
देश के सबसे बड़े मूंग उत्पादक संभाग नर्मदापुरम के किसान बंपर फसल के बावजूद परेशान हैं. इस बार ग्रीष्मकालीन मूंग की पैदावार काफी अच्छी हुई है लेकिन एक तो जो पैदावार सरकार ने खरीदी है उसका दो महीने बीत जाने के बावजूद भुगतान नहीं हुआ दूसरा कारोबारियों की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर अमानक मूंग की खरीद हुई है. परेशान करने वाली बात ये है कि अमानक मूंग की खरीदी के मामले में सिर्फ एक ही FIR हुई है जबकि ऐसी शिकायतें कई केन्द्रों से आ रही है. जिस अकेले मामले में केस दर्ज हुआ है उसमें 5.57 करोड़ रुपए के 7346 क्विंटल अमानक मूंग की खरीदी का आरोप है.

दरअसल मप्र शासन शासकीय दर पर अलग-अलग संस्थाओं के माध्यम से किसानों से ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल खरीदती है. इसके लिए बकायदा खरीदी केंद्र बनाकर नजदीकी छेत्र के किसानों का पंजीयन कर उनकी मूंग की फसल खरीदी जाती है. ऐसा आरोप है कि जिले में जो खरीदी केंद्र बनाए गए थे उनमें व्यापारियों ने पहले ही किसानों से कम दाम में मूंग खरीद ली. जो अच्छी किस्म की मूंग होती है उससे मूंग दाल बन जाती है जो कचरा और खराब टूटे दाने होते है उन्हें शासन को किसानों के नाम पर मिली भगत से बेंच दिया जाता है.

25 क्विंटल फसल का भुगतान दो महीने से नहीं हुआ
नर्मदापुरम ज़िले में सोहागपुर के किसानों का आरोप है कि मूंग की जगह दाल और गुणवत्ता विहीन मूंग की खरीदी हो रही है. कुंभावड़ इलाके के किसान राजेंद्र रघुवंशी कहा कहना है कि उनके पास 36 क्विंटल की फसल थी. उसमें से 25 क्विंटल उन्होंने बेची है...इसको लेकर भी दो महीने हो गए हैं लेकिन पैसे का भुगतान नहीं हुआ.
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आरएस राजपूत
नर्मदापुरम में इस साल डोलरिया, बनखेड़ी, पिपरिया, सोहागपुर से भी खराब क्वॉलिटी की मूंग खरीदने की शिकायत मिली है. लेकिन अभी तक इस पर कोई कार्रवाई होता नहीं दिख रहा है. जिससे एक तो किसानों को उनके पैसे का भुगतान नहीं हो रहा है और दूसरा अब फसल बुवाई का मौसम भी शुरू हो गया है. जिससे उन्हें भयानक आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
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