के खिलाफ हमला कर रहा है.
पेपर लीक को रोकने के लिए केंद्र सरकार की ओर से लाए गए नए कानून पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सरकार पर प्रहार किया है. दिग्विजय सिंह ने कहा कि पिछले लोकसभा और राज्यसभा स्तर पर यह बिल पास हो चुका है. इसके बाद 4 महीने पहले ही राष्ट्रपति ने स्वीकृति दे दी थी. उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि 4 महीने तक सरकार किसका इंतजार कर रही थी. पहले इसको लेकर नियम क्यों नहीं बनाएं?
व्यापमं से नीट तक एक जैसी स्ट्रैटेजी
इसके साथ ही दिग्विजय सिंह ने इस मामले को लेकर भाजपा को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश भी करते नजर आए. उन्होंने कहा कि जहां-जहां बीजेपी की सरकार है. पेपर लीक की घटनाएं भी वहीं सामने आ रही है. उन्होंने कहा कि व्यापमं से नीट तक एक जैसी स्ट्रैटेजी है, या तो पेपर लीक होगा या तो पेड़ सॉल्वर बैठाएं जाएंगे. या एक ही सेंटर पर इंजन बोगी सिस्टम से नकल कराया जाता है.
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1563 लोगों को ग्रेस मार्क क्यों दिए गए
दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि NTA ने तथ्यों को छिपाने का शुरू से प्रयास किया है. 180 सेंटर पर CCTV कैमरे नहीं थे, जहां पेपर रखे गए वहां पुलिस की सुरक्षा नहीं थी. उन्होंने कहा कि इस पूरे स्कैम में हजारों करोड़ रुपये का खेल है. एक-एक प्रश्न पत्र का 30 -40 लाख रुपये में बेचा गया. उन्होंने कहा कि व्यापमं की जांच सही होती तो यह नहीं होता. सिंह ने आरोप लगाया कि इस पूरे खेल में डबल इंजन सरकार की साजिश है. 2004 से 24 तक अपने अयोग्य लोगों को डॉक्टर और इंजीनियर बनाने का खेल चल रहा है.
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