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Suicide का हब बना भोपाल और इंदौर, आंकड़ा देख सरकार के भी उड़े होश

Suicide Prevention: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल और आर्थिक राजधानी इंदौर में आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. एनसीआरबी के डाटा से जो आंकड़े निकल कर आए हैं. वह चौकाने वाला है. इसे देखते हुए सरकार ने Suicide Prevention के तहत गेट कीपर योजना की शुरुआत की है.

Suicide का हब बना भोपाल और इंदौर, आंकड़ा देख सरकार के भी उड़े होश

Suicide Awareness: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में आत्महत्या के मामलों में चिंताजनक वृद्धि हो रही है, जिससे राज्य प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक, मध्य प्रदेश देश के उन चार राज्यों में शामिल है, जहां आत्महत्या के मामले सबसे ज्यादा दर्ज किए जाते हैं. इनमें इंदौर (Indore) और भोपाल (Bhopal) आत्महत्या (Suicide ) के मामलों में सबसे आगे हैं.

भोपाल में 2021 में 566 और 2022 में 527 लोगों ने आत्महत्या की. वहीं, इंदौर में यह आंकड़ा और भी भयावह है. यहां 2021 में 737 और 2022 में 746 लोगों ने आत्महत्या की. इसी प्रकार, ग्वालियर और जबलपुर में भी इन मामलों में तेजी देखी गई है. ग्वालियर में साल 2021 में 320 लोगों ने खुदकुशी की. वहीं, 2022 में 213 लोगों ने जान दे दी. जबलपुर में 2021 में 214 लोगों ने अपनी जान दे दी, तो 2022 में 307 लोगों आत्महत्या कर ली. यह आंकड़े सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की गंभीरता को उजागर करते हैं.

भोपाल

  • 2021 में 566 लोगों ने आत्महत्या की.
  • 2022 में यह संख्या घटकर 527 पर पहुंची.

इंदौर

  • 2021 में 737 लोगों ने आत्महत्या की.
  • 2022 में यह आंकड़ा बढ़कर 746 हो गया.

स्वास्थ्य विभाग ने शुरू की "गेटकीपर्स" योजना

आत्महत्या के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए मध्य प्रदेश स्वास्थ्य विभाग ने "गेटकीपर्स" योजना शुरू की है. इस पहल के तहत 500 से अधिक स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है, ताकि वे डिप्रेशन से जूझ रहे लोगों की पहचान कर सकें और समय पर हस्तक्षेप कर उनकी मदद कर सकें. जिला स्वास्थ्य अधिकारी प्रभाकर तिवारी ने बताया कि यह योजना मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने और आत्महत्या के प्रयासों को रोकने में सहायक होगी.

एक के बाद एक घटना आ रही हैं सामने

भोपाल में हाल ही में दो चौंकाने वाले मामले सामने आए हैं. 9 दिसम्बर को भोपाल में एक बड़े कारोबारी की पत्नी सारिका जैन ने खुदकुशी कर ली. इस मामले में पुलिस का कहना है वह पारिवारिक वजहों से डिप्रेशन में थी. उसी दिन यानी 9 दिसम्बर की ही शाम 4 बजे भोपाल के गोविंदपुरा में रहने वाले 25 साल के रोहित ने प्यार में निराश होकर खुदकुशी कर ली. ये घटनाएं समाज में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की गंभीरता बताने का लिए काफी है.   

पुलिस और विशेषज्ञों का नजरिया

भोपाल पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्रा के अनुसार, युवाओं और छात्रों के बीच आत्महत्या की वारदातों के बढ़ते मामलों का मुख्य कारण माता-पिता का कम संवाद और स्कूल-प्रबंधन की उदासीनता है. वहीं, मनोवैज्ञानिक डॉ. विनय मिश्रा का कहना है कि आत्महत्या करने वाले लोग अक्सर मदद की गुहार लगाते हैं, लेकिन उन्हें समय पर सहायता नहीं मिल पाती है.

वीआईपी रोड पर गोताखोरों की तैनाती

भोपाल के वीआईपी रोड पर आत्महत्या रोकने के लिए विशेष कदम उठाए गए हैं. यहां 24 घंटे गोताखोरों की तैनाती की गई है, ताकि आत्महत्या की कोशिश करने वाले लोगों को समय पर बचाया जा सके.

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आत्महत्या जैसे संवेदनशील मुद्दों से निपटने के लिए केवल प्रशासनिक और स्वास्थ्य विभाग की पहल पर्याप्त नहीं है. समाज के हर वर्ग, विशेषकर परिवारों और शैक्षणिक संस्थानों को सक्रिय भूमिका निभानी होगी. संवाद, सहानुभूति, और समय पर सहायता आत्महत्या रोकने के सबसे प्रभावी उपाय हो सकते हैं. इस बढ़ती समस्या को नियंत्रित करने के लिए हमें व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर प्रयास करने होंगे, ताकि मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जा सके और जीवन बचाया जा सके.

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