NDTV Reality Check: केंद्र और राज्य सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजनाओं में शुमार अमृत सरोवर योजना (Amrit Sarovar Yojana) आदिवासी बाहुल्य डिंडौरी जिले में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है. NDTV ने डिंडौरी जिले के तीन अलग- अलग गांवों में बने अमृत सरोवरों की पड़ताल की है, जिसमें हैरान कर देने वाले कई तथ्य सामने आये हैं. डिंडौरी जिले (Dindori District) में अमृत सरोवर योजना के तहत ग्रामीण यांत्रिकी विभाग के द्वारा 101 सरोवरों का निर्माण कराया गया है और एक सरोवर के निर्माण में औसतन पचास लाख रुपये खर्च किये गए हैं, लेकिन अधिकांश सरोवर सूखे पड़े हुए हैं. जल संरक्षण (Water Conservation), मछली पालन (Fish Farming), सिंचाई (Irrigation), सिंघाड़े की खेती (Water Chestnut Cultivation) आदि उद्देश्यों को लेकर बनाये गए सरोवरों में एक बूंद पानी को संरक्षित नहीं किया जा सका है. जल संरक्षण के नाम पर सरोवरों का सिर्फ ढांचा तैयार कर योजना की राशि का बंदरबांट कर लिया गया है.
ढांचा तैयार कर निकाल ली योजना की राशि
डिंडौरी जिला मुख्यालय से महज दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित सरहरी ग्राम पंचायत में डेढ़ साल पहले करीब 57 लाख रुपये की लागत से अमृत सरोवर योजना के तहत सरोवर का निर्माण कराया गया था, जिसमें जिम्मेदार विभाग के अधिकारीयों द्वारा किस कदर भ्रष्टाचार किया गया है इसका अंदाजा सरोवर की तस्वीरों को देखकर बड़ी आसानी से लगाया जा सकता है. ग्राम पंचायत के उप-सरपंच दशरथ राठौर ने NDTV को बताया की बारिश के मौसम में ये सरोवर पानी से लबालब भरा हुआ था, लेकिन घटिया निर्माण के चलते पानी का तेजी से रिसाव हो गया और बारिश का मौसम जाने से पहले ही सरोवर सूख गया.
ग्रामीणों के द्वारा अमृत सरोवर योजना में हुए भ्रष्टाचार की शिकायत भी की गई है, लेकिन कार्यवाही तो दूर जिम्मेदारों ने अब तक इस मामले में जांच करने की जहमत तक नहीं उठाई है. सरकारी दस्तावेजों में सरहरी ग्राम का यह अमृत सरोवर पूर्ण है एवं योजना की राशि 57 लाख रुपये निकाले जा चुके हैं.
निर्माण स्थल पर लगे बोर्ड दे रहे हैं भ्रष्टाचार की गवाही
डिंडोरी जिले के समनापुर विकासखंड क्षेत्र अंतर्गत पड़रिया गांव में घने जंगलों के बीच करीब 41 लाख रुपये की लागत से अमृत सरोवर योजना के तहत सरोवर का निर्माण कराया गया था. जिसमें दूर-दूर तक एक बूंद पानी भी आपको नजर नहीं आयेगा. निर्माण स्थल के पास योजना से संबंधित लगे बोर्ड खुद ही भ्रष्टाचार की गवाही दे रहे हैं.
निर्माण स्थल के पास तीन बोर्ड लगे हुए हैं. एक बोर्ड में योजना से सम्बंधित जरुरी जानकारी दर्ज़ है. तो वहीं दूसरे बोर्ड में बाकायदा चेतावनी लिखी हुई है कि सरोवर में बहुत ज्यादा पानी है. इसलिए इससे दूर रहा जाये एवं तीसरा बोर्ड मां सीता स्व सहायता समूह का लगा हुआ है जिसे शायद सरोवर में मछली पालन करने का काम दिया गया है. बोर्ड में किये गए सरकारी दावों में कितनी सच्चाई है यह आप खुद देख लीजिये.
जांच की बात कर पल्ला झाड़ रहे अधिकारी
जिला प्रशासन की नाक के नीचे ग्राम पंचायत हिनौता के जोगी टिकरिया गांव में 60 लाख रुपये की लागत से अमृत सरोवर योजना के तहत सरोवर का निर्माण कराया गया था. 60 लाख रुपये से बनकर तैयार हुए इस सरोवर में 60 लीटर पानी भी संरक्षित नहीं किया जा सका है. सरोवर के बीचों-बीच एक छोटे से गड्ढे में कीचड़ जरूर नजर आता है, जिसमें जानवर अपनी तपिश मिटाते हुए नजर आ रहे हैं. इस सरोवर में पानी की तलाश में मवेशियों का हुजूम लगा हुआ है.
डिंडोरी जिले को मिली थी 101 अमृत सरोवरों की सौगात
आजादी के 75वीं वर्षगांठ मनाने से पहले अमृत महोत्सव (Amrit Mahotsav) काल में केंद्र सरकार ने आदिवासी बाहुल्य डिंडोरी जिले को 101 अमृत सरोवरों की सौगात दी थी, जिसका मुख्य उद्देश्य जल संरक्षण के साथ साथ मछली पालन, सिंघाड़े की खेती, खेतों की सिंचाई आदि था, लेकिन डिंडौरी जिले में अफसरों ने सरोवर निर्माण के नामपर ढांचा खड़ा कर करोड़ों रुपये का बंदरबांट कर दिया.
यह भी पढ़ें : यहां के जलाशयों में बचा सिर्फ 55 फीसदी पानी, कृषि विभाग ने किसानों को ये फसल उगाने की दी सलाह
यह भी पढ़ें : MP में सबसे ज्यादा होशंगाबाद तो रीवा में सबसे कम वोटिंग, कैसा रहा दमोह, सतना, खजुराहो व टीकमगढ़ का हाल?
यह भी पढ़ें : चुनाव आयोग के अधिकारियों से लेकर नेता तक हैं परेशान! आखिर क्यों कम हो रहा मतदान? जानिए इसके मायने