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MP Weather Update: 14 दिनों में 32 मौतें, ग्वालियर में सीवियर कोल्ड डे, जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

MP Weather Update: मध्यप्रदेश में मौसम फिर बदला हुआ है. मौसम विभाग के मुताबिक 18 जनवरी से एक और वेस्टर्न डिस्टरबेंस एक्टिव होगा, जो पश्चिमी हिमालय को प्रभावित करेगा. इसके बाद बर्फीली हवा की रफ्तार बढ़ जाएगी और पूरा प्रदेश ठिठुर जाएगा. वहीं ग्वालियर में ठंड की वजह से ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक के मामलों में वृद्धि हुई है.

MP Weather Update: 14 दिनों में 32 मौतें, ग्वालियर में सीवियर कोल्ड डे, जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
MP Weather Update: ग्वालियर में ठंड के दौरान बढ़ें ब्रेन स्ट्रोक व हार्ट अटैक के केस

MP Weather: ग्वालियर मे इन दिनों हाड कंपने वाली सर्दी पड़ रही है. बुधवार को सीजन का पहला सीवियर कोल्ड-डे (Severe Cold Day) रिकॉर्ड किया गया. मध्य प्रदेश में सबसे ठंडा दिन (Coldest Day in MP) भी ग्वालियर का ही रहा. यहां का अधिकतम तापमान 13.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. दिन व रात के तापमान में सिर्फ 3.2 डिग्री का अंतर रह गया है. दिन में इस तरह कड़ाके की सर्दी जनवरी 2022 के बाद देखने को मिली. शहर में मंगलवार से ही बादल डेरा जमाए हुए हैं, जिसके कारण दिन का पारा सामान्य से 9.1 डिग्री कम रहा. साथ ही कोहरे ने भी जमकर कहर बरपाया हुआ है. यहां दृश्यता 20 से 200 मीटर के बीच रही. मौसम विभाग (IMD) का कहना है कि दो दिन हल्की बारिश के बाद फिर बादल छंट जाएंगे. जिसके बाद फिर कोहरा छाएगा.

स्कूलों की छुट्‌टी

ठण्ड के चलते 16 जनवरी को भी स्कूलों की छुट्टी कर दी गई. केजी-नर्सरी से 8वीं तक के 2 हजार 796 सरकारी व प्राइवेट स्कूलों में गुरुवार को छुट्टी है. जिले के 1465 आंगनबाड़ी केंद्र खुलेंगे पर इनमें सिर्फ पोषण आहार का वितरण होगा. छोटे-छोटे स्कूली बच्चे कड़ाके की ठंड में बीमार न हो जाएं, इसलिए कलेक्टर रुचिका चौहान के निर्देश पर देर रात ही ऐसा आदेश जारी किया गया है. इससे पहले भी 6 जनवरी को मिडिल तक के छात्रों के लिए छुट्टी हुई थी. इसके बाद 7 जनवरी से सर्दी के कारण स्कूलों का समय सुबह 10 से दोपहर 3 बजे तक कर दिया गया है.

हार्ट अटैक व ब्रेन स्ट्रोक के मरीज बढ़ें

इन दिनों शहर में कड़ाके की सर्दी के कारण हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक के केस बढ़ गए हैं. जनवरी के 14 दिन ही बीते हैं और इन 14 दिनों में ब्रेन स्ट्रोक से 32 की मौत हो चुकी है. जबकि बीते साल भर मे सिर्फ 67 जानें ब्रेन स्ट्रोक से गई थीं.

एक्सपर्ट्स का क्या कहना है?

विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार सांस की परेशानी के साथ ब्रेन स्ट्रोक के केस देखने को मिल रहे हैं. न्यूरोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ दिनेश उदैनिया का कहना है कि लकवे की वजह से मरीज चीजें निगल नहीं पाता है, जिसके कारण मरीज का थूक शरीर के अंदर चला जाता है. सांस लेने में उसे दिक्कत होने लगती है, मरीज की हालत गंभीर होती चली जाती है. उनका कहना है कि बुजुर्ग धूप निकलने के बाद ही से बाहर निकलें. गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीज नियमित दवा लेते रहे और सर्दी से पूरा बचाव करें.

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