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 National Girl Child Day :  बेटियों से है, आज और कल, जानें क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय बालिका दिवस ?

National girl child day 2025 : आज का दिन देशभर की बेटियों के लिए खास है. वहीं, राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. इस विशेष अवसर पर जानेंगे बालिका दिवस से जुड़ी हुई कुछ खास बातें.

 National Girl Child Day :  बेटियों से है, आज और कल, जानें क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय बालिका दिवस ?
(संकेतिक फोटो)

National Girl Child Day Awareness : राष्ट्रीय बालिका दिवस न सिर्फ बच्चियों के लिए बल्कि पेरेंट्स के लिए खास है. इस विशेष मौके पर किसी ने ठीक ही कहा है कि बेटियां ही सृष्टि का आधार हैं. इनमें ही श्रेष्ठतम विश्व के स्वप्न को साकार करने का सामर्थ्य है. किसी ने सही ही कहा है कि यदि बेटा अंश है, तो बेटी वंश है. वहीं, मशहूर शायर बशीर बद्र लिखते हैं कि वो शाख है न फूल, अगर तितलियां न हों... वो घर भी कोई घर है जहां बच्चियां न हों...बालिकाओं का हमारे समाज में अहम योगदान है. यूनिसेफ के शोध से पता चलता है कि कई चुनौतियों का सामना करने के बावजूद बालिकाएं बेहतर भविष्य के लिए आशान्वित और दृढ़ संकल्पित हैं.

सुरक्षित, सम्मानित और सशक्त बनाने का लें संकल्प

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दुनिया भर में हर दिन, बालिकाएं एक ऐसे विजन की दिशा में काम कर रही हैं जिसमें वे सुरक्षित, सम्मानित और सशक्त हों, लेकिन वे इसे अकेले हासिल नहीं कर सकतीं. समाज में लड़कियों के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालने के लिये हर साल 24 जनवरी के दिन राष्ट्रीय बालिका दिवस यानी National Girl Child Day मनाया जाता है. इसे संक्षिप्त रूप में NGCD भी कहते हैं. यह दिवस बालिकाओं के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने और उनके मानवाधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए मनाया जाता है. जब लड़कियां नेतृत्व करती हैं, तो इसका प्रभाव तत्काल और व्यापक होता है, परिवार, समुदाय और अर्थव्यवस्थाएं सभी मजबूत होती हैं, हमारा भविष्य उज्जवल होता है.

क्यों मनाया जाता है यह दिवस?

इस दिन को मनाने का उद्देश्य बालिकाओं के अधिकारों को बढ़ावा देना और लैंगिक भेदभाव को खत्म करना है. इसके अलावा शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना भी है. इसका उद्देश्य बालिकाओं को महत्व देने वाला एक सकारात्मक वातावरण के निर्माण में पूरे राष्ट्र को शामिल करना है. इसके साथ ही यह दिवस देश भर में बालिकाओं को सशक्त बनाने और उनके लिए समाज में सुरक्षित माहौल बनाने की ज़रूरत की याद दिलाता है.

भविष्य का नेतृत्व करने के लिए पूर्ण रूप से तैयार

ऐसा समाज जहां बालिकाएं आगे बढ़ सकें और यह सुनिश्चित करते हुए कि वे अपने भविष्य का नेतृत्व करने के लिए पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर हैं. लड़कियां रूढ़िवादिता और बहिष्कार द्वारा उत्पन्न सीमाओं और अवरोधों को तोड़ रही हैं, जिनमें दिव्यांग बच्चों और हाशिए के समुदायों में रहने वाले बच्चों के लिए निर्धारित सीमाएं और अवरोध भी शामिल हैं. उद्यमी, नवोन्मेषक और वैश्विक आंदोलनों के सर्जक के रूप में, लड़कियां एक ऐसी दुनिया का निर्माण कर रही हैं जो उनके और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रासंगिक है. अब समय आ गया है कि लड़कियों और बालिकाओं की बात सुनी जाए, ऐसे सिद्ध समाधानों में निवेश किया जाए जो भविष्य की ओर प्रगति को गति देंगे, जिसमें हर लड़की अपनी क्षमता का पूरा उपयोग कर सकेगी.

जानें कब हुई थी शुरुआत?

राष्ट्रीय बालिका दिवस हर साल 24 जनवरी को मनाया जाता है. भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने साल 2008 में इसकी शुरुआत की थी। इस दिन स्कूलों में पोस्टर, लेखन, ड्राइंग, और दीवार पेंटिंग जैसी प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं वहीं बालिकाओं के स्वास्थ्य और पोषण से जुड़े टॉक शो और पौधरोपण जैसे कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं.

ये सकारात्मक प्रभाव भी डालता है

क्या आप जानते हैं कि लड़कियों में निवेश करना न केवल उनके लिए सही काम है, बल्कि यह उनके परिवारों, समुदायों और पूरे समाज पर सकारात्मक प्रभाव भी डालता है? किशोर लड़कियों के अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए दुनिया भर के युवाओं की प्राथमिकताओं के आधार पर, भागीदारी में निहित पांच प्रमुख समाधान हैं, जो लड़कियों के जीवन को बदल सकते हैं और उनके भविष्य को सुरक्षित कर सकते हैं.

केंद्र सरकार की पहल और योजनाएं

पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व व मार्गदर्शन में भारत सरकार ने समाज में बालिकाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए, उन्हें सशक्त बनाने के उद्देश्य से कई योजनाएं शुरु की हैं. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और सुकन्या समृद्धि योजना जैसी पहल लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और शिक्षा एवं विवाह के लिए बचत को प्रोत्साहित करके बालिकाओं के भविष्य को सुरक्षित करने के प्रयासों को दर्शाती हैं.

बेटियों से जुड़ी खास पहल

•    वर्ष 2015 में शुरू की गई ‘सुकन्या समृद्धि योजना' माता-पिता को अपनी बेटियों के भविष्य में निवेश करने की सुविधा देती है, जिससे वित्तीय सुरक्षा और समान अवसर सुनिश्चित होते हैं. इसके अलावा, किशोरियों के लिए योजना (SAG) और मासिक धर्म संबंधी स्वच्छता को बढ़ावा देने की योजना महिलाओं की स्वास्थ्य और पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करती है.

•    वर्ष 2014 में शुरू की गई एक अभिनव परियोजना ‘उड़ान' है. इस योजना का उद्देश्य प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थानों में छात्राओं के कम नामांकन पर ध्यान देना और स्कूली शिक्षा एवं इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं के बीच की खाई को कम करना है.
•    बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 का उद्देश्य बाल विवाह जैसी कुप्रथा को समाप्त करना है और इसमें शामिल लोगों को दंडित करना है.

•    यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम, 2012, बाल शोषण से संबंधित है. इसके कार्यान्वयन को बढ़ाने के लिए 2020 में इसके नियमों को अद्यतन किया गया.
•    किशोर न्याय अधिनियम 2015, जरूरतमंद बच्चों की देखभाल और सुरक्षा सुनिश्चित करता है.
•    मिशन वात्सल्य बाल विकास और संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करता है, जिसमें चाइल्ड हेल्पलाइन और लापता बच्चों की सहायता के लिए ट्रैक चाइल्ड पोर्टल जैसी सेवाएं शामिल हैं.
•    ट्रैक चाइल्ड पोर्टल 2012 से कार्यरत है. यह पोर्टल पुलिस स्टेशनों में रिपोर्ट किए जा रहे ‘लापता' बच्चों का मिलान उन ‘मिले हुए' बच्चों से करने की सुविधा प्रदान करता है जो बाल देखभाल संस्थानों (सीसीआई) में रह रहे हैं.

•    पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन स्कीम कोविड-19 से अनाथ हुए बच्चों की मदद करती है. 
इसके अतिरिक्त, निमहांस और ई-संपर्क कार्यक्रम के साथ सहयोग मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा देखभाल प्रदान करता है. इन सब प्रयासों से एक सुरक्षित वातावरण बनता है, जो भारत में बालिकाओं के अधिकारों और कल्याण को बढ़ावा देता है.

 एनएसआईजीएसई योजना

वहीं मई 2008 में शुरू की गई माध्यमिक शिक्षा के लिए बालिकाओं को प्रोत्साहन देने की राष्ट्रीय योजना (एनएसआईजीएसई) का उद्देश्य बालिकाओं, विशेष रूप से अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) समुदायों से आने वाली बालिकाओं के लिए शैक्षिक अवसरों को बढ़ाना है. ‘उड़ान' और माध्यमिक शिक्षा के लिए बालिकाओं को प्रोत्साहन देने की राष्ट्रीय योजना जैसी शैक्षिक पहल शिक्षा तक पहुंच में सुधार और ड्रॉपआउट दर को कम करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं. इसके अलावा, बालिकाओं के सशक्तिकरण और उनकी सुरक्षा के लिए कानूनी उपायों में कई महत्वपूर्ण पहलू शामिल हैं.

MP में बेटियाें को बनाया जा रहा सशक्त, समृद्ध और खुशहाल

बेटियों की शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और स्वावलंबन मध्य प्रदेश सरकार की पहली प्राथमिकता है. बेटियों के सशक्तिकरण के लिये प्रदेश में अनेक योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन किया जा रहा है, और बालिकाओं को आत्मनिर्भर बनाया गया है. बालिका सशक्तिकरण का "मध्य प्रदेश मॉडल" देश में सबसे अनूठा है, जिससे प्रेरित होकर अन्य राज्यों ने भी मध्य प्रदेश की योजनाओं का अनुसरण कर अपने राज्यों में लागू किया है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में वित्तीय वर्ष 2024-25 में महिला एवं बाल विकास विभाग का बजट 81 प्रतिशत बढ़ाते हुए 26 हजार 560 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है.

•    मासूम बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वालों को मृत्यु दंड देने वाला देश का पहला राज्य मध्य प्रदेश है.
•    बेटियों की शिक्षा और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिये लाड़ली लक्ष्मी योजना का सफलतापूर्वक क्रियान्वयन जारी है. इस योजना में 48 लाख से अधिक लाड़ली लक्ष्मियां लाभान्वित हो रही हैं. लाड़ली लक्ष्मी योजना से मध्य प्रदेश में लिंगानुपात में भी काफी सुधार हुआ है.
•    बालिकाओं में आत्म-विश्वास और कौशल वृद्धि के लिये सशक्त वाहिनी कार्यक्रम अंतर्गत प्रशिक्षण दिया गया. अब तक 125 से अधिक बालिकाओं का पुलिस या शासकीय विभागों में चयन हो चुका है.
•    मध्य प्रदेश में 97 हजार से अधिक संचालित आंगनवाड़ियों में 81 लाख बच्चे और गर्भवती/धात्री माताएं एवं किशोरी बालिकाएं लाभान्वित हो रही हैं.
•    राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में पदक विजेताओं के साथ सहभागिता करने वाली बालिकाओं व महिला खिलाड़ियों को नगद राशि देकर प्रोत्साहित किया जा रहा हैं.
•    प्रदेश के हर जिले में वन-स्टॉप सेंटर संचालित हैं.
•    सेनिटेशन एवं हाईजीन योजना अंतर्गत 19 लाख से अधिक बालिकाओं के बैंक खाते में 57 करोड़ 18 लाख रुपए की राशि का अंतरण किया गया है.

गांव की बेटी योजना 

मध्य प्रदेश सरकार की ‘गांव की बेटी योजना' गांव की उन लड़कियों को आर्थिक मदद देती है, जिन्होंने 12वीं में 60% से ज़्यादा अंक हासिल किए हैं. इस योजना के तहत हर साल 5000 रुपये की छात्रवृत्ति मिलती है. इसका मकसद, ग्रामीण इलाकों की प्रतिभाशाली छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करना है. महाविद्यालय के प्राचार्य इस योजना में हितग्राही के नाम को स्वीकृति देते हैं. मंजूरी के बाद विद्यार्थियों के बैंक खाते में राशि जमा होती है. यह प्रोत्साहन योजना है और इसके साथ छात्रा अन्य योजनाओं का लाभ भी ले सकती है.

 प्रतिभा किरण योजना 

प्रतिभा किरण योजना में शहर की निवासी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाली छात्राएं जो कक्षा 12वीं में न्यूनतम 60 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण हुई हों और शासकीय या अशासकीय महाविद्यालय विश्वविद्यालय में स्नातक कक्षा में अध्ययनरत हों, उन्हें 500 रुपये मासिक के हिसाब से दस माह के लिए 5000 रुपये प्रतिवर्ष दिए जाते हैं. इस योजना में भी ऑनलाइन आवेदन स्कॉलरशिप पोर्टल पर करना होता है.

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चाइल्ड लाइन 1098 व महिला हेल्पलाइन 181 

यदि किसी को मदद की जरूरत हो तो तुरंत चाइल्ड लाइन 1098 या महिला हेल्पलाइन 181 पर डायल कर सकते हैं. डायल 100 पर भी सम्पर्क कर मदद ली जा सकती है. बेटियां ही बदलाव की बयार लाती हैं. बेटियां सशक्त होती हैं तो समाज सशक्त होता है. मध्य प्रदेश सरकार की लाड़ली लक्ष्मी जैसी योजना इस दिशा में क्रांतिकारी कदम साबित हो रही हैं. इन योजनाओं से बालिकाओं को न केवल वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और सशक्त बनने का अवसर भी मिल रहा है. बालिकाओं के उज्ज्वल भविष्य के लिए तत्काल उचित कदम उठाना बेहद ज़रूरी है.

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