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कफ सिरप कांड: 10 मौतें होने पर भी सैंपल भेजे साधारण डाक से ! क्या 13 महीने में होगी पूरी जांच?

छिंदवाड़ा और बैतूल में जहरीला 'कोल्ड्रिफ' कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत का आंकड़ा अब 20 तक पहुंच गया है. अभी भी 7 बच्चे अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं.इन सबके बीच आप ये जान कर हैरत में पड़ जाएंगे कि बीते 29 सितंबर को जांच के लिए जो सैंपल भेजे गए वो साधारण रजिस्टर्ड डाक से भेजे गए जिनकी ट्रैकिंग तक ही नहीं हुई.

कफ सिरप कांड: 10 मौतें होने पर भी सैंपल भेजे साधारण डाक से ! क्या 13 महीने में होगी पूरी जांच?

MP Cough Syrup Deaths: छिंदवाड़ा और बैतूल में जहरीला 'कोल्ड्रिफ' कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत का आंकड़ा अब 20 तक पहुंच गया है. अभी भी 7 बच्चे अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं.इन सबके बीच आप ये जान कर हैरत में पड़ जाएंगे कि बीते 29 सितंबर को जांच के लिए जो सैंपल भेजे गए वो साधारण रजिस्टर्ड डाक से भेजे गए जिनकी ट्रैकिंग तक ही नहीं हुई. ये हालत तब है जबकि इस तारीख तक 10 बच्चों की मौत हो चुकी थी. अब राज्य की लैब्स में 5500 सैंपल जांच के लिए पहुंच चुके हैं लेकिन यहां भी एक पेंच है क्योंकि राज्य में जो लैब है उनकी क्षमता सालभर में सिर्फ 6000 सैंपल जांचने की है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या जांच के नाम पर जिम्मेदार अधिकारी गंभीर अनदेखी कर रहे हैं. इन सबके बीच चिंता करने वाली एक बात और है- जिस सिरप से बच्चों की मौत हुई उसी की 19 बोतलें कहां है इसका अभी तक पता नहीं चला है. जानिए क्या है पूरा मामला इस रिपोर्ट में

हर स्तर पर हुई लापरवाही !

दरअसल इन 20 मासूम जानों के साथ आपराधिक लापरवाही सिर्फ कफ सिरप बनाने वाली कंपनी ने नहीं बरती, बल्कि हर स्तर पर हुई. जब बच्चे बीमार पड़ रहे थे और मौतें हो रही थीं, तब स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल 1 और 3 अक्टूबर को लगातार कफ सिरप को 'क्लीन चिट' देते रहे.इसके विपरीत तब तक चेन्नई की लैब ने सिर्फ दो दिनों में जांच करके सिरप में खतरनाक मात्रा में 'जहर'की पुष्टि कर दी थी और तमिलनाडु में दवा पर बैन भी लगा दिया गया था.इन सबके बीच मध्य प्रदेश सरकार भले ही दवाओं की जांच, दोषियों पर कार्रवाई और बच्चों के इलाज की पूरी व्यवस्था के दावे करती रही, लेकिन हकीकत चौंकाने वाली है. छिंदवाड़ा से 300 किमी दूर भोपाल सैंपल भिजवाने में ही 3 दिन लग गए.

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इस प्रक्रिया में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि 29 सितंबर को ड्रग इंस्पेक्टर्स ने सैंपल भोपाल लैब भेजे लेकिन इसे इमरजेंसी नहीं मानकर सरकारी रजिस्टर्ड पोस्ट से भेजा गया. इस देरी पर जब मध्य प्रदेश के ड्रग्स कंट्रोलर दिनेश श्रीवास्तव से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि यह 'सामान्य तौर पर रजिस्टर्ड डाक से भेजने की परंपरा रही है.' हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि अत्यावश्यक परिस्थितियों में सैंपलों को सील बंद करके विशेष वाहक के माध्यम से भेजना चाहिए था. उन्होंने माना कि इस संबंध में विलंब करने वालों को निलंबित किया गया है और जांच में सब सामने आएगा.

लापरवाही सिर्फ सैंपल भेजने तक सीमित नहीं 

लापरवाही सिर्फ सैंपल भेजने तक सीमित नहीं है, बल्कि मध्यप्रदेश की लचर स्वास्थ्य और जांच व्यवस्था भी एक बड़ा विषय है. राज्य में दवा की जांच के लिए सिर्फ 3 लैब हैं, जिनकी सालाना क्षमता कुल 6,000 सैंपल तक ही जांचने की है. अभी इन लैब में 5500 सैंपल पहले से ही पड़े हैं. राज्य में 80 ड्रग इंस्पेक्टर हैं, जो हर महीने कम से कम 5 सैंपल लेते हैं और एक सैंपल जांचने में 2-3 दिन लगते हैं. ऐसे में अभी जिन दवाओं को संदिग्ध माना जा रहा है, उनकी जांच में ही 12-13 महीने लग जाएंगे.

मोबाइल ड्रग्स टेस्टिंग वैन साल 2022 से यूं ही खड़ी हैं. इनका इस्तेमाल ही नहीं होता

मोबाइल ड्रग्स टेस्टिंग वैन साल 2022 से यूं ही खड़ी हैं. इनका इस्तेमाल ही नहीं होता

ड्रग्स कंट्रोलर दिनेश श्रीवास्तव ने भी स्वीकार किया कि क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता है और शीघ्र इस पर काम किया जाएगा.वहीं, सरकारी तेजी की एक और बानगी मोबाइल ड्रग्स टेस्टिंग वैन हैं. इनमें से कोई 2022 से खड़ी है तो किसी का कभी इस्तेमाल ही नहीं हुआ. संयुक्त नियंत्रक टीना यादव ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि ड्रग्स केमिकल प्रकृति की होती हैं, जिनकी टेस्टिंग 'इंस्टेंट बेसिस' पर नहीं की जा सकती. उन्होंने तर्क दिया कि भारी उपकरणों वाले टेस्ट मोबाइल वैन में सपोर्ट नहीं कर पाते, क्योंकि वे 'टाइम-कन्ज़्यूमिंग' भी होते हैं और त्वरित व सटीक रिज़ल्ट नहीं दे पाते.

इन सब के बीच सरकार के लिए सबसे बड़ी परेशानी जहरीले बैच की 19 सिरप की बोतलें हैं, जो अभी भी लापता हैं. छिंदवाड़ा और आसपास के जिलों में कोल्ड्रिफ के जहरीले बैच की कुल 660 बोतलें आई थीं. इनमें से हादसे के बाद 457 बोतलों को जब्त किया गया, 28 बोतलें जांच के लिए गईं, और मरीजों को 156 बांटी गईं, लेकिन 19 बोतलें कहां हैं इसका अभी तक पता नहीं चल पाया है, जो किसी भी समय एक और बड़ा खतरा पैदा कर सकती हैं.
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