
Nirjala Ekadashi: सालभर में 24 एकादशी मनाई जाती हैं, हर एक एकादशी का अपना अलग महत्व होता है. वहीं इससे जुड़ी हुई मान्यताएं भी अलग-अलग हैं. हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी अत्यंत पुण्यदायी और कठिन व्रतों में से एक मानी जाती है. इन्हीं में से एक है निर्जला एकादशी जिसका व्रत (Nirjala Ekadashi Vrat) हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर रखा जाता है. इस दिन भक्त भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और बिना जल ग्रहण किए उपवास रखते हैं, इसलिए इसे 'निर्जला' एकादशी कहा जाता है. ज्येष्ठ माह की तपती गर्मी में पानी पिए बिना रहना मुश्किल होता है इसीलिए इसे सबसे कठिन व्रतों में गिना जाता है और यह भी एक वजह है कि निर्जला एकादशी का व्रत अत्यधिक महत्व रखता है.
कब है निर्जला एकादशी Kab Hai Nirjala Ekadashi Date Shubh Muhurat
इस बार की निर्जला एकादशी बेहद खास है क्योंकि इस दिन तीन अत्यंत शुभ संयोग बन रहे हैं, शुक्रवार का दिन, रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग. इन योगों के बनने से इस दिन का महत्व कई गुना बढ़ गया है. ऐसा माना जा रहा है कि इस बार का व्रत कुछ राशियों के लिए विशेष शुभ फलदायक होगा.
निर्जला एकादशी का व्रत 6 जून, शुक्रवार को रखा जाएगा. एकादशी व्रत का पारण (Ekadashi Vrat Paran) अगले दिन यानी 7 जून की दोपहर 1 बजकर 44 मिनट से लेकर शाम 4 बजकर 31 मिनट के बीच है. इस समयावधि में भक्त व्रत का पारण कर सकते हैं. वैष्णव संप्रदाय के लोग निर्जला एकादशी का व्रत 7 जून, शनिवार को रखेंगे. इस दिन व्रत रखने का अर्थ है कि अगले दिन व्रत पारण किया जाएगा. 7 जून को व्रत रखने वालों के लिए व्रत पारण का शुभ मुहूर्त 8 जून सुबह 5 बजकर 23 मिनट से 7 बजकर 17 मिनट पर होगा.
पूजा विधि Nirjala Ekadashi Puja Vidhi
निर्जला एकादशी के दिन प्रातः स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें. घर में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें. पूरे दिन जल तक ग्रहण न करें और ईश्वर का ध्यान करें. रात को जागरण करें और भजन-कीर्तन करें. अगले दिन यानी 7 जून को व्रत का पारण दोपहर 1:44 से 4:31 बजे के बीच करें.
- प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
- भगवान विष्णु की प्रतिमा को पीले फूल, चंदन, तुलसी पत्र और पंचामृत से पूजन करें.
- 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें.
- पूजा के बाद भगवान को भोग अर्पित करें और आरती करें.
- द्वादशी के दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें.
व्रत के लाभ Nirjala Ekadashi Vrat Daan
निर्जला एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को सभी एकादशियों के बराबर पुण्य प्राप्त होता है. यह व्रत पापों का नाश करता है और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है. भक्तों को स्वास्थ्य, समृद्धि और शांति का आशीर्वाद मिलता है. इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है. जरूरतमंदों को अन्न, जल, वस्त्र, पंखा, घड़ा आदि दान करें. ऐसा करने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है. निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा और दान की विशेष मान्यता होती है. इस दिन जल के दान को अत्यधिक शुभ माना जाता है. कहते हैं निर्जला एकादशी पर जल का दान करना सबसे बड़ा दान होता है. प्यासे लोगों को सुराही या घड़े का ठंडा जल पिलाया जा सकता है.
क्या करें क्या नहीं? Nirjala Ekadashi Do's And Don't
- इस व्रत में आप रात के समय बिस्तर पर न सोएं. जमीन पर सोना अच्छा माना जाता है.
- कांस के बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए. इस दिन झाडू का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि, इससे चींटी छोटे जीव मर सकते हैं.
- इस दिन आप किसी को अपशब्द न कहें. अपने बड़े बुजुर्गों का सम्मान करें
- इस दिन आपक हरि का भजन करें.
- इस दिन आप दान पुण्य भी कर सकते हैं.
निर्जला एकादशी की कथा Nirjala Ekadashi Vrat Katha
इस व्रत की कथा महाभारत के भीम से जुड़ी है, इसलिए इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है. भीम खाने-पीने के शौकीन थे और एकादशी व्रत का पालन नहीं कर पाते थे, जिससे उन्हें चिंता हुई कि वे भगवान विष्णु की नाराजगी का कारण बन सकते है. उन्होंने ऋषि वेदव्यास से सलाह ली, जिन्होंने उन्हें केवल ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला व्रत रखने की सलाह दी. यह व्रत इतना कठिन था कि भीम को इसे रखने के लिए विशेष प्रयास करना पड़ा. तब से यह व्रत हर साल हजारों श्रद्धालु रखते हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)