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Rakhi Special Sweets: रक्षाबंधन पर 'इंद्रसे' मिठाई का है खास महत्व, भोग लगाने से भगवान इंद्र होते हैं प्रसन्न

Rakshabandan Sweets: मान्यता है कि अच्छी बारिश की कामना काे लेकर भगवान इंद्र देव को इंद्रसे मिठाई का भोग लगाने से बारिश होती हैं. मौसमी मिठाई के रूप में मशहूर इंद्रसे मिठाई का नामकरण भी भगवान इंद्र के नाम पर रखा है. कोई इसे इन्द्रसे तो कोई इस मिठाई को इन्द्रसा पुकारता है.

Rakhi Special Sweets: रक्षाबंधन पर 'इंद्रसे' मिठाई का है खास महत्व, भोग लगाने से भगवान इंद्र होते हैं प्रसन्न
Indrase sweets Special sweets for Rakhsbandhan

Neemach Special Sweets: मध्य प्रदेश के नीमच जिले में मौसमी मिठाई के रूप में मशहूर 'इंद्रसे' का रक्षाबंधन पर्व पर विशेष महत्व है. मौसमी मिठाई इंद्नसे एक स्पेशल मिठाई है, जो सिर्फ बारिश के मौसम में बनाई जाती है. खास बात यह है कि इंद्रसे मिठाई का भोग लगाने से भगवान इंद्र प्रसन्न होते हैं. बड़ी बात यह है कि यह केवल नीमच में बनाई जाती है.

रक्षाबंधन पर नीमच में इंद्रसे मिठाई भेंट देने की परंपरा है. रक्षाबंधन पर आने वाली बहनें इसे ससुराल भी ले जाती हैं. यहां की मिठाई देश के साथ-साथ विदेशों में भी जाती है. इस बारिश के मौसम में इन्द्रसे की डिमांड इतनी होती है कि रोजाना शहर के कई क्विंटल मिठाई लोग खरीदते है. 

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करीब 70-80 वर्ष पुराना है नीमच में इंद्रसे मिठाई का इतिहास

नीमच में इंद्रसे मिठाई का इतिहास करीब 70-80 वर्ष पुराना है. पहले इंद्रसे केवल शहर के तिलक मार्ग, बोहरा गली और चूड़ी गली चौराहा के समीप स्थित कुछ चुनिंदा दुकान पर ही बनाई जाती है, लेकि अब शहर में दर्जनों छोटी-बड़ी दुकानों पर मिलती है. कई दुकानदार इसे पीढ़ियों से इसे बनाते रहे हैं. 

आटे को चीनी की चाशनी में गूथंकर दूसरे दिन बनाता हैं इन्द्रसे

इंद्रसे मिठाई को बनाने में मुख्य रूप से चावल, शक्कर, देसी घी, मैदा, खसखस दाना/पोस्ता दाना की जरूरत होती है, इसे बनाने के लिए चावल धोकर भिगोया जाता है. बाद में उसे सुखाया जाता है और जब इसमे हल्की नमी रहती है तब, इसे पीसकर आटा बनाते हैं. इसके आटे को शक्कर की चाशनी में गूथंते हैं और दूसरे दिन इन्द्रसे बनाया जाता हैं.

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सीआरपीएफ की जन्मभूमि के नाम से मशूहर नीमच शहर इन्द्रसे मिठाई के लिए भी देश में पहचाना जाने लगा है. बारिश के सीजन शुरू होने से बारिश का मौसम खत्म होने के तक यह मिठाई नीमच शहर के विभिन्न दुकानों में बनाई जाती है और लोग चाव से इसे खाना पसंद करते हैं.

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आटे की छोटी-छोटी लोई से गोल आकार में बनता है इंद्रसा

इंद्रसे मिठाई बनाने के लिए तैयार आटे से छोटी-छोटी लोई से गोल आकर में इंद्रसे बनाया जाता है. गोल आकार में तैयार इंद्रसे को गर्म देसी घी में तला जाता है. इंद्रसे को तब तक फ्राई किया जाता है जब तक उसका रंग हल्का गुलाबी ने हो जाए. इंद्रसा को कढ़ाई से निकालने के बाद सजावट के लिए इस पर खसखस को छिड़का जाता है.

बेहद टेस्टी और कुरकुरी होती हैं बरसाती मिठाई इन्द्रसे

इन्द्रसे का स्वाद काफी स्वादिष्ट और कुरकुरा होता हैं. करीब एक महीने तक सुरक्षित वाली इन्द्रसे को बनाने पर मौसम का प्रभाव रहता है. यदि यह मिठाई बारिश के अलावा किसी अन्य मौसम में बनाई जाती है, तो उतनी अच्छी नहीं बनती, क्योंकि इन दिनों वातावरण में व्याप्त नमी इसके खिलने और स्वाद अच्छा बनाने में सहयोग मिलता है.

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मान्यता है कि अच्छी बारिश की कामना काे लेकर भगवान इंद्र देव को इंद्रसे मिठाई का भोग लगाने से बारिश होती हैं. मौसमी मिठाई के रूप में मशहूर इंद्रसे मिठाई का नामकरण भी भगवान इंद्र के नाम पर रखा है. कोई इसे इन्द्रसे तो कोई इस मिठाई को इन्द्रसा पुकारता है.

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इंद्रसे उत्तर प्रदेश में अनरसा के नाम से खूब मशहूर हैं

गौरतलब है नीमच का मशूहर इंद्रसे अन्य प्रदेशों में भी खूब पसंद किया जाता है, लेकिन अलग-अलग प्रदेशों में इंद्रसा के नाम भिन्न हैं. उत्तर प्रदेश में इंद्रसे को लोग अनरसा पुकारते हैं, जिसे लोग बरसात के मौसम में खूब पसंद करते हैं. इंद्रसे को खऱीदने नीमच राजस्थान से भी लोग आते हैं.

राखी पर नीमच में इंद्रसे मिठाई भेंट देने की परंपरा है

रक्षाबंधन पर नीमच शहर में इंद्रसा मिठाई भेंट देने की परंपरा है. नीमच की बेटियां जब रक्षाबंधन पर्व पर भाई को राखी बांधने आते हैंं तो ससुराल जाते समय इंद्रसे मिठाई मायके से जरूर ले जाती हैं. इंद्रसे विदेशों में भी खूब मशूहर हैं. इस बारिश के मौसम में इन्द्रसे की डिमांड इतनी होती है कि रोजाना शहर के कई क्विंटल मिठाई लोग खरीदते है. 

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