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सरयू की तर्ज पर विकसित होगा नर्मदा तट, 300 करोड़ रुपये में होगा डेवलपमेंट; सीएम यादव करेंगे भूमि पूजन 

जबलपुर के पवित्र नर्मदा तट अब सरयू मॉडल पर विकसित होंगे. लगभग 300 करोड़ रुपये की इस परियोजना का भूमि पूजन सीएम मोहन यादव करेंगे. पहले चरण में गौरीघाट, खारीघाट और दरोगा घाट को आधुनिक सुविधाओं से सजाया जाएगा.

सरयू की तर्ज पर विकसित होगा नर्मदा तट, 300 करोड़ रुपये में होगा डेवलपमेंट; सीएम यादव करेंगे भूमि पूजन 

Narmada Riverfront Development: जबलपुर के पवित्र नर्मदा तट अब अयोध्या की सरयू नदी की तर्ज पर भव्य और आकर्षक रूप में विकसित किए जाएंगे. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जल्द ही इस महत्वाकांक्षी परियोजना का भूमि पूजन करेंगे. परियोजना का मुख्य उद्देश्य नर्मदा के पावन घाटों को श्रद्धालुओं के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और सुविधाजनक बनाना है. लगभग 300 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला यह प्रोजेक्ट जबलपुर की पहचान को नया आयाम देने जा रहा है.

पहले चरण में छह घाटों का कायाकल्प

विकास के पहले चरण में खारीघाट, दरोगा घाट, गौरीघाट, उमा घाट, सिन्धु घाट और जिलहरीघाट को आधुनिक स्वरूप दिया जाएगा. प्रत्येक घाट पर विशेष सुविधाएं विकसित की जाएंगी. खारीघाट पर श्रद्धालुओं के लिए जलकुंड, चेंजिंग रूम और तीर्थ पुरोहितों के लिए विश्राम स्थल बनाए जाएंगे. वहीं दरोगाघाट पर संध्या आरती के लिए पांच भव्य मंच और तट की दीवारों पर मां नर्मदा की गाथा दर्शाते सुंदर म्युरल्स सजाए जाएंगे.

गौरीघाट बनेगा विकास का केंद्र

इस प्रोजेक्ट में गौरीघाट को विशेष रूप से विकसित किया जा रहा है. यहां लगभग 800 मीटर लंबा और 15 मीटर चौड़ा विशेष चैनल बनाया जाएगा, जिसमें श्रद्धालु प्रदूषण मुक्त जल में स्नान कर सकेंगे. पुष्प और दीपदान भी इसी चैनल में किया जाएगा ताकि नर्मदा की मुख्य धारा स्वच्छ बनी रहे. इसके अलावा घाट क्षेत्र में 900 दोपहिया और 700 चारपहिया वाहनों के लिए अलग-अलग पार्किंग स्थल बनाए जाएंगे, जबकि गौरीघाट तक का रास्ता पैदल पथ के रूप में विकसित होगा.

सुरक्षा और सुविधा पर होगा विशेष ध्यान

घाटों पर आधुनिक सुरक्षा प्रणाली लागू की जाएगी. सीढ़ियां एंटी-स्किड पत्थरों से बनाई जाएंगी ताकि श्रद्धालुओं को कोई खतरा न हो. साथ ही, सौर ऊर्जा आधारित लाइटिंग सिस्टम, सुव्यवस्थित दुकानें और मुक्तिधाम का पूर्ण विकास भी योजना का हिस्सा है. इस परियोजना से घाटों की सुंदरता के साथ-साथ श्रद्धालुओं को एक नया अनुभव मिलेगा.

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धार्मिक और पर्यटन पहचान को मिलेगा बल

यह परियोजना सिर्फ घाटों का नवीनीकरण नहीं, बल्कि जबलपुर की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को पुनर्जीवित करने का प्रयास है. नर्मदा नदी पहले से ही मध्य प्रदेश की जीवनरेखा मानी जाती है और अब उसके तटों को भव्य स्वरूप मिलने से जबलपुर धार्मिक पर्यटन के नए केंद्र के रूप में उभर सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस विकास से स्थानीय व्यापार, होटल और टूरिज्म इंडस्ट्री को भी बड़ा लाभ मिलेगा.

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