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Ground ZERO: चलने के लिए पक्की सड़क नहीं, पीने के लिए साफ पानी नहीं! परेशानियों से भरा बोड़री गांव के आदिवासियों का जीवन

Road Problem in MP: शहडोल जिले के बोड़री गांव के दुनाव टोला में पानी और सड़क की भारी समस्या है. यहां बारिश होने के बाद लोगों का आवागमन पूरी तरह बंद हो जाता है. साथ ही, पीने के पानी के लिए सरकारी स्कूल में जो हैंडपंप लगा था, वो कई दिन से खराब है. आइए आपको इस गांव की परेशानी के बारे में यहीं के लोगों के द्वारा बताते हैं.

Ground ZERO: चलने के लिए पक्की सड़क नहीं, पीने के लिए साफ पानी नहीं! परेशानियों से भरा बोड़री गांव के आदिवासियों का जीवन
शहडोल के बोड़री गांव में लोगों को सड़क और पीने के पानी की भारी समस्या

Road Problem in Shahdol: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में आज भी कुछ गांव और कुछ टोले-कस्बे ऐसे हैं, जहां अभी तक जीवन जीने के लिए जरूरी मूलभूत सुविधाएं लोगों तक नहीं पहुंची हैं. ऐसा ही हाल शहडोल जिले के एक गांव का है. यहां बारिश के दिनों में बच्चों का स्कूल जाना बंद हो जाता है. हाल ऐसा है कि पीने के पानी के लिए पूरे गांव में एक ही सरकारी हैंडपंप था, जो सरकारी स्कूल में लगा था. लेकिन, ये भी कई महीनों से खराब पड़ा हुआ है. शहडोल जिले के सोहागपुर जनपद अंतर्गत आने वाले बोड़री गांव (Bodari Village) के आदिवासी बाहुल्य दुनाव टोला में रहने वाले ग्रामीण सड़क और पानी को लेकर बहुत परेशान हो रहे हैं. बारिश के दिनों में कच्ची सड़क कीचड़ और दलदल से भर जाती है. इससे लोगों का आना-जाना मुश्किल हो जाता है.

गांव में पीने के पानी का कोई ठोस व्यवस्था नहीं

गांव में पीने के पानी का कोई ठोस व्यवस्था नहीं

बच्चे कच्चा कीचड़ भरा रास्ता और बरसाती नाला पार करके स्कूल जाते हैं, जिसके चलते अधिकांश बच्चे बारिश के दिनों में स्कूल ही नहीं जा पाते हैं. बोड़री गांव के दुनाव टोला पहुंचने के लिए अंदर दो किलोमीटर कच्चा रास्ता है. रास्ते में ही एक बरसाती नाला पड़ता है, जो बारिश में भर जाता है और आने-जाने का मार्ग बंद हो जाता है. प्राथमिक स्कूल जाने वाला रास्ता भी बंद हो जाता है.

बोड़री गांव में सड़क बनी ही नहीं!

बोड़री गांव में सड़क बनी ही नहीं!

पैदल पहुंची NDTV की टीम

NDTV की टीम जब कच्चा रास्ता और नाला पैदल पार कर दुनाव टोला पहुंची, तो सबसे पहले स्थित गांव के प्राथमिक विद्यालय पहुंची. प्राथमिक विद्यालय बंद था और शिक्षक गायब थे. बच्चे भी स्कूल नहीं आये थे. स्कूल की हालत पूरी तरह जर्जर है. छत का प्लास्टर जगह-जगह से उखड़ चुका है. स्कूल का हैंड पंप बंद है. यहां के आदिवासी ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल में शिक्षक नहीं आते हैं. स्कूल बंद रहता है. बच्चे भी पड़ने नहीं जा पाते हैं.

बरसात में स्कूल नहीं जाते बच्चे

बरसात में स्कूल नहीं जाते बच्चे

आदिवासियों ने बताया अपना दर्द

दुनाव टोला के आदिवासी ग्रामीणों ने बताया कि कच्ची सड़क और नाले से बारिश शुरू होते ही आवागमन बंद हो जाता है. अब तक सड़क नहीं बन पाई. सरपंच, सचिव, प्रशासन, कोई ध्यान नहीं देता है. पीने का पानी भी गांव के स्कूल में लगे हैंडपंप से लाते थे, लेकिन अब हैंडपंप बिगड़ जाने से गांव में ही एक व्यक्ति के यहां लगे बोर से टोले के लोग महीने में 100 रुपये देकर पानी खरीद रहे हैं.

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अधिकारियों ने कही ये बात

ग्रामीण आदिवासियों की इन परेशानियों को लेकर जिला पंचायत के एडिशनल CEO का कहना है कि वहां पर प्राथमिकता से पुलिया और रोड का काम कराया जाएगा. हैंडपंप को तत्काल PHE को भेजकर सुधारा जाएगा. वहीं, बारिश के दिनों में स्कूल में पहुंचमार्ग न होने पर जिला शिक्षा केन्द्र के डीपीसी का कहना है कि रोड से जुड़े न होने से ये समस्या है. हालांकि, पैदल जाने का रास्ते सभी स्कूलों में है.

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